पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक का होता है विशेष महत्व
कुष्मांडा नवमी,,,, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी या कुष्मांडा नवमी के नाम से जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी से कार्तिक शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी आंवले के पेड़ पर निवास करते हैं। कुष्मांडा नवमी के विषय में माना जाता है की इस दिन से द्वापर युग का प्रारंभ हुआ था। पद्म पुराण के अनुसार इस दिन द्वापर युग की शुरुआत हुई थी। आंवला नवमी पर आंवला के वृक्ष का पूजन भी महत्वपूर्ण है। इस दिन दान पुण्य करने से दूसरों नौमी से कई गुना ज्यादा फल प्राप्त होता है। इस दिन विधि विधान से पूजा करने से संतान की भी प्राप्ति होती है। आंवला नवमी के दिन प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त पर जल में आंवले का रस मिलाकर स्नान करना चाहिए इससेआपके इर्द-गिर्द जितनी भी नकारात्मक ऊर्जा होगी वह तत्काल समाप्त हो जाएगी। और सकारात्मक और पवित्रता में वृद्धि होगी। आंवले के वृक्ष और देवी लक्ष्मी का पूजन करें। पूजन विधि, ,,,,,,,,, इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे झाड़ू से साफ सफाई करें तत्पश्चात दूध फूल एवं धूप से पूजन करें इसकी छाया में पहले ब्राह्मणों को भोजन करवाएं फिर स्वयं भोजन करें पुराणों के अनुसार भोजन करते समय थाली में आंवले का पत्ता गिर जाए तो आपके भविष्य के लिए यह सौभाग्य की बात है। इसके अनुसार आने वाला साल आपकी सेहत के लिए तंदुरुस्ती भरा होगा। आंवले की पूजा या उसके नीचे बैठकर भोजन करना संभव न हो तो आंवले की छोटी सी शाखा घर पर लाकर भी कर सकते हैं। कुष्मांडा नवमी की रोचक कथा, ,,,,,,, पौराणिक कथा के अनुसार कुष्मांड नाम का एक दैत्य था उसके शरीर से ही कुष्मांड अर्थात कद्दू की बेल उत्पन्न हुई थी इसलिए इस दिन कद्दू दान करने से अनंतकोटी फल की प्राप्ति होती है। कद्दू के अंदर सोना चांदी आदि रखकर गुप्त दान करने से मनुष्य को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसलिए कद्दू को काट कर ही दान किया जाता है। परेशानियां दूर करने के उपाय, ,,,,,,,,,, आंवला नवमी के दिन दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें ऐसा करने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होकर घर में सदा के लिए वास करती है। कूष्मांडा नवमी के दिन स्नान के जल में आंवले के रस की बूंदें डालें ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी। इस दिन शाम के समय घर के ईशान कोण में घी का दीपक प्रज्वलित करें ध्यान रहे बत्ती रुई की जगह लाल रंग के धागे का इस्तेमाल करें और यदि संभव हो तो दीपक में केसर भी डाल दें। इससे मां लक्ष्मी तत्काल प्रसन्न होकर कृपा करेंगी। साथ ही साथ पांच कुमारी कन्याओं को घर में बुलाकर खीर खिलाएं तत्पश्चात कन्याओं को पीला वस्त्र और दक्षिणा देकर विदा करें इसके अतिरिक्त श्री यंत्र का गाय के दूध से अभिषेक करें। अभिषेक के जल के छींटे पूरे घर में डालें। श्री यंत्र पर कमलगट्टे के साथ तिजोरी में रख दें। इससे धन लाभ होगा। शुभ मुहूर्त, ,,,,,,,, इस बार शुक्रवार दिनांक 12 नवंबर 2021 को नवमी तिथि प्रातः 5:51 से नवमी तिथि समाप्त होगी दिनांक 13 नवंबर दिन शनिवार को प्रातः 5:31 पर। अतः कुष्मांडा नवमी दिनांक 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन धनिष्ठा नामक नक्षत्र 20 घड़ी 32 पल तक है। तदुपरांत शतभिषा नक्षत्र प्रारंभ होगा। यदि चंद्रमा की स्थिति के बारे में जाने तो इस दिन चंद्रमा की स्थिति पूर्णरूपेण कुंभ राशि में होगी।। लेखक श्री पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल,