राज्य के विकास के लिए सभी को संकल्प लेना होगा – कुलपति प्रो० एन०के० जोशी
कुविवि में धूमधाम से मनाया गया राज्य स्थापना दिवस
उत्तराखंड राज्य स्थापना निबंध की 22वीं वर्षगांठ पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय के नैनीताल एवं भीमताल परिसर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए। विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद भवन में यूजीसी-एचआरडीसी सभागार में संगीत विभाग के विद्यार्थियों, एनसीसी नेवल एवं आर्मी विंग के कैडेट्स द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।
यूजीसी-एचआरडीसी सभागार में आयोजित कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति प्रो० एन०के० जोशी ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। उन्होंने राज्य निर्माण में अपनी प्राणों की आहुति देने वाले सभी अमर शहीदों एवं आन्दोलनकारियों को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए कहा कि उत्तराखंड वैदिककाल से ही भारतीय जनमानस में अपनी एक विशिष्ट पहचान रखता है। इसकी सदानीरा नदिया ,घने चीड़ ,बांज की घाटियां, रंग बिरंगे फलो से सुसज्जित बाग़ बगीचे ,मखमली घास युक्त बुग्याल ,जीव जंतु सभी विश्व में आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। यहां की संस्कृति, पर्यटन, सांस्कृतिक धरोहर, बोली-भाषा हमें एकता की सीख देती है। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छ जल और शुद्ध हवा के लिए तो जाना ही जाता है, साथ ही गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के लिए भी प्रख्यात है। यही नहीं, पर्यटक स्थलों के साथ ही राज्य पर्यावरण,
जल, ऊर्जा, सुरक्षा समेत तमाम केंद्रीय संस्थानों के माध्यम से अपना बड़ा योगदान दे रहा है।
कुलपति प्रो० जोशी ने कहा कि उत्तराखंड देश में पहला ऐसा राज्य है, जहां गढ़वाल और कुमाऊं दो रेजीमेंट है, जिसमें करीब एक लाख से अधिक व्यक्ति इन दोनों रेजीमेंट में कार्यरत हैं एवं देश की सुरक्षा में अपना अहम योगदानदे रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड राज्य को प्रकृति में न सिर्फ खूबसूरत पहाड़ी वादियों से नवाजा है, बल्कि बेशकीमती जड़ी-बूटियों का भी तोहफा दिया है, जिससे बड़ी से बड़ी बीमारियों का इलाज किया जा सकता हैं। हिमालयी क्षेत्रों में तमाम तरह के जड़ी-बूटियों का भरमार है, जिससे कैंसर जैसी बड़ी बीमारियों के भी इलाज संभव है।
उन्होंने कहा कि 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड राज्य वजूद में आया तब से लेकर आज तक उत्तराखंड ने कई उतार-चढ़ाव देखे। राज्य के विकास के लिए सभी को संकल्प लेना होगा।
इस अवसर पर संगीत विभाग के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना, स्वागत गीत एवं कुलगीत की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। एनसीसी नेवल विंग के कैडेट्स द्वारा उत्तराखंड राज्य गीत तथा एनसीसी आर्मी विंग के कैडेट्स द्वारा कुमाउँनी लोकनृत्य को प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर निदेशक डी०एस०बी० परिसर प्रो० एल०एम० जोशी, एनसीसी आर्मी विंग के प्रभारी प्रो० एच०सी०एस० बिष्ट, विभागाध्यक्ष संगीत डॉ० गगनदीप होती एवं डॉ० अशोक कुमार आदि उपस्थित रहे।