सरस आजीविका मेले में क्रेता-विक्रेता संवाद संगोष्ठी आयोजित

हल्द्वानी के एमबी इंटर कॉलेज मैदान में आयोजित दस दिवसीय सरस आजीविका मेले के तृतीय दिवस सोमवार को क्रेता एवं विक्रेताओं के लिए उद्योग एवं मत्स्य विभाग द्वारा संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें एनसीसी (NCC) के कैडेट्स ने भी कार्यक्रम में सक्रिय रूप से भाग लिया और आयोजन में सहयोग प्रदान किया।
उद्योग विभाग की भूमिका
जिला उद्योग केंद्र (DIC) नैनीताल की महाप्रबंधक पल्लवी गुप्ता ने विभाग की भूमिका और जिम्मेदारियों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उद्योग पंजीकरण पोर्टल का रखरखाव विभाग द्वारा किया जाता है, जिसे जुलाई 2020 में नि:शुल्क और ऑनलाइन पंजीकरण के लिए लॉन्च किया गया था। नैनीताल जिले में 5,448 MSMEs कार्यरत हैं, जो लगभग 27,462 लोगों को रोजगार प्रदान कर रहे हैं।
उन्होंने बताया की उद्योग विभाग सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम का नोडल विभाग है, जो निवेशकों के लिए एक वन-स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करता है। यह निवेश प्रक्रिया को सरल बनाकर नवीनतम सरकारी नीतियों, प्रोत्साहन योजनाओं और आवश्यक अनुमतियों की जानकारी उपलब्ध कराता है। इसके अलावा, विभाग स्थानीय उद्यमियों को मार्गदर्शन एवं सहयोग भी प्रदान कर रहा है।
उन्होंने बताया कि सरकार इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस को बढ़ावा देकर औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत कर रही है और ‘वोकल फॉर लोकल’ को समर्थन दे रही है। उत्तराखंड ने इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस में 97% की उपलब्धि हासिल कर देश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
उत्तराखंड में प्रमुख उद्योग: हॉस्पिटैलिटी, फूड प्रोसेसिंग, ऑर्गेनिक उत्पाद, मसाले, अस्पताल, स्टोन क्रशर आदि।उत्तराखंड सरकार ने 2023 में MSME नीति लॉन्च की, जिसमें पूंजीगत अनुदान, ब्याज अनुदान, और गैर-राजस्व लाभ जैसे निवेशक सुविधा, महिला एवं दिव्यांग उद्यमियों के लिए हेल्प डेस्क, कौशल विकास संवर्धन आदि शामिल हैं।
मत्स्य पालन को बढ़ावा देने की योजनाएं
कार्यशाला में मत्स्य विभाग से आए सहायक निदेशक ने बताया कि प्रदेश में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिससे किसान इस क्षेत्र में रोजगार प्राप्त कर अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकते हैं।
भीमताल स्थित मत्स्य विभाग के जिला मत्स्य प्रभारी ने जानकारी दी कि उत्तराखंड की भौगोलिक संरचना, जल स्रोत, तालाब और अनुकूल जलवायु मछली पालन के लिए उपयुक्त हैं। हिमालयी राज्य होने के कारण यहां विभिन्न प्रकार की मछलियों का उत्पादन संभव है।
उन्होंने बताया कि मत्स्य विभाग की योजनाओं का लाभ उठाकर किसान स्वरोजगार अपना सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। यदि किसी किसान के पास बहता पानी उपलब्ध है, तो विभाग 50 वर्गमीटर के तालाब निर्माण के लिए अनुदान राशि प्रदान कर रहा है।
कार्यशाला में उपजिलाधिकारी नवाजिश खालिद, हिमालय चैम्बर के अध्यक्ष बिन्जौला, एपीडी चंदा फर्त्याल, जिला अर्थ एवं सांख्यिकी अधिकारी डॉ. मुकेश नेगी, डॉ. दीपा, आनंद रावत सहित एनसीसी के छात्र-छात्राएं समूहों के प्रतिनिधि आदि उपस्थित रहे।