उत्तराखंड में टूटे पुल बने नहीं-रपटों में बना जान का खतरा
पुल उत्तराखंड की जीवनरेखा हैं। लेकिन प्रदेश के हर जिले में बड़ी संख्या में ऐसे पुल और पुलिया हैं जिनकी हालत बेहद खराब है। इनसे गुजरना जान हथेली पर लेने के बराबर है। कई पुल तो अंग्रेजों के जमाने के हैं। कई पर काम हो भी रहा है लेकिन मंथर गति से। मानसून सीजन चल रहा है। इन पर तेजी से काम करने की जरूरत है। ऐसा नहीं किया गया तो उत्तराखंड को हादसों के प्रदेश का तमगा बरकरार रहेगा। उत्तराखंड में आपदाओं के दौरान टूटे पुल और सड़कों की मरम्मत में ढिलाई लोगों की जान पर भारी पड़ रही है। हालात यह हैं कि पिछली आपदाओं में टूटे पुल अभी तक तैयार नहीं हो पाए हैं। कई जगहों पर रपटों में जान जोखिम में डालकर लोग सफर कर रहे हैं। देहरादून से पांवटा साहिब जाने वाले शिमला बाईपास मार्ग पर कई जगह पुल बनाने की जरूरत है। लेकिन यहां नदी-नालों पर पुल बनाने के बजाए रपटे बने हुए हैं। बरसात के दौरान कई बार रपटों पर इतना पानी हो जाता है कि पार जा पाना मुश्किल हो जाता है। बरसात में लोगों को खतरे के बीच दूसरी तरफ जाना पड़ता है। चम्पावत में पिछली आपदा के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन वैकल्पिक चल्थी पुल लधिया नदी की भेंट चढ़ गया था। हालांकि यहां पर यातायात की वैकल्पिक व्यवस्था में ब्रिटिशकालीन पुल काम आ रहा है। लेकिन क्षतिग्रस्त नए पुल की मरम्मत के लिए गाजियाबाद में पार्ट्स रिपेयर होने गए हैं।अगस्त 2021 को रानीपोखरी में नदी पर बना मोटर पुल ध्वस्त हो गया था। जनवरी 2022 में इस पुल के निर्माण का काम दोबारा शुरू हुआ। अब तक यह यातायात के लिए नहीं खुल पाया है। नतीजा यह है कि लोगों को पुल के नीचे नदी पर बनाई गई वैकल्पिक सड़क से होकर गुजरना पड़ रहा है। रुद्रप्रयाग जिले में बीते वर्ष आई आपदा से कोई पुल नहीं टूटे हैं जबकि वर्तमान में तिलवाड़ा-घनसाली मोटर मार्ग पर कुटमाणा में बीते चार दिन पहले पुल का एक एवेडमेंट धंस गया जिससे यहां पुल को खतरा पैदा हो गया है। इस मार्ग पर चार दिनों से आवाजाही बंद है। यह मार्ग घनसाली से तिलवाड़ा होते केदारनाथ हाईवे पर मिलता है। इस मार्ग से यात्रियों की आवाजाही होती है, मार्ग बंद होने से लोग परेशान हैं।खटीमा में दो साल पहले परवीन नदी में बना पुल क्षतिग्रस्त हो गया था। क्षतिग्रस्त पुल करीब 12 हजार की आबादी को जोड़ता है। यहां नया पुल अब तक नहीं बन सका है। पुल क्षतिग्रस्त होने पर यहां जो रपटा बनाया वह भी क्षतिग्रस्त हो गया है। किच्छा में 2016 में बरसात के मौसम में गौला नदी पर बना रपटा पुल क्षतिग्रस्त हो गया था लेकिन इसकी मरम्मत अब तक नहीं हो पाई। रुद्रपुर में कल्याणी नदी पर पुलिया दो साल बाद भी तैयार नहीं हो पाई है। आपदा में तीन पुल टूट गए थे। अब तक इन पुलों पर काम पूरा नहीं हो पाया। जिसका खामियाजा क्षेत्र की करीब पांच हजार की आबादी उठा रही है। जिले के कपकोट क्षेत्र में सर्वाधिक रपटे हैं, जो मानसून काल में पूरे उफान पर आ जाते हैं। पिंडारी मार्ग स्थित डणूं के पास बना रपटा इन दिनों पूरे उफान पर है। पिथौरागढ़ में आपदा में थल-मुनस्यारी सड़क पर द्वालीगाड़ में बना पुल टूटा है। यह पुल अभी नहीं बन पाया है। वहीं, आपदा में धारचूला-तवाघाट सड़क पर कनज्योति के पास लोहे का पुल टूटा था। हालांकि दो माह बाद यहां नये पुल का निर्माण कर दिया गया। बागेश्वर में बारिश से जगह-जगह भूस्खलन होने से मलबा भर गया है. इसके काराण जिले में सात मकान और एक गौशाला क्षतिग्रस्त होने की सूचना है. मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के अनुसार पिछले 24 घंटे में पूरे उत्तराखंड में सबसे अधिक बारिश कपकोट के शामा में 243.5 मिमी दर्ज की गई है. भारी बारिश की संभवना के चलते जहां प्रदेश के बागेश्वर में सरयू और गोमती नदी उफान पर है. प्रदेश में भारी बारिश ने लोगों की परेशानियों को और बढ़ा दिया है। भारी बारिश से नदी-नालों में बने पुलों को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है। जो लोगों के आवागमन के मुख्य साधन हैं, वही पुल क्षतिग्रस्त होने से लोग अपने गांवों में ही कैद हो गए हैं। वहीं चमोली जिले के नंदनगर ब्लॉक के घिंगराड़ गांव को जोड़ने वाला पुल चुफ्लागाड़ नदी के उफान के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है।गौर हो कि भारी बारिश से हुए नुकसान की सूचना के बाद प्रशासन की टीम मौके के लिए रवाना हो गई है। उत्तराखंड में भारी बारिश का दौर जारी है। बारिश की वजह से जगह-जगह हाईवे बंद हो रहे हैं। जिससे लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं चमोली जिले के नंदनगर ब्लॉक के घिंगराड़ गांव को जोड़ने वाला पुल चुफ्लागाड़ नदी में उफान के कारण क्षतिग्रस्त हो गया है। वहीं प्रदेश के अन्य जनपदों की बात करें तो पौड़ी जिले में बारिश के कारण जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। नेशनल हाईवे 534 पर भी दुगड्डा-आमसौड़ के बीच भारी बारिश के चलते मलबा आ गया है। मलबा आने की वजह से हाईवे अवरुद्ध हो गया है। एनएचएआई (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अधिशासी अभियंता अरविंद जोशी ने बताया कि बारिश बहुत तेज हो रही है। जिस वजह से भूस्खलन से सड़क मार्ग पर मलबा आ रहा है। कोटद्वार दुगड्डा के बीच दो जेसीबी मशीन लगाई गई हैं। मार्ग को खोलने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है।भारी बारिश से पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी थल मोटर मार्ग में बिर्थी के पास द्वालीगाड़ में पुल ध्वस्त हो गया है। पुल के अप्रोच नाले के तेज बहाव में क्षतिग्रस्त हो गये हैं और वाहनों की आवाजाही बाधित हो गई है। वहीं धारचूला तहसील में भी भारी बारिश से जनजीवन अस्त व्यस्त है। जौलजीबी-धारचूला मार्ग पर कालिका एसएसबी कैंप नया बस्ती के पास पहाड़ी से भारी मात्रा में भूस्खलन का खौफनाक वीडियो सामने आया है। पिथौरागढ़ से आये इस वीडियो में दिख रहा है कि भूस्खलन की वजह से सड़क बंद है। सड़क खुलने के इंतजार में कुछ वाहन यहां खड़े हैं। एक जेसीबी भी कुछ दूरी पर सड़क खोलने के लिए खड़ी है। ऐसे में कुछ लोग पैदल ही सड़क को पार करने निकल पड़ते हैं, लेकिन जब वह भूस्खलन वाले इलाके से गुजर रहे थे, तो तभी अचानक पहाड़ी से भारी भूस्खलन हो जाता है। डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला लेखक के निजी विचार हैं वर्तमान में दून विश्वविद्यालय कार्यरतहैं।