इकोसिस्टम रेस्टोरेशन विषय पर राष्ट्रीय वेबिनार का किया गया आयोजन
कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के “शोध ,वं प्रसार, राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ, इग्नू डी.एस.बी.परिसर नैनीताल तथा डाॅ.वाई.पी. एस.पांगती फाॅउन्डेशन , एम.एस.डी.सी.तथा कुमाऊं विश्विद्यालय शिक्षक संघ( कुटा)नैनीताल द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया किया। कार्यक्रम के संरक्षक प्रो.एन.के.जोशी कुलपति कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल, मुख्य अतिथि प्रो0 नागेश्वर राव कुलपति इग्नू पूर्व कुलपति उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय उत्तराखण्ड , कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल, मोडरेटर प्रो.जी.स.रावत , एफ. एन.एएससी. पूर्व निदेशक वाईल्ड लाईफ इंडिया , कार्यक्रम के पैनेलिस्ट प्रो. एस.पी.सिहं , एफ.एन.ए.पूर्व कुलपति , एच.एन. बी. गढवाल विश्वविद्यालय श्रीनगर, डा.रवि चोपडा निदेशक प्यूपिल साईंस इन्सटीयूट देहरादून ,डाॅ.तेजस्वनी पाटिल आई .एफ.एस.चीफ कन्सरवेटर फोरेस्ट कुमाऊ उत्तराखण्ड फोरेस्ट डिपार्टमेंट, उत्तराखण्ड रहें। कार्यक्रम का संचालन प्रो.ललित तिवारी निदेशक शोध एवं प्रसार कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल द्वारा किया गया। कार्यक्रम का उदघाटन कुलपति प्रो0, एन . के. जोशी कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल की अनुमति से विधिवत किया गया।
कुलपति प्रो. एन.के.जेाशी ने कहां की प्रकृति हमारा जीवन है यदि हम इसे सुरक्षित नहीं करेंगे तो भविष्य का क्या होगा उन्होंने कहा उत्तराखंड नदियों की जननी है, जिसने मानवीय सभ्यता का निर्माण हुआ है,उन्होंने कहा हिमालय को संरक्षित रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। प्रो.जोशी ने कहा कि हिमालय केवल सीमा ही नही है बल्कि यह हवा, जल देता है तथा मानव को सेवा देता है, हिमालय हमारी अनमोल धरोहर है हमारे पर्यावरण संरक्षण में इसकी भूमिका अहम है।
मुख्य अतिथि प्रो. नागेश्वर राव ने कहां प्रकृति के जिस रुप से हम गुजर रहे हमे सावधान रहना चाहिए, प्रकृति के प्रति अपनी कर्तव्य का पालन करना चाहिए। प्रो.राव ने कहा हम लोगों को फिर ऑक्सीजन की याद आने लगी है जिससे हमें पर्यावरण का गिरता स्तर साफ दिखने लगा है, हमें हिमालय क्षेत्र को पर्यावरणीय रूप से समृद्ध बनाना होगा। उन्होंने कहा कि सभी नागरिक पर्यावरण के प्रति सचेत रहें हमे पेड़ कटान से पहले उसका समाधान देखना होगा। कार्यक्रम के सूत्रधार प्रो.जी.एस.रावत ने कहा कि हमें परिस्थितिक तंत्र का अधिक अध्ययन तथा उसमें सामंजस्य स्थापित करने की आवश्यकता है, जिससे प्रकृति और मानव में पर्यावरण संरक्षण के लिए संवाद होना जरूरी है ताकि हम भूतकाल से सबक लेकर भविष्य की तरफ बढ़ सकेंगे। प्रोफेसर रावत ने कहा कि नई शोध तथा शोध प्रौद्योगिकी का आपसी सामंजस्य रखा जाए।
प्रो.एस.पी.सिहं , ने अपने व्याख्यान में कहा कि हमें अधिक शोध की आवश्यकता है जिससे प्रकृति के जैविक एवम आजैविक कारकों का विस्तृत अध्ययन हो सके हमें जैव विविधता को संरक्षित रखना होगा जिससे परिस्थितिक तंत्र सुरक्षित रह सके और सभी प्राणी सुरक्षित रह सके। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि पेड़ काटने पर पूर्ण प्रतिबंध हो आर्थिकी को जंगल से संरक्षित करने वाले नजरिए से देखना होगा ,हिमालय को बचाने के लिए सख्त सरकारी नियम बने ,वन अग्नि रोकने पर प्राथमिकता हो।
डा.रवि चोपडा निदेशक प्यूपिल साईंस इन्सटीयूट देहरादून ने कहां कि विकास की बढ़ती ललक से परिस्थितिक तंत्र संकटग्रस्त हुआ है मानव को विकास के नए आधार को लाना होगा जिससे प्रकृति हमसे नाराज ना हो बल्कि और अधिक संसाधन के उपयोग की अनुमति दे, उन्होंने कहा कि तापमान में निरंतर हो रही वृद्धि से ग्लेशियर पिघल गए हैं जो मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है। उत्तराखंड के ग्लेशियर जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदन शील है, युवा शोध के लिए आगे आए।डाॅ.तेजस्वनी पाटिल द्वारा अपने व्याख्यान में कहा गया कि विदेशी प्रजातियों ने जंगल के परिस्थिति तंत्र को बहुत नुकसान पहुंचाया है ये इनोवेसिव प्रजातियां नुकसानदायक हैं। उन्होंने वन अग्नि से उत्तराखंड के जंगलों में नुकसान से परिस्थितिक तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव पर व्यापक प्रकाश डाला तथा कहा कि पहाड़ सुरक्षित होंगे तो पूरा तंत्र अपने आप सुरक्षित हो जाएगा। डॉ.पाटिल ने कहा वो वनाग्नी रोकने के लिए शोध को बढ़ावा मिलने से बेहतर कार्य होगा, इनोवेसिव प्रजातियां परिस्थितिक तंत्र के लिए नुकसानदायक हैं।कार्यक्रम का संचालन कर रहे कर रहे प्रोफेसर ललित तिवारी ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने 2021 30 तक का डिकेड
इकोसिस्टम रेस्टोरेशन के लिए रखा है जिसमें प्रत्येक नागरिक को पौधे लगाने हैं तथा जल,झील, तालाबों की सफाई स्वच्छता करनी है जिससे खत्म हो चुकी भूमि को फिर से परिस्थितिक तंत्र में बदला जा सके,प्रो. तिवारी ने सभी व्याख्याताओं का धन्यवाद भी ज्ञापित किया तकनीकी सहयोग हेतु डॉ आशीष तिवारी ,डॉ गीता तिवारी ,डॉ महेश आर्या,डॉ विजय कुमार ,डॉ नवीन पांडेय , डॉ.नंदन मेहरा, दीक्षा बोरा ,गीतांजलि , डॉ.हर्षवर्धन चौहान, वसुंधरा लोधियाल इत्यादि का विशेष धन्यवाद किया।
इकोसिस्टम रेस्टोरेशन विषय पर हुई वेबिनार का निष्कर्ष निकलते हुए प्रो.गोपाल सिंह रावत ने कहा कि युवा तथा युवा पीढ़ी को आगे आने होगा जिससे वे जंगल तथा जल स्रोतों के मित्र हों सके,तथा मानव एवम पर्यावरण का रिश्ता बेहतर होना अनिवार्य है।प्रो.रावत ने कहा कि विश्वविद्यालयों को इस दिशा में शोध के लिए आगे आना होगा , जिससे गुणवत्तापूर्ण शोध एवम छोटे-छोटे प्रोजेक्ट हर नागरिक की जिम्मेदारी परिस्थितिक तंत्र को पुरस्थापित करने में हो सके।
कार्यक्रम में प्रो. अनिल जोशी, प्रो. ओमप्रकाश प्रो.चित्रा पांडे, डॉ.भावना कर्नाटक, डॉ. नीता आर्या, डॉ.श्रुति साह, डॉ. भावना तिवारी डॉ.शशि बाला उनियाल ,प्रो. पी. सी.तिवारी, डॉ. आशा रानी, डॉ. मनोज उपाध्याय, डॉ. महेंद्र सिंह राणा , डॉ.दीपाक्षी जोशी ,डॉ. सुरेश पांडे, डॉ. हरीश अंडोला, रक्षिता पाठक, दिव्या उप्रेती, नेहा चोपड़ा ,हिमानी वर्मा सहित
96 प्रतिभागियों ने भाग लिया।