“जुड़ना” या “एकजुट होना”, जो शरीर, मन और आत्मा के बीच एकीकरण का प्रतीक है योग

राजकीय महाविद्यालय शीतलखेत, अल्मोड़ा में 21 जून 2025 को 11 वे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ० प्रकाश चन्द्र जांगी ने कहा कि गीता में उल्लेखित है ”योग कर्मसु कौशलम्” कर्मों में कुशलता ही योग है “योगश्चित्तवृत्तिनिरोधः ” चित्त की वृत्तियों का निरोध ही चित्र योग है योग शब्द संस्कृत की युज् धातु से बना है | जिसका अर्थ है जुड़ना । जुड़ना एक ऐसी विद्या है जिससे कि मनुष्य जीवन का सर्वांगीण विकास हो, तथा वह ब्रह्म विद्या की प्राप्ति या समाधि की प्राप्ति के लिए अग्रसित हो सकें । योग एक ऐसी जीवन जीने की कला है । योग एक प्राचीन भारतीय अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देता है। इसका शाब्दिक अर्थ है “जुड़ना” या “एकजुट होना”, जो शरीर, मन और आत्मा के बीच एकीकरण का प्रतीक है. योग में विभिन्न प्रकार की शारीरिक मुद्राएँ (आसन), श्वास तकनीकें (प्राणायाम), और ध्यान शामिल हैं.
इस वर्ष की योग विषय की थीम है “एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग” जो कि व्यक्तिगत स्वास्थ्य और हमारे ग्रह के स्वास्थ्य के बीच संबंध को दर्शाता है इस विषय पर भी विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला गया
एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग ” की थीम व्यक्तिगत स्वास्थ्य और ग्रह के साथ संतुलन के बीच संबंध को दोहराती है।
इस अवसर पर राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय शीतलाखेत, अल्मोड़ा से योग प्रशिक्षक श्री गौरव सिंह मनराल ने समस्त प्रतिभागियों को योग का प्रशिक्षण दिया।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो० ललन प्रसाद वर्मा, प्रो० अनुपमा तिवारी, डॉ० सीमा प्रिया, डॉ० प्रकाश चन्द्र जांगी, डॉ० दीपिका आर्या, छत्र सिंह कठायत, वसुंधरा लस्पाल, राजेन्द्र चन्द्र पांडे, प्रवीण सिंह बोरा, अनुज कुमार, हेमन्त सिंह मनराल, कमल सिंह बनकोटी, विनोद रत्न आदि उपस्थित रहे।
