सुंदरता का सामाजिक निर्माण तथा जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे के उपलक्ष में एक संगोष्ठी का आयोजन

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आज महाविद्यालय में समाजशास्त्र विभागीय परिषद के तत्वाधान में सुंदरता का सामाजिक निर्माण तथा जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे के उपलक्ष में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रोफेसर विनय कुमार विद्यालंकार ने अपने संबोधन में बताया कि मनुष्य ने अपने अहंकार के कारण धरती का वातावरण दूषित कर दिया है मनुष्य ने धरती पर सदैव अपना अधिकार जताया हैं मनुष्य की भांति अन्य जीवों को भी धरती ने जीवन दिया है मनुष्य को उद्देश्य परक शिक्षा की आवश्यकता है जिससे समाज में भेदभाव की धारणा का अंत हो सके प्राचार्य महोदय ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि जीवन का सच्चा सौंदर्य शिक्षा तथा सद्गुण है और जो बाहरी सौंदर्य से अधिक महत्वपूर्ण है हमें अपने सद्गुणों से एक सभ्य समाज का निर्माण करना है। कार्यक्रम की संयोजक डॉक्टर ईप्सिता सिंह (विभागाध्यक्ष समाजशास्त्र) ने पीपीटी के माध्यम से बताया कि सौंदर्य एक सामाजिक निर्माण है जो मनुष्य आपसी संवाद में भाषा के माध्यम से इसका निर्धारण करता है। सुंदरता का पैमाना हर संस्कृति में भिन्न होता है। इसके बाद डॉक्टर दीपक ने सामाजिक भेदभाव तथा आर्थिक असमानताओं पर विस्तार से चर्चा की। इसी क्रम में डॉक्टर तरुण कुमार आर्य ने सौंदर्य के बाजारीकरण पर चर्चा की। छात्राओं में से कमल पंत ने शून्य भेदभाव दिवस के इतिहास के बारे में बताया , रजनी ने सुंदरता के सामाजिक मापदंड बताइए, बबीता करगेती एवं निधि तिवारी ने सामाजिक निर्माण के बारे में बताया तथा भावना ने शून्य भेदभाव की व्याख्या की।
इस अवसर पर डॉक्टर जयति दीक्षित, डॉक्टर ममता पांडे, डॉ. भुवन मठपाल सहित कार्यालय के समस्त कार्मिक एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे ।
कार्यक्रम का संचालन समाजशास्त्र विभागीय परिषद की छात्रा कविता द्वारा किया गया।

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