जन्तु विज्ञान विभाग, डीएसबी परिसर में विश्व मत्स्य दिवस पर दो दिवसीय कार्यशाला आयोजित
कुमाऊँ विश्वविद्यालय, डीएसबी परिसर के जन्तु विज्ञान विभाग द्वारा विश्व मत्स्य दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय कार्यशाला का सफल आयोजन किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों, शोधार्थियों, इंटर्न्स व स्थानीय मत्स्य पालकों को वैज्ञानिक मत्स्य पालन तकनीकों, उद्यमिता तथा स्वरोजगार के नवीन अवसरों से अवगत कराना था।
मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत ने विश्वविद्यालय के लैब-टू-विलेज दृष्टिकोण की सराहना करते हुए कहा कि आधुनिक शोध को सीधे किसानों तक पहुँचाना ही कुमाऊँ विश्वविद्यालय की अकादमिक और सामाजिक प्रतिबद्धता का मूल तत्व है। इसी दिशा में विभाग के इंटर्न्स द्वारा किसानों को गोद लेकर उनके प्रशिक्षण की पहल को उन्होंने एक अनुकरणीय मॉडल बताया।
कुलपति प्रो रावत ने कहा कि उत्तराखण्ड की 3000 किमी लंबी नदियों और सैकड़ों हेक्टेयर झीलों/जलाशयों में बायोफ्लॉक और आरएएस तकनीकों को अपनाकर राज्य को मत्स्य उत्पादन में नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जा सकता है। विश्वविद्यालय का लक्ष्य है कि उत्तराखण्ड को देश के शीर्ष 15 मत्स्य उत्पादक राज्यों में स्थान दिलाया जाए।
जन्तु विज्ञान विभाग में 2024 में बायोफ्लॉक फिश टेक्नोलॉजी सेंटर की स्थापना की गई थी, जिसका मुख्य उद्देश्य नैनी झील की देशज मत्स्य प्रजाति स्नो ट्राउट को पुनर्जीवित करना था।
डीएसबी परिसर में विभाग द्वारा किए गए प्रायोगिक अध्ययन में स्नो ट्राउट को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया गया, और यह दर्शाया गया कि कम समय में उच्च उत्पादन संभव है।
इस परियोजना का दूसरा प्रमुख उद्देश्य इस ज्ञान एवं तकनीक को खेत-स्तर तक पहुँचाना था। इसी क्रम में आज कार्यशाला में शामिल हुए 20 से अधिक किसानों ने इस तकनीक को अपनाने में गहरी रुचि व्यक्त की और इसे स्वरोजगार का अत्यंत प्रभावी अवसर बताया। कुमाऊँ विश्वविद्यालय अब किसानों को गावों में प्रत्यक्ष प्रशिक्षण प्रदान करेगा।
विशिष्ट वक्ताओं के व्याख्यान
कार्यक्रम में डॉ. विशाल दत्ता, प्राध्यापक, राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रुद्रप्रयाग तथा डॉ. लुकराम इंगोचोबा मितयी, किरोड़ीमल कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय ने आधुनिक जलीय कृषि तकनीकों, उद्यमिता और स्टार्टअप संभावनाओं पर विस्तृत व्याख्यान दिए।
विद्यार्थियों को यह भी सिखाया गया कि फिश फीड कैसे तैयार की जाती है, जिससे मत्स्य पालन की लागत को कम किया जा सके।
इस अवसर पर प्रो. आर.एस. बिष्ट (सेवानिवृत्त, पंतनगर विश्वविद्यालय), प्रो. धमेन्द्र राठौर (श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय) तथा प्रो. एस.एस. बर्गली विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में भीमताल ब्लॉक के मत्स्य पालकों, लगभग 100 विद्यार्थियों तथा 20 शोधार्थियों ने सक्रिय सहभागिता की। कार्यशाला का संचालन प्रो. हरीश चन्द्र सिंह बिष्ट ने किया।
कार्यक्रम के सफल आयोजन में प्रो. मनोज कुमार आर्या, प्रो. दीपिका गोस्वामी, डॉ. हिमांशु पांडे लोहनी, डॉ. दीपक कुमार आर्या, डॉ. मुकेश सामन्त, डॉ. सीता देवली, डॉ. दिव्या पांगती, डॉ. नेत्रपाल शर्मा, डॉ. संदीप मेण्डोली, डॉ. उजमा सिद्धीकी, डॉ. दीपक मेलकानी, गौरव रावत, विवेक रावत, कु. स्वाती जोशी, कु. सरीता एवं कु. चित्रा का विशेष योगदान रहा।


