डीएसबी कैंपस में संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित की जा रही है विभिन्न प्रतियोगिताएं

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संस्कृतं संस्कृतेर्मूलं ज्ञानविज्ञानवारिधि:।वेदतत्त्वार्थसंजुष्टं लोकालोककरं शिवम्।।
संस्कृति का मूल संस्कृत है। ज्ञान-विज्ञान का सागर संस्कृत है। वेद- तत्त्वों को संयुक्त करने वाला संस्कृत है। लोकालोक में कल्याण करने वाला संस्कृत है। संस्कृत भारत का प्राण है -संस्कृतमेव हि संस्कृतम् ।संस्कृत के ज्ञान के विना भारतीय संस्कृति और उसकी मूल भावना को समझना सम्भव नहीं है। मानवमात्र की उदात्त संस्कृति का ज्ञान प्राप्त करने के लिए भी संस्कृत के ग्रन्थों का आश्रय लेना आवश्यक है -संस्कृति: संस्कृताश्रिता। संस्कृत में लिखे उपनिषद् मानव को शान्ति प्रदान करते हैं वहीं श्रीमद्भगवद्गीता त्याग,समन्वय और निष्काम कर्म का सन्देश देती है। संस्कृत ज्ञान की अमूल्य धरोहर है। इसी के आधार पर स्वामी विवेकानंद ने अमरीका वासियों को भारतीय अध्यात्म के प्रति आकर्षित कर दिया। मानसिक शान्ति के लिए एवं स्वस्थ रहने के लिए महर्षि पतंजलि के योगदर्शन से अच्छा और कोई नहीं है। संस्कृत विश्व की भाषा रही है। संस्कृत ने ही विश्व को शब्द भण्डार के साथ साथ विभिन्न क्षेत्रों का ज्ञान भण्डार वितरित किया है। संस्कृत ने सम्पूर्ण संसार को “वसुधैव कुटुम्बकम्” का सन्देश दिया है। “सर्वे भवन्तु निरामया:” में समस्त मानवता की सुख-समृद्धि की कामना की गयी है। “आ नो भद्रा: ऋतवो यन्तु विश्वस्त: ” अर्थात् सब ओर से हमारे कल्याणकारी कार्य ही आयें। “मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाधिक भूतानि समीक्षे ” अर्थात् मैं सब प्राणियों को मित्र की दृष्टि से देखूं।
यस्मिन् सर्वाधिक भूतान्यात्मैवाभूद् विजानत:।
तंत्र को मोह: क: शोक: एकत्वमनुपश्यत:।। अर्थात् जिस ज्ञानी व्यक्ति में सब प्राणी अपनी आत्मा ही हो जाते हैं, उसमें कौन सा मोह और कौन सा शोक? उसका व्यवहार सबके प्रति एक समान ही होता है। अपने -पराये का भेद नहीं होता है। संस्कृत ने प्राचीन काल से ही अनेक विद्याओं का ज्ञान प्रदान किया है। वेदों में गणित, विज्ञान, ज्योतिष,भूगोल, खगोलशास्त्र, भूगर्भशास्त्र, भाषाशास्त्र, व्याकरणशास्त्र,आयुर्वेद, राजनीति सम्बन्धित ज्ञान आदि अनेक विद्याओं के बीच संस्कृत में विद्यमान हैं।
“यदिहास्ति तदन्यत्र यन्नेहास्ति न तत् क्वचित्” अर्थात् जो कुछ भी संस्कृत में हैं वहीं अन्यत्र है। जो इसमें नहीं है वह कहीं नहीं है। संस्कृत देवभाषा है। इसके अध्ययन और स्वाध्याय से मनुष्य अपने में देवोपम गुणों का विकास कर सकता है। संस्कृत के महत्त्व को दृष्टिगत रखते हुए संस्कृतविभाग ने संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है। जिसमें परिसर के विभिन्न संकायों के छात्र -छात्राएं प्रतिभाग कर रहे हैं।
संस्कृत विभाग में दि०१२अगस्त २०२४ को
११बजे से “संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता” है। १घण्टे की है।
उसके बाद
भाषण प्रतियोगिता- प्रात: १२से प्रारम्भ‌ है।
प्रत्येक प्रतिभागी को ७ मि०‌का समय दिया जायेगा।
निबन्ध एवं पोस्टर प्रतियोगिता है।
दि०१३अगस्त २०२४को प्रात: ११बजे श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता ।
प्रात: ११:३० बजे से संस्कृत दिवस पर कार्यक्रम।
कार्यक्रम का संचालन-
भावना काण्डपाल ,शोधच्छात्रा द्वारा।
सरस्वती वन्दना-
निकिता, सुनीता, संजना, किरन,रेनू और पूजा द्वारा।
अतिथियों का स्वागत- सुषमा (बी०ए०पञ्चम सत्रार्द्ध)द्वारा।
भाषण-प्रतियोगिता में प्रथम आये विद्यार्थी का भाषण।
निबन्ध लेखन में -प्रथम आये विद्यार्थी द्वारा निबन्ध प्रस्तुति।
श्लोकोच्चारण -प्रथम आये विद्यार्थी द्वारा प्रस्तुति।
सभी प्राध्यापकों द्वारा -संस्कृतभाषा के विभिन्न पक्षों में उद्बोधन ।
विजेता विद्यार्थियों के परिणाम को घोषित – डॉ०प्रदीप‌कुमार द्वारा
पुरस्कार वितरित-
अतिथियों द्वारा।
धन्यवाद ज्ञापन-सुषमा द्वारा
समाप्ति में शान्ति पाठ-सभी के द्वारा।
‌‌ ‌ “जयतु संस्कृतमृ*

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