विधि संकाय,एसएसजे विश्वविद्यालय व जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर किया गया एक कार्यशाला का आयोजन

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अल्मोड़ा- विधि संकाय, सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय अल्मोड़ा तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान के अंतर्गत आज दिन गुरुवार 15 सितंबर को विधि संकाय के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय लोकतंत्र दिवस पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव श्री रविशंकर मिश्रा, प्रो० जे एस० विष्ट विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष, विधि संकाय के वरिष्ठ प्राध्यापक प्रो० डी० के० भट्ट, प्रो० अमित कुमार पंत, डॉ० डी०पी० यादव, डॉ० अरशद हुसैन, तथा संकाय के अन्य प्राध्यापक डॉ० दलबीर लाल, डॉ० पी०एस०बोरा, डॉ० फरहा दीबा, डॉ० रत्नेश सिंह, पुष्पेश जोशी, भोला सिह रावत, अवनीश कुमार, वन्दना टम्टा, संकायाध्यक्ष अकादमिक प्रो० शेखर चंद्र जोशी, प्रो० अनिल यादव, संकायाध्यक्ष ग्रीन ऑडिट एवं विभागाध्यक्ष वानिकी विभाग, संगीत विभाग के डॉ० वन्दना जोशी, डॉ० शबीहा नाज एवं विधि संकाय के 400 से अधिक छात्रों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला को प्रो० नरेन्द्र सिंह भण्डारी कुलपति सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, श्री रविशंकर मिश्रा सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अल्मोड़ा, प्रो० जे०एस० बिष्ट विभागाध्यक्ष एवं संकायाध्यक्ष विधि विभाग, श्री अरूणो राज सिंह शोध छात्र विधि संकाय, सुश्री अराफीन, सुश्री नेहा पन्त, श्री भगवान सिंह चौहान, एलएल0बी चतुर्थ सेमेस्टर के छात्र एवं शुभम मित्रा द्वितीय सेमेस्टर के छात्र द्वारा सम्बोधित किया जिसमें प्रजातंत्र पर सार्वभौमिक घोषणा, प्रजातंत्र के मूल्यों एवं आदर्शों, भारतीय संविधान के उन प्रावधानों की विविध एवं बहुआयामी उपबन्धों, सशक्त भारतीय प्रजातंत्र के 75 वर्षों की सफल यात्रा एवं उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों के द्वारा प्रजातांत्रिक मूल्यों के अग्रसारण संबंधी निर्णयों एवं प्रजातांत्रिक मूल्यों की संरक्षा के सापेक्ष दिये गये निर्णयों, संविधानिक एवं प्रजातांत्रिक मानकों के आधार पर सीमित सरकार की संकल्पना, न्यायिक उपचारों का प्रजातांत्रीकरण एवं उदारीकरण, लोक हित वादों पर विशद् चर्चा की गयी। त्रिस्तरीय स्थानीय स्वशासन के माध्यम से प्रजातंत्र के विकेन्द्रीकरण तथा भारतीय प्रजातंत्र एवं प्रजातांत्रिक संस्थाओं के समक्ष आ रही चुनौतियों, जैसे भ्रष्टाचार, राजनीति का अपराधीकरण, चुनावों में धनबल एवं जनबल का प्रयोग लोकपाल एवं लोकायुक्तों की नियुक्तियों के न किये जाने, अन्वेषण एवं जॉच एजेन्सियों के कार्यों में हस्तक्षेप न किये जाने, राजनेताओं एवं लोक सेवकों की परिसम्पत्तियों जबरन प्रकटन एवं आय का मूल्यांकन, प्रजातंत्र के विभिन्न संस्थानों, लोक कार्यालयों एवं उपक्रमों में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए सूचना अधिकार का प्रयोग, भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए सूचना अधिकार आदि विषयों पर चर्चा कर वक्ताओं ने विधि छात्रों का आह्वान करते हुए उन्हें अपने शैक्षिक एवं व्यावसायिक कुशलता का प्रयोग प्रजातंत्र एवं प्रजातंत्रिक संस्थाओं की चुनौतियों का सामना करने एवं इन संस्थानों एवं प्रजातंत्रिक अभ्यास में आ रहे दोषों एवं कमियों के खिलाफ यथोचित न्यायिक उपचारों का प्रयोग करने के लिये। आहवान किया, ताकि इन संस्थानों में आ रहे क्षरण को रोकने हेतु यथोचित कार्यवाही की जा सके। कार्यशाला का संचालन नमन जोशी एवं पल्लवी पंत ने किया। कार्यशाला को सफल बनाने के लिए धीरज
गुप्ता की टीम के सार्थक प्रयास सराहनीय रहे।

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