(बड़ी खबर):-परीक्षाओं का सिलसिला पुराना धांधली-मनमानी

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परीक्षाओं में धांधली होना आम होते चला है। राष्ट्रीय पात्रता व प्रवेश परिक्षा (नीट) में हुई कथित धांधलियों की खबरों ने बच्चों समेत उनके माता-पिता को झकझोर कर रख दिया है। देश में पिछले सात साल में पेपर लीक की तकरीबन 70 घटनाएं सामने आई है। नीट परीक्षा में कुछ भी नीट एंड क्लीन नहीं रहा। सीबीएसई भी वर्ष में 2 बार परीक्षाएं लेने वाली है। परीक्षाओं में नकल, चीटिंग, धांधली की घटनाएं होती रहती हैं। कुछ वर्ष पहले मध्यप्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल या व्यापम घोटाला हुआ था। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि छात्र बिना परीक्षा दिए पास हो जाएं?’’हमने कहा, ‘‘परीक्षा देने से बिल्कुल नहीं घबराना चाहिए। हमारे देश में राजा परीक्षित हुए हैं। उन्होंने न जाने कितनी परीक्षाएं दी होंगी! परीक्षा लेना व देना हमारी पुरानी परंपरा रही है। सतयुग में राजा हरिश्चंद्र ने सत्य का इम्तहान दिया था। महर्षि विश्वामित्र ने उनका सत्य परखने के लिए कितने ही कठोर यूनिट टेस्ट लिए थे जिनमें सत्यवादी हरिश्चंद्र पूरी तरह एक्सलेंट ग्रेड में पास हो गए थे।’’पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सतयुग की छोड़ो। वह जमाना कुछ और था।’’ हमने कहा, ‘‘ठीक है, त्रेता युग की बात करते हैं। वही विश्वामित्र जिन्हें आप फ्रेंड ऑफ दि वर्ल्ड कह सकते हैं, राम और लक्ष्मण को अयोध्या के राजभवन से लेकर वन में गए तो उनसे ऋषि-मुनियों को सतानेवाली राक्षसी ताड़का और खर-दूषण को मारने को कहा। यह बड़ी कठिन प्रैक्टिकल परीक्षा थी। राम-लक्ष्मण ने खर-दूषण को 14,000 राक्षसों की सेना समेत मार गिराया। फिर तो कितनी ही चुनौतियां आती चली गईं। मारीच से लेकर रावण, कुंभकर्ण तक सबको ठिकाने लगाना पड़ा। मर्यादा के लिए कठोरतम परीक्षा देने के कारण राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए।’’पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, हम इस समय परीक्षा में होनेवाली धांधली की बात कर रहे हैं जिसमें पेपर लीक, मनमाने ग्रेस मार्क देना, छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ जैसी बातें शामिल हैं।’’ हमने कहा, ‘‘धांधली तो पहले भी हुआ करती थी। द्वापर युग का हाल सुनिए। अर्जुन गुरू द्रोणाचार्य का सबसे प्रिय स्टुडेंट था। वह सीधे चिड़िया की आंख को निशाना बनाता था। अर्जुन को मेरिट में पास कराने के लिए द्रोणाचार्य ने अतिकुशल धनुर्धर एकलव्य का अंगूठा गुरुदक्षिणा में मांग लिया था। उसने अंगूठा काटकर दे भी दिया। आज का छात्र होता तो गुरू को अंगूठा दिखा देता।’’पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, इतनी चर्चा के बाद हम समझ गए कि परीक्षाओं का सिलसिला कभी खत्म नहीं होता। हमें पुराना फिल्मी गीत याद आ गया जिसके बोल हैं- जिंदगी इम्तहान लेती है, आशिकों की जान लेती है!’ मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट 2024 में हुई धांधलियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट लगातार एक्शन ले रहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 8 जुलाई को होने वाली है। कोर्ट ने कहा कि नीट यूजी एग्जाम 2024 के बाद नीट पेपर लीक से जुड़ी जितनी याचिकाएं कोर्ट में लगाई गई हैं उन सभी याचिकाओं पर 8 जुलाई को सुनवाई होगी। इस बीच 23 जून को एनटीए नीट का एग्जाम दोबारा करा रहा है। ये परीक्षा उन विद्यार्थियों के लिए हो रही है जिनको ग्रेस नंबर दिए गए थे।इस बीच खबर है कि नीट यूजी काउंसलिंग 2024 की शुरुआत 6 जुलाई से हो सकती है। बता दें कि कोर्ट ने नीट यूजी काउंसलिंग पर रोक नहीं लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर काउंसलिंग के बाद ये साबित होता है कि नीट का पेपर लीक हुआ या धांधली हुई थी तो परीक्षा रद्द की जा सकती है। बता दें कि नीट रिजल्ट 2024 में गड़बड़ी को लेकर देशभर में किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर 14 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। याचिका में सीबीआई जांच की मांग की गई थी। कोर्ट में यह सुनवाई तब हुई जब एनटीए ने ग्रेस माक्र्स वाले 1563 छात्रों के रिजल्ड को निरस्त कर दिया था पिछले कुछ वर्षों से भारत के कुछ राज्यों में पेपर लीक की घटनाओं में व्यापक बढ़ोतरी देखने को मिलती रही है। ऐसी घटनाओं से न केवल परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता, निष्पक्षता एवं विश्वसनीयता में कमी हुई है बल्कि छात्रों के भविष्य पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पेपर लीक की बढ़ती घटनाएं वर्षों से समाज की चिंता का मुख्य विषय रहे हैं। ऐसे मामले किसी भी राष्ट्र की शिक्षा और शिक्षा नीति की प्रतिष्ठा पर सवालिया निशान खड़ा करते हैं। पेपर लीक होने से शिक्षा क्षेत्र की प्रतिष्ठा को क्षति पहुंचती है, वहीं लोगों के मन में शिक्षा प्रणाली के प्रति भरोसे में कमी आती है। शिक्षा जगत का यह संकट मूलतः विद्यार्थियों के भविष्य से जुड़ा है। विधेयक के उद्देश्य में लिखा भी है कि सार्वजनिक परीक्षाओं में कदाचार के कारण देरी होती है और परीक्षाएं रद्द हो जाती हैं, जिससे लाखों युवाओं की संभावनाओं पर प्रतिकूल असरपड़ताहै। इस कानून के तहत उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी जो परीक्षा की पारदर्शी प्रणाली के साथ छेड़छाड़ करेंगे। कानून का उद्देश्य सार्वजनिक परीक्षा प्रणालियों में पारदर्शिता निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना है और युवाओं को आश्वस्त करना है कि उनके ईमानदार और वास्तविक प्रयासों को उचित पुरस्कार मिलेगा और उनका भविष्य सुरक्षित रहेगा। पेपर लीक के मामलों से उच्चतम शिक्षा संस्थानों की प्रतिष्ठा को जो क्षति पहुंची है वह फिर से स्थापित होगी। योग्यता, प्रतिभा और परिश्रम के आधार पर छात्रों को विषय पढ़ने तथा रोजगार का विकल्प चुनने का अवसर मिलेगा। सरकार ने अपना काम तो कर दिया, अब नागरिकों को इस दिशा में कदम बढ़ाने की जरूरत है क्योंकि कुछ राज्यों में नकल एक उद्योग की तरह फलता-फूलता रहा है। खासकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में तो बोर्ड परीक्षाओं के दौरान नकल माफियाओं द्वारा बाकायदा रेट तय किए जाते रहे हैं। इसलिए भी कानूनी पहलू से इतर नैतिक रूप से जागृत होकर हमें इसे अपने भीतर लागू करना होगा तभी यह कानून ज्यादा सार्थक, असरदार और स्थाई होगा। तभी परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों पर अंकुश लग पाएगा। नकल एक उद्योग की तरह फलता-फूलता रहा है। खासकर बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र में तो बोर्ड परीक्षाओं के दौरान नकल माफियाओं द्वारा बाकायदा रेट तय किए जाते रहे हैं। इस समय प्रतियोगी परीक्षाओं में गलत साधनों के इस्‍तेमाल को रोकने के लिए खास कानून नहीं है. इसलिए भी कानूनी पहलू से इतर नैतिक रूप से जागृत होकर हमें इसे अपने भीतर लागू करना होगा तभी यह कानून ज्यादा सार्थक, असरदार और स्थाई होगा। तभी परीक्षाओं में होने वाली गड़बड़ियों पर अंकुश लग पाएगा।
(इस लेख में लेखक डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं।)

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