आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में विज्ञान, अनुसंधान और कौशल विकास की भूमिका पर संवाद का किया आयोजन
आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में विज्ञान, अनुसंधान और कौशल विकास की भूमिका पर संवाद का आयोजन किया
किसी भी देश का विकास वहां के लोगों के विकास से जुड़ा होता है : डॉ राणा
हल्द्वानी। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में विज्ञान, अनुसंधान और कौशल विकास की भूमिका पर एमआईईटी कुमाऊं परिसर में संवाद का आयोजन किया गया। डॉ. अनीता रावत (निदेशक यूएसईआरसी, देहरादून), डॉ. बी.एस. बिष्ट (प्रबंध निदेशक, एमआईईटी कुमाऊं) एवं डॉ. जगमोहन सिंह राणा (प्रोफेसर फिजिक्स, एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय) ने संवाद में पैनलिस्ट के रूप में उपरोक्त विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किये।
डॉ राणा के अनुसार किसी देश का विकास वहां के लोगों के विकास से जुड़ा होता है। इसे देखते हुए यह आवश्यक है कि जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विज्ञान-प्रौद्योगिकी एवं शोध कार्य की महत्वपूर्ण भूमिका हो। कोई भी देश विकास के पथ पर तभी आगे बढ़ सकता है जब उसकी भावी पीढ़ी के लिए सूचना और ज्ञान आधारित वातावरण हो और उच्च शिक्षा स्तर पर अनुसंधान और अनुसंधान के लिए पर्याप्त संसाधन उपलब्ध हों। आज का युग तकनीकी है और ज्ञान प्रबंधन द्वारा संचालित है। ऐसे में रिसर्च एंड डेवलपमेंट की ग्रोथ ही देश को मुनाफे के रास्ते पर आगे ले जाएगी। युवाओं को इनोवेशन और एन्त्रेप्रेंयूर्शिप से जोड़ना भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक कदम साबित होगा।
इसी क्रम में संवाद को आगे बढ़ाते हुए डॉ अनीता रावत ने यूसर्क द्वारा प्रदेश में विज्ञान प्रसार के लिए राज्य के माध्यमिक विद्यालयों में 130 विज्ञान चेतना केन्द्रों, राज्य के समस्त जनपदों में विद्यार्थियों वैज्ञानिक अभिरूचि एवं वैज्ञानिक चेतना विकसित करने हेतु स्टेम प्रयोगशालाओं की स्थापना एवं कौशल विकास द्वारा उद्यमियता को बढ़ावा देने के लिए सॉइल साइंस, एग्रोनॉमी, फिशरीज, ऑर्गेनिक फार्मिंग, मशरूम, मुर्गीपलन, वर्मी कंपोस्टिंग, पशुपालन आदि पर विकशित केंद्रों की जानकारी दी।
इसके साथ ही डॉ रावत ने इस बात पर जोर दिया कि आत्मनिर्भर भारत के लिए सभी सरकारी और गैर सरकारी संगठन ट्रिपल सी (कोलैबोरेशन, कोऑपरेशन एंड कम्युनिकेशन) के साथ मिलकर इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप पर काम करें।
डॉ. बी. एस. बिष्ट, प्रबंधन डायरेक्टर, एम आई ई टी कुमाऊं द्वारा भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए युवाओ को नवाचार के साथ स्थानीय संसाधनों के दोहन कर उद्यमी बनने पर जोर दिया। साथ ही उच्च शिक्षण संस्थानों को स्थानीय समस्याओ पर अनुसंधान एवम नवाचार के माध्यम से दूर करने की सलाह दी। संवाद में डॉ. तरुण सक्सेना, डॉ. कमल रावत, डॉ रीतू तेवतिया, उषा पाल, एम आई ई टी कुमाऊं के शिक्षक एवम स्टाफ आदि उपस्थित थे।