कुमाऊं विश्वविद्यालय में आयुर्वेदिक पौधों के अमूल्य गुणों के शोधों पर विस्तार में हुई चर्चा-प्रो.ललित तिवारी
कुमाऊं विश्वविद्यालय के डी. एस. बी.परिसर नैनीताल में ‘ स्टेटस एंड ऑपर्च्युनिटी इन मेडिकल प्लांट रिसर्च एंड नैचुरल प्रोडक्ट ‘ विषय पर शोध एवम् प्रसार निदेशालय ,कुमाऊं विश्विद्यालय नैनीताल द्वारा आयोजि एवम् यु- कॉस्ट देहरादून द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय संगोष्ठी के दूसरे दिवस प्रो. ललित तिवारी द्वारा सभी का स्वागत किया गया । आमंत्रित वक्ता डॉ. आशीष तिवारी द्वारा . च्यूरा पौधे के महत्व के विषय में विस्तार से बताया,उन्होंने कहा कि यह पौधा ओषधीय गुण के साथ साथ घी भी देता है,इसके साथ ही उनके द्वारा बुरांश का रिजनरेशन वर्क प्रजातियों में बेहतर है। डॉ.सचेतन साह आमंत्रित वक्ता द्वारा अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि औषधीय पौधों पर सबसे ज्यादा प्रकाशन बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा किया गया है तथा उत्तराखंड में पंडित गोविंद वल्लभ पंत,राष्ट्रीय पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल,अल्मोड़ा प्रथम स्थान पर है ,उन्होंने पौधों से संबंधित प्रकाशनों पर विशेष जोर दिया। डॉ.महेश आर्या द्वारा अपना आमंत्रित व्याख्यान नैनोटेकनोलॉजी पर दिया उन्होंने औषधि लेने के परंपरागत तरीके एवम् नैनोटेक्नोलॉजी के तरीके पर विस्तार से व्याख्यान दिया एवम् दोनों ही तरीकों के लाभ v हनियों को विस्तार से समझाया साथ ही उन्होंने युवा शोधार्थियों को इस तरफ शोध करने के लिए अभिप्रेरित किया। अन्य आमंत्रित वक्ता में डॉ.बलाम सिंह बिष्ट एवम् डॉ.रविन्द्र कुमार द्वारा पौधों के रासायनिक गुणों पर प्रकाश डाला। युवा शोधार्थियों में अंकिता तिवारी, भावना कन्याल,रजनी कुमारी,वसुंधरा लोधियाल,हिमानी वर्मा,अजय कुमार ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए।आज उत्कृष्ट प्रस्तुतिकरण के लिए प्रथम पुरस्कार शीतल ओली, डी एस बी परिसर नैनीताल, द्वितीय पुरस्कार अंकिता त्रिपाठी,भीमताल परिसर,तृतीय पुरूस्कार वसुंधरा लोधियाल एवम् सांत्वना पुरस्कार शोभा उप्रेती, एस एस जे विश्वविद्यालय,अल्मोड़ा को दिया गया । निदेशक शोध एवम् प्रसार द्वारा सभी को पुरस्कार एवम् प्रमाण पत्र वितरित किए गए ,तथा विजेताओं को प्रतीक चिन्ह,मेडल एवम् पट्टा पहनाकर सम्मानित किया गया । आज
के निर्णायक मंडल में डॉ.आशीष तिवारी, डॉ.दीपिका गोस्वामी एवम् डॉ.सचेतन साह रहें। निर्णायकों को पुष्पगुच्छ एवम् स्मृति चिह्न देकर उनका अभिनंदन किया गया। प्रो.ललित तिवारी बताया गया कि संगोष्ठी के निष्कर्ष रहें कि औषधीय पौधों को खेती में शामिल किया जाए जिससे पलायन रुकेगा , इन पौधों के लिए सरकार स्पष्ट नीति बनाए एवम् पहाड़ी क्षेत्रों का वातावरण औषधीय पौधों के अनुकूल हो। संगोष्ठी का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।
आज प्रो.ओमप्रकाश, , डॉ.हर्ष चौहान, डॉ.कपिल खुलबे, डॉ.गीता तिवारी, डॉ. पेनी जोशी, डॉ.सचेतन साह, डॉ.विजय कुमार, डॉ.महेश आर्या, डॉ.आशीष तिवारी, डॉ.दीपिका गोस्वामी, डॉ.हिमांशु लोहनी,दिव्या पांगती, डॉ.नवीन पांडेय, निर्मित साह ,नंदा बल्लभ पालीवाल ,कुंदन बिष्ट,दीपक बिष्ट , शीतल कोरंगा,दिशा पांडेय,पीयूष पांडेय,गीतांजलि उपाध्याय,वसुंधरा लोधीयाल,नेहा चोपड़ा डॉ. प्रभा पंत ,अंजलि इत्यादि रहें।