07 से 09 अप्रैल तक ऋषिकेश में ‘’जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत – जल एवं ऊर्जा सुरक्षा के लिए हाइड्रो पावर और बांधों के विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’’

ख़बर शेयर करें

ऋषिकेश- भारत में 5334 बड़े बांध बनाए गए हैं जिनमें भाखड़ा, हीराकुंड, टिहरी और सरदार सरोवर जैसे बांध शामिल हैं। वर्तमान में लगभग 411 बांध निर्माणाधीन हैं। भारत संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद दुनिया में बड़े बांधों की संख्या के मामले में तीसरे स्थान पर है और सिंचाई के मामले में दूसरे स्थान पर है। भारत की जल विद्युत क्षमता कुल बिजली उत्पादन क्षमता का 13.10% है। यह विश्व में जल विद्युत का 7 वां सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में बांध उद्योग ने देश की जल एवं विद्युत की मांग पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, परन्तु अभी भी भारत में जनसंख्या वृद्धि, शहरीकरण, उपयोग के पैटर्न में बदलाव और जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव के कारण अतिरिक्त जल भंडारण की आवश्यकता का दबाव बना हुआ है।

किसी राष्ट्र के विकास के लिए जल संसाधन और ऊर्जा क्षेत्र दो प्रमुख क्षेत्र हैं। इन क्षेत्रों में विश्व भर में अर्जित किए गए अनुभवों और विशेषज्ञता को समुचित रूप से साझा करते हुए इनका प्रचार-प्रसार किया जाना चाहिए जिससे कि पूरे देश में इनका उपयोग कर सभी इनका लाभ उठा सकें। इस दायित्व का निर्वाह करने में कमेटी ऑफ द इंटरनेशनल कमीशन ऑन लार्ज डैम, इंडिया (इनकोल्ड) महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

भारत जल, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो कि पर्याप्त भंडारण से ही संभव है। बांध बड़े आकार के भंडारों का निर्माण करने में मदद करते हैं। जलवायु परिवर्तन से जुड़े जोखिमों के प्रभाव का सामना करने के लिए भारत को पर्याप्त भंडारण क्षमताओं का निर्माण करना होगा। सतत विकास के लिए भारत के एजेंडा में जल अवसंरचनाओं और बांधों के विकास पर बल दिया जाना चाहिए। भारत नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए हमेशा तत्पर है क्योंकि यह जल क्षेत्र में निवेश कर सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाकर लाभ अर्जित कर रहा है। भारत में नदियों को आपस में जोड़ने के विशाल कार्यक्रम की शुरूआत हो रही है जिससे भंडारण बांधों और इनसे जुड़ी संरचनाओं से लंबी दूरी के जल अंतरण में मदद मिलेगी ।

जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत जल और ऊर्जा सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बांधों और जलविद्युत के सतत विकास पर ध्यान केंद्रित करने के उद्देश्य से इनकोल्ड, सीबीआईपी एवं टीएचडीसी इंडिया लिमिटेड, केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), जल शक्ति मंत्रालय, केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, विद्युत मंत्रालय के सहयोग से इंटरनेशनल कमीशन ऑन लार्ज डैम (आईकोल्ड) एवं इंटरनेशनल कमीशन ऑन इरीगेशन एंड ड्रेनेज (आईसीआईडी) के बैनर तले ऋषिकेश में 07 से 09 अप्रैल, 2022 तक हाईब्रिड इवेंट के रूप में ‘’जलवायु परिवर्तन के अंतर्गत – जल एवं ऊर्जा सुरक्षा के लिए हाइड्रो पावर और बांधों के विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन’’ का आयोजन किया जा रहा है । उपर्युक्त सम्मेलन का आयोजन बांध और जल विद्युत अभियांत्रिकी के क्षेत्रों में भारतीय और अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता रखने वाले पेशेवरों और एजेंसियों को बांध और जलविद्युत के सतत विकास, जल और ऊर्जा सुरक्षा के लिए बांध एवं जल विद्युत विकास, जलवायु परिवर्तन के कारण प्रतिकूल विषम परिस्थितियों, सरकार की नीतियों, पर्यावरणीय एवं सामाजिक आर्थिक पहलुओं, प्राकृतिक खतरों एवं जोखिमों को दूर करने, पंप स्टोरेज विकास – वर्तमान प्रचलन एवं भावी चुनौतियों एवं बांध सुरक्षा प्रबंधन आदि पर अपने अनुभवों, विचारों और नवीनतम विकास को साझा करने का उत्कृष्ट अवसर प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त यह एक दूसरे के लाभ के लिए विभिन्न देशों के विश्व के जाने माने बांध विशेषज्ञों और बांध निर्माण, प्रबंधन और प्रचालन और रखरखाव में शामिल वैश्विक संगठनों के साथ नेटवर्किंग का अवसर भी प्रदान करेगा।

15 देशों के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बांध विशेषज्ञों से 70 तकनीकी पेपर पढ़ने के लिए प्राप्त हुए हैं, जिनमें से 42 पूरे सत्र और 06 तकनीकी सत्रों के दौरान प्रस्तुत किए जाएंगे, जो निश्चित रूप से इस विषय पर ज्ञान के नए आयाम जोड़ेंगे। इस आयोजन में किए जाने वाले विचार-विमर्श में भारत और विदेशों से 350 से अधिक प्रतिभागी भाग ले रहे हैं।

सम्मेलन का उद्घाटन श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, माननीय जल शक्ति मंत्री, मुख्य अतिथि के रूप में ऑनलाइन किया। माननीय विद्युत और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री, श्री आर.के. सिंह ने उद्घाटन समारोह के दौरान बांध और जल विद्युत व्यवसायों की भव्य सभा को ऑनलाइन संबोधित किया।

यह सम्मेलन 07 से 08 अप्रैल, 2022 को ऋषिकेश में फिजीकली आयोजित किया जा रहा है जिसमें 104 आईकोल्ड सदस्य देशों के बांध पेशेवर इसमें वर्चुअली शामिल होंगे । इसके बाद टिहरी बांध स्थल का दौरा किया जाएगा ।

You cannot copy content of this page