भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता समृद्ध क्षेत्रों की पहचान करना
आज दिनांक 27 मई, 2021 को गोविन्द बल्लभ पन्त राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान द्वारा इन-हाउस-4 परियोजना के सहयोग से एक दिवसीय वेबिनार का आयोजन किया गया। यह वेबिनार “भारतीय हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता समृद्ध क्षेत्रों की पहचान करना” विषय पर किया गया। कार्यक्रम की शुरूआत करते हुए संस्थान के जैव विविधता सरंक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र के प्रमुख डाॅ0 आई0डी0 भट्ट ने जैव विविधता संरक्षण के क्षेत्र में संस्थान द्वारा किये गये कार्यो से सभी प्रतिभागियों को अवगत कराते हुए इसे एक दिवसीय वेबिनार में स्वागत किया।
जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन केन्द्र के वैज्ञानिक डाॅ0 के0 चन्द्रसीकर ने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा से विषेषज्ञों को अवगत कराया। कार्यक्रम को दो तकनीकी सत्रों में बाॅंटा गया। जिसमें पहले सत्र में पष्चिमी हिमालयी क्षेत्र एवं द्वितीय सत्र में पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में जैव विविधता समृद्ध क्षेत्रों की पहचान की गई जो कि संरक्षित क्षेत्रों के बाहर हो।
कार्यक्रम अध्यक्ष भारतीय वन्यजीव संस्थान के पूर्व निदेषक डाॅ0 जी0एस0 रावत ने अपने उदघाटन सत्र में कहा कि हमें जैव-भौगोलिक कार्यक्षेत्र की पहचान करने की आवष्यकता है साथ ही वनस्पतियों के लिए विषेष क्षेत्र की पहचान की भी आवष्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें शोध कार्यो को वन विभाग से साझा करना चाहिए।
संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ0 जी0सी0एस0 नेगी ने जैव विविधता संरक्षण एवं प्रबंधन हेतु वन विभाग से तालमेल करने की बात कही।
कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए एच0एफ0आर0आई0 के निदेषक डाॅ0 एस0एस0 सामन्त ने कहा कि स्थानिक, स्थानिक विषेष और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण प्रजातियों को मूल्यांकन करने में वरीयता देने की आवष्यकता है। साथ ही इन प्रजातियों के निवास स्थान के अवक्रमण की वजहों की पहचान करने की ओर भी ध्यान देने की जरूरत है। इसी कार्यक्रम में बी0एस0आई0 के निदेषक डाॅ0 ए0एस0 माओ ने कहा कि आजीविका को जैव विविधता की मुख्यधारा से जोड़ना जरूरी है। जैव विविधता समृद्ध क्षेत्रों की पहचान करने के लिए मापदंड निर्धारित करने की आवष्यकता है।
प्रथम सत्र के अध्यक्ष डाॅ0 जी0एस0 रावत एवं द्वितीय सत्र के अध्यक्ष डाॅ0 ए0ए0 माओ थे। इन तकनीकों सत्रों में विषेषज्ञों की दो टीम बनाई गई जिसमें सभी विषेषज्ञों ने पष्चिमी एवं पूर्वी भारतीय हिमालयी क्षेत्रों के जैव विविधता समृद्ध क्षेत्रों के बारे में चर्चा की और उनकी पहचान के तरीके बताने के साथ-साथ क्षेत्र के संरक्षण एवं प्रबंधन पर भी जोर दिया।
कार्यक्रम के समापन सत्र में डाॅ0 एस0एस0 सामन्त, डाॅ0 ए0ए0 माओ, प्रो0 ए0पी0 दास और प्रो0 एम0एल0 खान ने हिमालय के जैव विविधता बहुल क्षेत्रों की पहचान को संस्थान की तरफ से एक महत्वपूर्ण शुरूवात बताया और ज्यादा से ज्यादेा विषेषज्ञ परामर्ष बैठक करवाने की बात कही ताकि सही जानकारी मिल सके और उनका संरक्षण किया जा सके।
वेबिनार में डाॅ0 बी0एस0 खोलिया, डाॅ0 जी0सी0 जोषी, डाॅ0 बी0एस0 अधिकारी, डाॅ0 ए0ए0 खुराओ, डाॅ0 एस0के0 उनियाल, डाॅ0 के अम्बरीष, डाॅ0 श्रीकर पन्त, डाॅ0 ए0पी0 दास, डाॅ0 एम0एल0 खान, डाॅ0 उमा षंकर, डाॅ0 एम0डी0 बहेरा, डाॅ0 बी0के0 आचार्या, डाॅ0 वी0के0 रावत, डाॅ0 ओ0पी0 त्रिपाठी, डाॅ0 एस0 तनजंग, डाॅ0 उमेष तिवारी, डाॅ0 ए0 क्षेत्री, डाॅ0 डी0जे0 दास, डाॅ0 एल0आर0 भूयान आदि विेषेषज्ञ वेबिनार के माध्यम से उपस्थित थे।
कार्यक्रम के समापन पर संस्थान के वैज्ञानिक डाॅ0 विक्रम सिंह नेगी ने सभी प्रतिभागियों को कार्यक्रम सफल बनाने के लिए धन्यवाद दिया।