शारदीय नवरात्र में ब्रह्म एवं शुक्ल योगों का बन रहा है अद्भुत संयोग,आइये जानते हैं ?
इस बार शारदीय नवरात्र में ब्रह्म एवं शुक्ल योगों का अद्भुत संयोग बन रहा है।हाथी पर सवार होकर आऐंगी माता रानी।,,,,,,
शुभ मुहूर्त–इस बार शारदीय नवरात्र का प्रारंभ दिनांक 26 सितंबर 2022 दिन सोमवार से होगा यदि तिथि की बात करें तो इस दिन प्रतिपदा तिथि 52 घड़ी 37 पल अर्थात अगले दिन प्रातः 3:08 बजे तक रहेगी यदि नक्षत्रों की बात करें तो इस दिन हस्त नामक नक्षत्र अहोरात्र तक रहेगा। बात यदि योग की करें तो इस दिन चार घड़ी 48 पल अर्थात प्रातः 8:06 बजे तक शुक्ल योग तदोपरांत ब्रह्म योग रहेगा। बात यदि चंद्रमा की स्थिति की करें तो इस दिन चंद्रदेव पूर्णरूपेण कन्या राशि में विराजमान रहेंगे।
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ होता है। उससे ठीक 1 दिन पहले यानी आश्विन कृष्ण पक्ष अमावस्या को पितृगण विदा हो जाते हैं। जिसके तुरंत बाद दुर्गा माता का आगमन होता है। पहले नवरात्र को कलश स्थापना के साथ पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है जैसा कि दुर्गा सप्तशती में उल्लेख किया गया है प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चंद्रघंटेत कुष्मांडलेति चतुर्थकम।। पंचमं स्कंदमातेति षष्टं कात्यायनीती च। सप्तम कालरात्रि च महागौरीतिचाष्ठमं।। नवम सिद्धिदात्री च। नवदुर्गा प्रतेतिता।। अर्थात पहली नवरात्र को मां शैलपुत्री की पूजा द्वितीय नवरात्र को ब्रह्मचारिणी की पूजा तीसरे नवरात्रि को माता चंद्रघंटा की पूजा चौथे नवरात्र को माता कुष्मांडा की पूजा पांचवा नवरात्र को स्कंदमाता की पूजा छठे नवरात्र को कात्यायनी माता की पूजा सातवें नवरात्रि को माता कालरात्रि की पूजा आठवीं नवरात्रि को महागौरी की पूजा एवं नवी नवरात्र को माता सिद्धिदात्री की पूजा मां दुर्गा के नौ स्वरूप की पूजा की जाती है। कलश स्थापना के साथ पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है इस वर्ष 2022 में शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ दिनांक 26 सितंबर दिन सोमवार से हो रहा है। एक महत्वपूर्ण बात पाठकों को बताना चाहूंगा कि इस वर्ष मां दुर्गा हाथी की सवारी पर धरती लोक में पधारेंगे।। जिस दिन से नवरात्रि का प्रारंभ होता है उसी दिन के अनुसार माता अपनी सवारी अपने वाहन पर सवार होकर आती है। माता अपने भक्तों को एक विशेष प्रकार की सांकेतिक सूचना भी देती है। देवी भागवत पुराण में मां दुर्गा की सवारी के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। जिससे आप यह पता लगा सकते हैं कि किस दिन किस सवारी से माता धरती पर पधारती है। जिस संबंध में एक महत्वपूर्ण श्लोक लिखा है।
शशि सूर्य गजरूढा शनिभौमे तुरंग मे ।
गुरौशुक्रेच दौलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता।।
अर्थात इस श्लोक के अनुसार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से प्रारंभ होती है तो माता हाथी पर विराजमान होकर आती है। यदि नवरात्रि शनिवार या मंगलवार से प्रारंभ हो तो माता की सवारी घोड़ा होती है। वहीं यदि शुक्रवार और गुरुवार को नवरात्रि प्रारंभ हो तो माता रानी डोली में आती है। और अंत में यदि नवरात्रि प्रारंभ बुधवार से हो तो माता का आगमन नौका पर होता है। वैसे माता का मुख्य वाहन सिंह है।
इसी प्रकार अनेक वाहनों पर सवारी का अर्थ भी भिन्न-भिन्न होता है अर्थात हाथी की सवारी का अर्थ सांकेतिक अधिक वर्षा माना जाता है। इसका अर्थ है कि इस बार वर्षा अधिक होगी। जिसके प्रभाव से चारों ओर हरियाली होगी। इससे फसलों पर भी अच्छा प्रभाव पड़ता है इससे देश में अन्न के भंडार भी भरे रहेंगे। साथ ही धन-धान्य में वृद्धि होगी एवं संपन्नता आएगी ठीक इसी प्रकार इस साल शारदीय नवरात्रि का समापन दिनांक 4 अक्टूबर दिन मंगलवार को होगा।
दिनांक 5 अक्टूबर 2022 दिन बुधवार को विजयादशमी पर्व मनाया जाएगा।
अब प्रिय पाठकों को बताना चाहूंगा कि इस बार नवरात्रि को किस तिथि को कौन देवी की पूजा होगी।
दिनांक 26 सितंबर माता शैलपुत्री
27 सितंबर माता ब्रह्मचारिणी
28 सितंबर माता चंद्रघंटा
29 सितंबर माता कुष्मांडा
30 सितंबर माता स्कंदमाता
1 अक्टूबर माता कात्यायनी
2 अक्टूबर माता कालरात्रि
3 अक्टूबर माता महागौरी
तथा दिनांक 4 अक्टूबर दिन मंगलवार को माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाएगी। एवं दिनांक 5 अक्टूबर दिन बुधवार को विजयादशमी का पर्व मनाया जाएगा। आप सभी को सपरिवार शारदी नवरात्रि एवं विजयादशमी पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।
लेखक पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल।