राजकीय महाविद्यालय, शीतलाखेत, अल्मोड़ा में संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष्य पर संस्कृत दिवस का किया गया आयोजन

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राजकीय महाविद्यालय, शीतलाखेत, अल्मोड़ा में आज दिनांक 16 अगस्त 2024 को संस्कृत सप्ताह के उपलक्ष्य पर संस्कृत दिवस का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ ज्ञान की अधिष्ठात्री मां सरस्वती की वंदना सहित दीपक प्रज्ज्वलित कर किया गया। इसके पश्चात् कार्यक्रम में आए हुए अतिथियों का स्वागत सहित महाविद्यालय की छात्र-छात्राओं ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया और उसके पश्चात संस्कृत दिवस कब से मनाया जाता है क्यों मनाया जाता है संस्कृत भाषा का महत्व आदि पर संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ प्रकाश चंद्र जांगी ने कहा कि संस्कृत समस्त भारतीय भाषाओं की जननी है आज संस्कृत के क्षेत्र में विभिन्न शोध कार्य चलाए जा रहे हैं जिसके अंतर्गत ए०आई० आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए कोडिंग के लिए कंप्यूटर के लिए सबसे उपयुक्त भाषा संस्कृत को ही वैज्ञानिकों के द्वारा बताया गया है। संस्कृत में सबसे ज्यादा शब्दों का भंडार है आज नैतिक शिक्षा, अध्यात्म शिक्षा, योग शिक्षा आयुर्वेद शिक्षा ज्योतिष शिक्षा आदि संस्कृत साहित्य में ही निहित है अतः आज आवश्यकता है छात्र-छात्राओं को इसका अध्ययन करने की संस्कृति के बतलाए हुए मार्ग पर चलने की और संस्कृत से अपनी संस्कृति को समृद्ध करने की।
इस अवसर पर संस्कृत विभाग की ओर से विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया जिसमें संस्कृत आशुभाषण प्रतियोगिता, श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता, समूह नृत्य प्रतियोगिता, एकल नृत्य प्रतियोगिता, गीतगायन प्रतियोगिता, संस्कृत सामान्यज्ञान प्रतियोगिता आदि का आयोजन किया गया और प्रतियोगिताओं में विजित प्रथम द्वितीय तृतीय स्थान प्राप्त छात्र-छात्राओं को महाविद्यालय के द्वारा पुरस्कृत भी किया गया।
इस अवसर पर अर्थशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो० अनुपमा तिवारी ने कहा कि 1969 से संस्कृत दिवस प्रत्येक वर्ष श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है इस दिन से प्राचीन काल में वेदों का शास्त्रों का अध्ययन अध्यापन प्रारंभ किया जाता था छात्र-छात्राओं का उपनयन संस्कार किया जाता था अतः आज हम सभी को संस्कृत दिवस के साथ-साथ संस्कृत के संवर्धन प्रचार प्रसार के लिए प्रयास करना चाहिए।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो०ललन प्रसाद वर्मा ने कहा कि परमाणु बम के आविष्कारक ओपन हाईमर ने भी गीता को उद्धृत करते हुए कहा है कि मैंने परमाणु बम के आविष्कार की प्रेरणा भगवद्गीता गीता से प्राप्त की है ।और उन्होंने प्रो० जगदीश चंद्र बसु का उदाहरण लेते हुए भी संस्कृत को बहुत ही समृद्धशाली भाषा बतलाया।
हिंदी की विभागाध्यक्षा डॉ० दीपिका आर्या ने कहा कि संस्कृत से ही पालि प्राकृत अपभ्रंश हिंदी आदि भाषाओं का प्रादुर्भाव हुआ है और इन सभी भाषाओं के मूल में संस्कृत ही विद्यमान है।
इस अवसर पर प्रो० ललन प्रसाद वर्मा प्रो० अनुपमा तिवारी डॉ० प्रकाश चंद्र जांगी डॉ०दीपिका आर्या डॉ० दिवाकर टम्टा डॉ० खीमराज जोशी, अनुज कुमार, रमेश राम, विनोद कुमार, हेमंत मनराल, कमल बनकोटी सहित समस्त छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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