संस्कृत विभाग, डी०एस०बी०परिसर, कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में “संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता” में हर्षित जोशी ने प्राप्त किया प्रथम स्थान

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संस्कृत विभाग,डी०एस०बी०परिसर, कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल द्वारा संस्कृत दिवस के उपलक्ष्य में दि०१२अगस्त को विभिन्न प्रतियोगिताएं करायी गयी जिनका परिणाम आज १३अगस्त के संस्कृतकार्यक्रम में घोषित किया गया।
“संस्कृत ज्ञान प्रतियोगिता” में – १८विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया जिसमें प्रथम स्थान -हर्षित जोशी,
द्वितीय स्थान- रक्षिता पाण्डे और‌ भूमिका बिष्ट, तृतीय स्थान-निकिता जोशी, देवांशी गंगवार, प्रगति गंगवार ने प्राप्त किया।
भाषण प्रतियोगिता का विषय- “वर्तमान सन्दर्भ में संस्कृत की उपादेयता ” जिसमें ९ विद्यार्थियों ने भाग लिया- प्रथम स्थान में-नकुलदेव साह, द्वितीय स्थान- श्वेता पन्त, तृतीय स्थान पर दीक्षा पाण्डे रही।
श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता में ९ विद्यार्थियों ने भाग लिया जिसमें प्रथम स्थान- रक्षिता पाण्डे, द्वितीय स्थान पर नकुलदेव साह तथा तृतीय स्थान पर दीक्षा पाण्डे और श्वेता पन्त रही।
पोस्टर प्रतियोगिता में ९विद्यार्थियों ने प्रतिभाग किया जिसमें विद्या भण्डारी और पूजा आर्या प्रथम रही। द्वितीय स्थान पर रीतिका मेहता । तृतीय स्थान पर नेहा बुराड़ी और लिपाक्षी रहे। चतुर्थ स्थान में दीक्षा पाण्डे,ज्योति पाठक। प्रोत्साहन पुरस्कार से संजना आर्या और दीपांशी को सम्मानित किया गया।
निबन्ध प्रतियोगिता जिसका विषय “वैदिक अध्ययन”था। इसमें २५ विद्यार्थियों ने निबन्ध लिखकर जमा किये।‌
प्रथम स्थान- पर तनीषा जोशी और श्वेता पन्त,। द्वितीय स्थान पर- दीक्षा पाण्डे और हिमानी जोशी रहीं।
तृतीय स्थान पर- गीतिका बिष्ट और विद्या भण्डारी रहीं। चतुर्थ स्थान पर लिपाक्षी और रीतिका मेहता रहीं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि -प्रो०नीता बोरा शर्मा,परिसर निदेशक ने अपने उद्बोधन में संस्कृत कार्यशाला जिसमें वर्णों,शब्दों का शुद्ध उच्चारण कैसे किया जाय ,श्लोकों को कैसे पढ़ा जाय ,मन्त्रों का सही उच्चारण कैसे किया जाय यह सिखाया जा सके। विद्यार्थियों को मार्गदर्शन के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु आशीर्वाद दिया।
सारस्वत अतिथि -प्रो०पद्म सिंह बिष्ट संकायाध्यक्ष कला ने संस्कृत को अधिक से अधिक विद्यार्थियों को पढ़ने और उसमें निहित ज्ञान को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा दी।
विशिष्ट अतिथि -प्रो० ललित मोहन तिवारी, पूर्व शोध निदेशक, वर्तमान में विजिटिंग प्रोफेसर लेक्चर सीरिज के निदेशक ने अपने उद्बोधन में संस्कृत भाषा की महत्ता, गम्भीरता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्कृत भारत की आत्मा है। जीवन से लेकर अवसान पर्यन्त संस्कृत भाषा का महत्त्व है क्योंकि सारे मन्त्र संस्कृत भाषा में हैं। कोई भी संस्कार हो उसमें पढ़े जाने वाले मन्त्र,श्लोक संस्कृत में ही है। संस्कृत शुद्ध,परिष्कृत भाषा है। सबको संस्कृत पढ़ना और समझना आवश्यक है।
आमन्त्रित अतिथि डॉ०गगन दीप होती, संगीत विभागाध्यक्ष ने भी अपनी गरिमामय उपस्थिति से विद्यार्थियों और विभाग का गौरव बढ़ाया।
कार्यक्रम का समापन डॉ०प्रदीप कुमार द्वारा प्रतिभागियों के परिणाम की घोषणा और प्रमाणपत्र वितरण से किया। विभागाध्यक्ष संस्कृत प्रो०जया तिवारी, डॉ० लज्जा भट्ट, डॉ०नीता आर्या, डॉ० सुषमा जोशी ने प्रमाणपत्र वितरित किये। डॉ०लज्जा भट्ट द्वारा प्रतिभागियों को उनके प्रतियोगिता में भाग लेने के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर प्रकाश डाला।
अन्त में सुषमा नेगी स्नातक पंचम सत्रार्द्ध की छात्रा और किरन शोधच्छात्रा ने सभी का आभार व्यक्त किया। शान्तिपाठ -सर्वे भवन्तु सुखिन:, सर्वे सन्त निरामया:। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु , मा कश्चिद् दु:खभागभवेद्।। से समापन किया।

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