कुमाँऊ विश्वविद्यालय नैनीताल में 03 से 09 अक्टूबर तक चलने वाले शॉर्ट टर्म कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट का हुआ समापन
यू0जी0सी0-मालवीय मिशन टीचर ट्रेनिंग सेंटर, कुमाँऊ विश्वविद्यालय, नैनीताल में दिनांक 03 से 09 अक्टूबर तक चलने वाले शॉर्ट टर्म कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट का आज विधिवत् समापन हो गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर एनडीआरएफ 15 बटालियन के कमांडर कमांडेंट सुदेश ड्राल ने प्रतिभागियों को आपदा के विभिन्न प्रकारों के बारे में अवगत कराया। उन्होंने बताया कि आपदा प्रबंधन राज्य प्रबन्धन, राष्ट्र, राज्य, जिला स्तर पर किया जाता है। उन्होंने बताया कि एनडीआरएफ आपदाओं के लिए कुशल बल जिसमें प्रत्येक टीम के साथ चिकित्सा आपातकालीन प्रबंधन में प्रशिक्षित पैरामेडिक्स तैनात रहते हैं। साथ ही न्यूनतम प्रतिक्रिया समय में किसी भी आपदा में पहुुचने के लिए तैयार रहते हैं। इससे पूर्व नेहरू प्रशिक्षण संस्थान, उत्तरकाशी के प्रधानाचार्य कर्नल अंशुमान भदौरिया ने कहा कि नेहरू प्रशिक्षण संस्थान, उत्तरकाशी निम विश्व में सर्वश्रेष्ठ संस्थानों में से एक है। उन्होंने कहा कि यह आम जनता के लिए कई प्रकार के आपदा चक्र प्रतिक्रिया, रिकवरी, स्थान की पहचान, खोज और बचाव के सामान्य कार्य करता है।
एसडीआरएफ के इंसपेक्टर मनोज कुमार रावत ने एसडीआरएफ के कार्यों के बारे में बताया। उन्होंने एसडीआरएफ के कार्यों की एक लघु फिल्म दिखाई। जिसमें एसडीआरएफ के कार्यों की वैकल्पिक संरचना के बारे में बताया तथा वैकल्पिक स्ट्रेचर कैसे बनाएं जाते हैं। ब्लडिंग, सीपीआर, रस्सी से प्रदर्शन व बचाव प्रदर्शन आदि के बारे में विस्तार से बताया। जिप लाईनिंग, रॉक क्लाईम्बिंग के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने उन्होंने बताया कि भारतीय सशस्त्र बल प्राकृतिक और मानव निर्मित आपदाओं के बाद बचाव अभियान चलाकर, चिकित्सा सहायता प्रदान करके और राहत शिविर स्थापित करके आपदा प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे सड़कों और पुलों जैसे महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बहाल करते हैं, और भारतीय वायु सेना प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री और कर्मियों को हवाई मार्ग से पहुंचाती है। सशस्त्र बल समन्वित आपदा प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण जैसे नागरिक अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हैं। इसके अतिरिक्त, वे नागरिकों और अन्य एजेंसियों को प्रशिक्षण देकर आपदा की तैयारी में योगदान देते हैं। आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए उनका त्वरित जुटाव और संगठित प्रयास आवश्यक है।
इस कार्यक्रम में फायर सेफ्टी आफीसर किशोर उपाध्याय के नेतृत्व में अग्निशमन विभाग द्वारा हैण्ड्स ऑन प्रशिक्षण भी दिया गया।
इस कार्यक्रम में प्रो0 आर0के पाण्डे, डा0 अनिल साह, डा0 पियुष रौतेला, प्रो0 पी0सी0 तिवारी, प्रो0 जे0एस0 रावत, डा0 रीतेश साह, डा0 आनन्द शर्मा, डा0 कपिल जोशी द्वारा आपदा से जुड़े विभिन्न आयामों भी व्याख्यान दिये गये।
कार्यक्रम में प्रो0 दिव्या उपाध्याय जोशी, निदेशक द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया तथा कार्यक्रम समन्वयक डा0 रीतेश साह, द्वारा कार्यक्रम के महत्वपूर्ण पक्षों पर प्रकाश डाला गया तथा कार्यक्रम का संचालन डा0 रीतेश साह, सहायक निदेशक द्वारा किया गया। कार्यक्रम पूर्ण होने के प्श्चात् प्रतिभागियों प्रमाणपत्र वितरित किये गये।
इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र, हरियाणा, उत्तराखण्ड, गुजरात, छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, पांडिचेरी आदि राज्यों के 41 प्रतिभागी प्रतिभाग कर रहे हैं।