विश्व जल दिवस वर्ल्ड वाटर डे पर क्या है पानी का महत्व -प्रो.ललित तिवारी
आज 22 मार्च का दिन दुनियाभर में विश्व जल दिवस वर्ल्ड वाटर डे के रूप में मनाया जाता है। पानी का महत्व समझना इसका प्रमुख उद्देश्य है।महत्त्वपूर्ण की पृथ्वी का 71फीसदी हिस्सा पानी से घिरा हुआ है लेकिन उसमें से सिर्फ तीन फीसदी पानी ही पीने लायक है । विश्व के सभी देशों में स्वच्छ एवं सुरक्षित जल की उपलब्धता सुनिश्चित करवाना एवम जल संरक्षण जीवन के सतत विकास हेतु महत्वपूर्ण है । 1992 में ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में पर्यावरण और विकास सम्मेलन आयोजित हुआ और विश्व जल दिवस को मनाए जाने का मुद्दा उठा. इसके बाद सयुंक्त राष्ट्र महासभा ने 1992 में प्रस्ताव को अपनाया और हर साल 22 मार्च को विश्व जल दिवस मनाए जाने की घोषणा की तथ्य 1993 से वर्ल्ड वाटर डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। साल 2010 में यूएन ने सुरक्षित, स्वच्छ पेयजल एवं स्वच्छता के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता दी । 2024 की थीम समृद्धि और शांति के लिए जल संयुक्त राष्ट्र ने रखी है । जल ही जीवन है और जीवन का आधार ही जल है । कबीर ने कहा
पानी केरा बुदबुदा, अस मानुष की जात।
देखत ही छिपि जाएगा, ज्यों तारा परभात।।
संगति भई तो क्या भया, हिरदा भया कठोर।
नौनेजा पानी चढ़ै, तऊ न भीजै कोर।
दान किए धन ना घटै, नदी ना घटै नीर
अपनी आंखों देखिए, यों कथि गए ‘कबीर’।: जल को नीर,पानी,अंबु, तोय आदि नामों से भी जानते है तो रासायनिक रूप से एचटूओ (H2O) कोशिका के सभी प्रमुख घटक (प्रोटीन, डीएनए और बहुशर्कराइड) भी जल में घुल जाते हैं।
शुद्ध जल की विद्युत चालकता कम होती है।
जल के दो असामान्य गुण इसे तापमान में हुये उतार-चढ़ाव का बफ़रण कर पृथ्वी के जलवायु को नियमित करते हैं तो जल का घनत्व अधिकतम 3.98 °C पर होता है। जमने पर जल का घनत्व कम हो जाता है। यह गुण एक असामान्य घटना को जन्म देता जिसके कारण: बर्फ जल के ऊपर तैरती है। जल गैस,द्रव्य, सॉलिड तीनों अवस्थाओं में मिलता है । जल का कोई निश्चित आकार नहीं होता। यह स्वादहीन , गंधहीन , रंगहीन होता है।
पृथ्वी का 71 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है. 1.6 प्रतिशत पानी ज़मीन के नीचे है और 0.001 प्रतिशत वाष्प और बादलों के रूप मिलता है। मानव शरीर लगभग 60% पानी से बना है। शारीरिक तरल पदार्थों के कार्यों में पाचन, अवशोषण, परिसंचरण, लार का निर्माण, पोषक तत्वों का परिवहन और शरीर के तापमान को बनाए रखना शामिल है। चुनौती है की चार अरब लोग – हर साल कम से कम एक महीने के लिए गंभीर पानी की कमी का अनुभव करते हैं। दो अरब से अधिक लोग उन देशों में रहते हैं जहां पानी की आपूर्ति अपर्याप्त है।
दुनिया की आधी आबादी 2025 तक पानी की कमी से जूझ रहे क्षेत्रों में रह रही होगी। 2030 तक भीषण जल संकट के कारण लगभग 700 मिलियन लोग विस्थापित हो सकते है । 2040 तक, दुनिया भर में लगभग 4 में से 1 बच्चा अत्यधिक उच्च जल तनाव वाले क्षेत्रों में रह रहा होगा। यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है । यूनिसेफ की प्रतिक्रिया है की पानी की कमी के कारक जटिल हैं और विभिन्न देशों और क्षेत्रों में व्यापक रूप से भिन्न हैं । पानी नहीं तो जीवन नही स्वच्छ जल है बड़ी चुनौती । इसलिए
रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥