सावन मास की अमावस्या तिथि को प्रतिवर्ष मनाया जाता है हरियाली अमावस्या के रूप में
हरियाली अमावस्या। सावन मास की अमावस्या तिथि को प्रतिवर्ष हरियाली अमावस्या के रूप में मनाया जाता है। इस बार रविवार 8 अगस्त को हरियाली अमावस्या मनाई जाएगी। यह पर्व हरियाली तीज से 3 दिन पूर्व मनाया जाता है। वैसे तो अमावस्या तिथि में पितरों की आत्मा की शांति हेतु पिंडदान तर्पण श्राद्ध आदि किया जाता है। परंतु श्रावणी अमावस्या को इन सबके अतिरिक्त प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम एक वृक्ष लगाना चाहिए। जिससे हमारी धरती में हरियाली बनी रहेगी। पाठकों से विनम्र निवेदन है कि आप भी अधिक से अधिक वृक्ष लगाने की कृपा करें और प्रत्येक व्यक्ति को भी ऐसा करने की सलाह दें। तभी हमारे इन पर्वों की महत्ता बनी रहेगी और हमारे पर्यावरण का संतुलन भी बना रहेगा। अब बात करें इस हरियाली अमावस्या को मनाने की तो इसकी एक बहुत ही रोचक कथा है। एक किवदंती के अनुसार बहुत समय पहले एक प्रतापी राजा था उसका एक बेटा और एक बहू थे। 1 दिन बहू ने चोरी से मिठाई खा ली और नाम चूहे का लगा दिया। जिस कारण चूहे को अत्यधिक क्रोध आ गया उसने मन ही मन निश्चय किया कि चोर को राजा के सामने लाकर रहूंगा। 1 दिन राजा के यहां कुछ मेहमान आए हुए थे। सभी मेहमान राजा के कमरे में सोए हुए थे। बदले की आग में जल रहे चूहे ने रानी की साड़ी ला कर उस कमरे में रख दी। जब सुबह मेहमानों की आंखें खुली और उन्होंने रानी के वस्त्र वहां देखा तो हैरान रह गए। जब राजा को इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी बहू को महल से निकाल दिया। रानी रोज दिया जलाती पूजा करती और गुड़धानी का प्रसाद वितरित करती थी एक दिन राजा उस रास्ते से निकल रहा था। तो उसकी नजर उन पर पड़ी राजमहल लौटकर राजा ने सैनिकों को जंगल भेजा और कहा कि देख कर आओ वहां क्या चमत्कारी वस्तु थी। सैनिक उस पीपल पेड़ के नीचे गए जहां दिए आपस में बातें कर रहे थे। सभी दिए अपनी कहानियां बता रहे थे। तब एक शांत दिए से भी सभी दियों ने कहां तुम भी अपनी कहानी बताओ। दिए ने बताया कि वह रानी का दिया है। रानी की मिठाई की चोरी के वजह से चूहे ने क्रोधित होकर रानी की साड़ी मेहमानों के कमरे में पहुंचा दी थी। और बेकसूर रानी को सजा मिली थी। अब सैनिकों ने राजमहल लौटकर जंगल की सारी बातें राजा को बताई इसके बाद राजा ने रानी को वापस महल बुला लिया जिसके बाद रानी प्रसन्नता पूर्वक राज महल में रहने लगी। यह कथा एक किंबदंती है परंतु यह कथा पढ़ना एवं सुनना बड़ा चमत्कारी है। शुभ मुहूर्त। अब यदि मुहूर्त की बात करें तो इस बार हरियाली अमावस्या रविवार 8 अगस्त को है। इस बार हरियाली अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण योग रवि पुष्य योग बन रहा है। पुष्य नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से एक है जिसे नक्षत्रों का राजा भी कहा जाता है। यदि रविवार को यह नक्षत्र आए तो इससे रवि पुष्य योग बनता है। यह योग प्रातः सिर्फ प्रातः 9:19 तक रहेगा। तदुपरांत अश्लेषा नक्षत्र का प्रवेश होगा। यदि अमावस्या तिथि की बात करें तो अमावस्या तिथि प्रारंभ 7 अगस्त को शाम 7:14 से होगा और अमावस्या तिथि समापन दिनांक 8 अगस्त रविवार को शाम 7:21 तक है। पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल,