कुमाऊं विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से स्वर्गीय सुंदरलाल बहुगुणा जी को वर्चुअल माध्यम से दी श्रद्धांजलि
कुमाऊ विश्वविद्यालय परिवार की तरफ से आज स्वर्गीय श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के लिए वर्चुअल माध्यम से एक शोक सभा का आयोजन किया गया। सभा में वक्ताओं द्वारा उनके हिमालय क्षेत्र , वन पर्यावरण, महिला सशक्तिकरण ,सामाजिक आंदोलन एवं उनके सरल व्यक्तित्व की चर्चा की, उनके द्वारा किए गए कार्यो को आगे बढ़ाने की वकालत की। श्रर्दांजलि कार्यक्रम में उनका जीवन वृत प्रस्तुत किया गया। पदम श्री से पदम विभूषण, जमुना लाल बजाज पुरस्कार एवं स्वतंत्रा संग्राम में उनकी भागीदारी और चिपको आन्दोलन दोनों में उनकी भागीदारी प्रस्तुत की गई। कार्यक्रम में पदम श्री प्रो. शेखर पाठक द्वारा विस्तार से उनके सामाजिक एवं राजनीतिक सफर को प्रस्तुत किया। पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह ने पर्यावरण में उनके योगदान को अतुलनीय कहा ,एवम उन्होंने पर्यावरण को महसूस किया तथा उसे जीया, वह पर्यावरण के आदित्य रक्षक तथा चोटियो के चैंपियन थे।प्रो. एन के जोशी कुलपति कुमाऊं विश्विद्यालय ने कहा कि वह बहुआयामी प्रतिभा के धनी थे तथा उनका व्यक्तित्व निडर एवम सरल था ,कुलपति भरसार विश्विद्यालय प्रो.अजीत कर्नाटक ने कहा की वह पहाड़ के गांधी थे तथा वो हमेशा युवाओ के पथ प्रदर्शक रहें उनके जीवन एवम कार्यों पर पाठ्यक्रम प्रारंभ किए जाने चाहिए। कार्यक्रम का संचालन शोध निदेशक प्रो.ललित तिवारी द्वारा किया गया ,उनके द्वारा स्वर्गीय सुंदर लाल बहुगुणा का जीवन वृत प्रस्तुत किया गया। शिमला हिमालयन एफ आर आई के निदेशक डॉ. शेरसिंह सामंत ने कहा कि स्वर्गीय श्री सुंदरलाल बहुगुणा विराट व्यक्तित्व के धनी थे, वह सरल तथा पर्यावरण सचेत व्यक्ति थे। गढ़वाल विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एसपी सती ने कहा कि श्री बहुगुणा युवाओं के मध्य लोकप्रिय थे तथा सामाजिक आंदोलन एवं महिला सशक्तिकरण के लिए संघर्षरत रहे। एमबीपीजी कॉलेज हल्द्वानी के प्राचार्य डॉ बीआर पंत ने कहा कि वे सरल व्यक्तित्व के धनी रहे जिनके पास ना गाड़ी ना बंगला था। कोसी कटारमल पर्यावरण संस्थान के डॉ आईडी भट्ट तथा डॉक्टर जेसी उनियाल ने बहुगुणा के पर्यावरण प्रेम पर प्रकाश डाला। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर प्रेम लाल उनियाल ने कहा कि वे दृढ़ निश्चय व्यक्तित्व शांत स्वभाव तथा किसी से घबराते नहीं थे वे हिमालय की शान थे।अल्मोड़ा से प्रोफेसर जे एस रावत ने उनके साथ अपने अनुभव साझा किए। गढ़वाल से प्रोफेसर धूम सिंह नेगी ने उनके वन प्रेम एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्यों पर साधुवाद दिया। वक्ताओं ने बताया कि किस तरह से उन्होंने पेड़ों को काटने से रोकने के लिए सरकारों को मजबूर किया ताकि पर्यावरण बचे। वर्तमान समय में पर्यावरण के सतत विकास के क्रम में तथा सतत विकास की राह में पर्यावरण का संरक्षण करना सबकी जिम्मेदारी है तथा श्री बहुगुणा जी के कार्यों पर शीघ्र एक पाठ्यक्रम बनाया जाए। कार्यक्रम में प्रो. पीसी कविदयाल,डॉ.गजेंद्र रावत (देहरादून ) डॉ.गीता तिवारी डॉ. आशारानी (बरेली) डॉ. गिरीश जोशी (हल्द्वानी) एन एस एस समन्वयक डा. विजय कुमार डॉ. गोकुल सत्याल , श्री.के के पांडे डॉ. नवीन पांडे ,गीतांजलि , वसुंधरा लोधियाल, डॉ.रितेश साह,प्रो. दिव्या जोशी, डॉ. कृष्ण कुमार,डॉ. दीपिका गोस्वामी , डॉ. श्रुति साह, भावना कर्नाटक ,डॉ. शशि बाला उनियाल, अनमोल वशिष्ठ, भावना, मनोज सहित शोधार्थियों एवम् छात्र-छात्राओं जिनकी संख्या 83 थी कार्यक्रम में शामिल हुए।कार्यक्रम को फेसबुक के माध्यम से भी लाइव प्रस्तुत किया गया कार्यक्रम के अंत में शोक प्रस्ताव पड़ा गया तथा श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी को श्रद्धांजलि दी गई , कार्यक्रम में प्रो.रणवीर सिंह रावल , डॉ. सुचेतन साह तथा डॉ.प्रकाश जोशी को भी श्रद्धांजलि दी गई एवम सम्मान में 2 मिनट का मौन रखा।