ग्राफिक एरा भीमताल परिसर में प्रथम वर्ष के विद्यार्थियों के लिए पारंपरिक ऐपण कला पर कार्यशाला आयोजित

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ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी, भीमताल परिसर में बी.टेक प्रथम वर्ष के इंडक्शन प्रोग्राम के 8वें दिन, सुश्री पूजा पडियार ने ऐपण कला, जो कि उत्तराखंड की एक पारंपरिक अनुष्ठानिक कला है, बिषय पर छात्र छात्राओं को संबोधित किया। सुश्री पडियार ने उक्त संदर्भित व्यावहारिक कार्यशाला के अन्तर्गत ऐपण के इतिहास और सांस्कृतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए, इन जटिल डिजाइनों को बनाने के विभिन्न तरीकों और अवसरों के बारे में बताया। उन्होंने ऐपण कला को तैयार करने का तरीका दिखाया, विभिन्न पैटर्न के पीछे के अर्थों पर प्रकाश डाला और छात्रों को विभिन्न अवसरों के लिए उपयोग किए जाने वाले विशिष्ट पैटर्न एवं ‘चौकी’ की अवधारणा से परिचित कराया।
सुश्री पडियार उत्तराखंड में ऐपण कला में एक चर्चित हस्ति हैं, जिन्हें उत्तराखंड सरकार से कई सम्मान मिले हैं, जिनमें मुख्यमंत्री और राज्यपाल से सम्मान भी शामिल है। राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रदर्शनियों में उनकी सक्रिय भागीदारी उक्त सांस्कृतिक परंपरा को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है। सत्र के दौरान, उन्होंने ऐपण कला बनाने की तकनीकों के माध्यम से छात्रों का मार्गदर्शन किया, इसमें शामिल रंगों, ब्रश, कपड़े और कैनवस के प्रकारों पर चर्चा की। छात्र छात्राओं ने उक्त कार्यशाला में सक्रिय प्रतिभाग किया तथा सुश्री पडियार से संबंधित बिषय पर गहन चर्चा की।
बी.टेक प्रथम वर्ष के प्रमुख राजेंद्र सिंह बिष्ट ने कार्यशाला की सराहना करते हुए उत्तराखंड की कलात्मक विरासत को संरक्षित करने में सुश्री पडियार की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला, जिसे युवा पीढ़ी द्वारा भुला दिए जाने का खतरा है।

सत्र का संचालन सुश्री मनजोत ने किया। उक्त कार्यशाला में डॉ. मेहुल मानु (विभागाध्यक्ष एलाइड साइंसेज ), डॉ. दीपेंद्र सिंह रावत (सहायक प्राध्यापक, भौतिक विज्ञान), श्री रेवाधर भट्ट, श्री किशोर मंडल और श्री नंद लाल उपस्थित रहे।

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