योग से तन और ध्यान से मन को मिलता है आराम
योग से तन और ध्यान से मन को आराम मिलता है,,,, योग से कितने ही बिमारियों नष्ट हो जाती हैं, इस कोरोना काल में यदि हम योग प्रतिदिन करते रहैं तो कुछ हद्द तक क्या पूर्ण हद तक बिमारी से बचा जा सकता है, कहते हैं टहलना सबसे अच्छा व्यायाम है, परन्तु कुछ बुजुर्ग लोग जो टहल नहीं पाते घर में बैठे प्राणायाम आदि योग कर सकते हैं, हमारे प्राचीन ग्रंथों में भी योग का बड़ा महत्व बताया गया है, इसके अतिरिक्त पंचगव्य का सेवन करने से भी व्याधियाँ नष्ट होतीहै, पंचगव्य ही क्या सिर्फ गोमूत्र से भी व्याधियाँ नष्ट हो जाती है, गाय का दूध दही घी गोमूत्र और गोवर इन पांच चीजों को मिला कर तैयार होता है पंचगव्य, सिर्फ हिन्दू स्वदेशी गौमाता के सुद्ध घी को प्रतिदिन दो बूंद नाक के दोनों नथुने पर लगाया जाये तो करोना वायरस क्या कोई भी वायरस आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है, पंचगव्य की व्याख्या हमारे धर्म गुरुओं ने ऐसे ही नहीं की, जीवौ कीही नहीं अपितु पेड पौधो की बिमारियों भी नष्ट हो जाती है, मेरा हर वर्ग के लोगों से निवेदन है कि एक बार अवश्य आजमा ले, आजमाने में कोई हर्ज नहीं है, इसके कोई दुष्परिणाम भी नहीं है, साथही साथ योग भी करते हैं, धर्म शास्त्रों में व्यायाम को अत्यावश्यक बतलाया गया है, साधु संन्यासी ऋषि साधक ही नहीं प्रत्युत मनुष्य मात्र के लिए व्यायाम करना आवश्यक है, हमें नियमित व्यायाम द्वारा रक्त शोषण करने वाले सभी रोगों के कीटाणुओं और बूरे विचारों को मन से सदा दूर रखने तथा ब्रह्मचर्य पालन के द्वारा अपनी शारीरिक शक्ति को दीर्घ काल तक अपने शरीर में बनाये रखने की भरपूर चेष्टा करनी चाहिए, हिन्दू धर्म में योग का अत्यधिक महत्व है, योगासन योग विद्या के अंग हैं, योगासन सभी व्यायाम पद्धतियों में उपयोगी सिद्ध हुए हैं, अन्य व्यायाम से शरीर के कुछ ही भाग विकसित होते हैं, किन्तु विभिन्न योगासन करने पर शरीर का सर्वांगपूर्ण व्यायाम होता है, नियमित रूप से योगासन करने से मानव शरीर पुष्ट और सुन्दर बनता है, शक्ति और स्फूर्ति आती है, तथा शरीर में क्रिया शीलता बनी रहती है, योगासन मनुष्य के बाहरी और आन्तरिक स्वास्थ्य की वृद्धि और सुरक्षा में हेतु है, इनसे चंचल मनोवृत्तियों का निरोध होता है, धर्म शास्तों ने टहलना सब के लिए विशषत वृद्धों के लिए उपयोगी व्यायाम बतलाया है, याद रहे प्रातः कालीन प्राणवायु सूर्योदय के पूर्व तक निर्दोष बनी रहती है, अत धर्म में रुचि रखने वालों को प्रातः काल जल्दी उठ कर स्नान करके टहलने जाना चाहिए, प्राणवायु का सेवन करना चाहिए, इससे स्वास्थ्य और आरोग्य स्थिर रहता है,पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल