एरीज और ग्राफ़िक एरा द्वारा संयुक्त रूप से 6वें क्षेत्रीय रेडियो विज्ञान सम्मेलन (URSI-RCRS) का आयोजन

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हमारे रोजमर्रा के जीवन में, रेडियो तरंगों का उपयोग कई तकनीकों में होता है, जैसे वाई-फाई नेटवर्क, संचार उपग्रह, उपग्रह आधारित नौवहन और चिकित्सा आदि। इन तकनीकों के अलावा, रेडियो तरंगों का विज्ञान में विभिन्न क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान है, जिसमें प्लाज्मा भौतिकी, खगोल विज्ञान और पृथ्वी के निकट के अंतरिक्ष वातावरण शामिल हैं। 1930 के दशक में कार्ल जान्स्की द्वारा मिल्की वे से रेडियो उत्सर्जन की खोज के साथ, रेडियो खगोल विज्ञान की शुरुआत हुई और ब्रह्मांड की नई खिड़की खुल गई।

रेडियो विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन, अनुसंधान, अनुप्रयोग और वैज्ञानिक विचारों का आदान-प्रदान क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जाना महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस कार्य को इंटरनेशनल यूनियन ऑफ रेडियो साइंस (URSI) द्वारा समन्वित किया जा रहा है। भारत में रेडियो विज्ञान के प्रसार और युवाओं में इस क्षेत्र के प्रति रुचि उत्पन्न करने के लिए इंडियन रेडियो साइंस सोसाइटी (InRaSS) कार्यरत है। InRaSS द्वारा हर दो साल में आयोजित क्षेत्रीय रेडियो विज्ञान सम्मेलन (URSI-RCRS) रेडियो विज्ञान के 10 प्रमुख क्षेत्रों को कवर करता है।

आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES), नैनीताल और ग्राफिक एरा हिल यूनिवर्सिटी (GEHU) द्वारा इस सम्मेलन के छठे संस्करण का आयोजन GEHU के भीमताल परिसर में 22-25 अक्टूबर 2024 के दौरान किया जा रहा है। एरीज खगोल विज्ञान व खगोल भौतिकी और वायुमंडलीय विज्ञान में विशेषज्ञता रखता है। GEHU, एक निजी विश्वविद्यालय, जिसका लक्ष्य विश्व स्तरीय शिक्षा और उच्च गुणवत्ता के अनुसंधान के माध्यम से छात्रों का विकास करना है, इस आयोजन का सह-मेजबान है।

सम्मेलन में देशभर से लगभग 400 शोधकर्ता भाग ले रहे हैं। इसका उद्घाटन 22 अक्टूबर की शाम को InRaSS, एरीज और GEHU के गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति में किया गया। InRaSS के अध्यक्ष प्रो. एस. अनंतकृष्णन ने अपने उद्घाटन भाषण में रेडियो विज्ञान के इतिहास और आचार्य जगदीश चंद्र बोस और प्रो. शिशिर कुमार मित्रा के योगदान पर प्रकाश डाला। URSI के उपाध्यक्ष, प्रो. कज़ुया कोबायाशी ने भारत के युवाओं के लिए इस क्षेत्र में नए अवसरों का महत्व बताया। आयोजन समिति के अध्यक्ष प्रो. अमिताभ सेन गुप्ता ने बताया कि इस सम्मेलन के लिए 500 से अधिक पेपर प्रस्तुत किए गए हैं। GEHU के माननीय कुलपति प्रो. संजय जस्सोला ने ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के विकास पर अपने विचार साझा किए।

इससे पहले के सम्मेलन पुणे, दिल्ली, तिरुपति, वाराणसी और इंदौर में आयोजित किए गए थे, जिन्होंने रेडियो विज्ञान के बहु-विषयक अनुसंधान को काफी लोकप्रिय बनाया है

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