AppleMark

ख़बर शेयर करें

देवभूमि से अटल जी का गहरा नाता था
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
दून विश्वविद्यालय, देहरादून, उत्तराखंड
पूर्व प्रधानमंत्री और ‘भारत रत्न’ अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे राजनेता थे, जो चार राज्यों के छह लोकसभा क्षेत्रों की नुमाइंदगी कर चुके थे। उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले वाजपेयी इकलौते नेता हैं।सरल व्यक्तित्व और ओजस्वी कंठ वाले अटल जी ऐसे थे कि अपने सामान का छोटा सा ब्रीफकेस भी खुद उठाते थे। वे ट्रेन से आते-जाते थे। उनके ब्रीफकेस में एक धोती-कुर्ता, अंतर्वस्त्र, एक रुमाल और एक टूथब्रश होता था केंद्र की सत्ता में भारतीय जनता पार्टी साल 2014 से विराजमान है. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री की कमान संभाले हुए हैं. 1980 में स्थापित हुई भाजपा की गिनती आज देश ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे मजबूत पार्टी के रूप में की जाती है. पार्टी को स्थापित करने और बुलंदियों पर पहुंचाने के पीछे ‘युगपुरुष’ का महत्वपूर्ण योगदान रहा.राजनीतिक जगत में सबसे लोकप्रिय नेताओं में शुमार रहे अटल बिहारी वाजपेयी का. उनकी गिनती देश के उन गिने चुने नेताओं में होती है, जिन्‍हें सभी पार्टियों का स्‍नेह मिला मूल्यों और सिद्धांतों की राजनीति करने वाले अटलजी पर कभी कोई दाग नहीं लगा। जब जोड़-तोड़ की राजनीति से उनकी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश हुई, तो उन्होंने कहा था कि ऐसी सत्ता को मैं चिमटे की नोंक से भी छूना पसंद नहीं करूंगा। देश के पूर्व पीएम की यह तीसरी पुण्‍यतिथि है। उनकी गिनती देश के उन गिने चुने नेताओं में होती है, जो कभी दलगत बंधन में रहे और जिन्‍हें सभी पार्टियों का स्‍नेह मिला।अटल बिहारी वाजपेयी पहली बार साल 1996 में देश के प्रधानमंत्री बने थे। हालांकि तब उन्‍हें महज 13 दिनों में इस्‍तीफा देना पड़ा था, क्‍योंकि वह बहुम साबित नहीं कर पाए थे। 1998 में वह फिर से प्रधानमंत्री बने। इसके बाद 1999 में तीसरी बार वह पीएम बने, जब 2004 तक वह अपने पद पर रहे और पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा 1977 के उनके भाषण को अब भी याद किया जाता है, जब हिंदी में उनके भाषणा के बाद सभागार तालियों से गूंज उठा था अटल जी की कविताओं में हिमालय हमेशा रहा। वजह ये भी रही है कि अटल सरकार के वक्त ही देश को 27वें राज्य के रूप में उत्तराखंड मिला था। उसी वक्त अटल सरकार में ही उत्तराखंड को विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। उसी वक्त उत्तराखंड को औद्योगिक पैकेज की सौगात भी दी गई थी। उत्तराखंड में अटल बिहारी वाजपेयी ने श्रीनगर, छाम, नैनीताल, मसूरी, देहरादून में जनसभाएं भी की थी। ये बात सच है कि अगर 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के मानचित्र पर 27वें राज्य के रूप में वजूद में आया, तो इसमें सबसे निर्णायक भूमिका अटल की ही थी। उत्तराखंड राज्य के निर्माण को लेकर बड़ा भयंकर आंदोलन चला था। साल 1996 में उन्होंने देहरादून दौरे के दौरान उन्होंने राज्य आंदोलनकारियों की मांग पर विचार करने का भरोसा दिया था। वाजपेयी ने इस भरोसे को कायम रखा और इस बात पर विचार करने का भरोसा दिलाया। इसके बाद नए उत्तराखंड राज्य की स्थापना वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के दौरान ही हुई। साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी नैनीताल पहुंचे थे। उस दौरान उन्होंने उत्तराखंड के लिए 10 साल के विशेष औद्योगिक पैकेज की घोषणा की थी। ये एक दूरदर्शी सोच थी। एक नवोदित राज्य को उन्होंने अपने पैरों पर खड़े होने का मौका दिया था। खास बात ये है कि अटल जी को मसूरी बेहद पसंद था। जब भी अटल को मौका मिलता, वो मसूरी आकर पहाड़ों के बीच अपना वक्त गुजारते थे। देहरादून की सड़कों पर 1975 के वक्त अटल अपने दोस्त नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ स्कूटर पर सफर किया करते थे उनके कार्यकाल में भारत ने परमाणु परीक्षण कर यह क्षमता हासिल की थी. इसके साथ संयुक्त राष्‍ट्र महासभा 1977 के उनके भाषण को अब भी याद किया जाता है, जब हिंदी में उनके भाषण के बाद सभागार तालियों से गूंज उठा था. नेता के साथ देशवासी अटल जी को कवि के रूप में भी पसंद करते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ा एक और क़िस्सा है जिसने उनका पीछा कभी नहीं छोड़ा. हालांकि यह क़िस्सा सभी के लिए विवाद नहीं है. कांग्रेस इस क़िस्से को वक़्त-वक़्त पर ख़ुशी से याद करती रहती है. यह बात 1971 में पाकिस्तान के साथ हुए युद्ध से जुड़ी हुई है. तब भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरह हराया था. उस युद्ध के बाद पाकिस्तान के दो टुकड़े हो गए और बांग्लादेश अस्तित्व में आया. वाजपेयी न सिर्फ प्रखर राजनेता थे बल्कि कलम के जादूगर भी थे. उन्होंने अपने जीवनकाल में कई कविताएं लिखी. बतौर पीएम और नेता उन्हें जनता का जितना प्यार मिला उतना ही प्यार और सम्मान उनकी कविताओं को भी मिला. जीवन का नजरिया बदले वाली उनकी कविताओं ने लोगों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. उन्होंने कहा था, ‘लेकिन, चूंकि मैं राजनीति में दाख़िल हो चुका हूं और इसमें फंस गया हूं, तो मेरी इच्छा थी और अब भी है कि बगैर कोई दाग लिए जाऊं और मेरी मृत्यु के बाद लोग कहें कि वह अच्छे इंसान थे जिन्होंने अपने देश और दुनिया को एक बेहतर जगह बनाने की कोशिश की थी. राजनीति काजल की कोठरी है. जो इसमें जाता है, काला होकर ही निकलता है. ऐसी राजनीतिक व्यवस्था में ईमानदार होकर भी सक्रिय रहना,बेदाग छवि बनाए रखना, क्या कठिन नहीं हो गया है? अटल बिहारी वाजपेयी का सार्वजनिक जीवन बहुत ही बेदाग और साफ सुथरा था इसी बेदाग छवि और साफ सुथरे सार्वजनिक जीवन की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी जी का हर कोई सम्मान करता था। उनके विरोधी भी उनके प्रशंसक थे। पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी के लिए राष्ट्रहित सदा सर्वोपरि रहा। तभी उन्हें राष्ट्रपुरुष कहा जाता था। पंडित अटल बिहारी वाजपेयी जी की बातें और विचार सदां तर्कपूर्ण होते थे और उनके विचारों में जवान सोच झलकती थी। यही झलक उन्हें युवाओं में लोकप्रिय बनाती थी
लेखक द्वारा उत्तराखण्ड सरकार के अधीन उद्यान विभाग के वैज्ञानिक के पद पर का अनुभव प्राप्त हैं, वर्तमान में दून विश्वविद्यालय है.

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 वॉट्स्ऐप पर समाचार ग्रुप से जुड़ें

👉 फ़ेसबुक पर जुड़ने हेतु पेज लाइक-फॉलो करें

👉 हमारे मोबाइल न० 7017197436 को अपने ग्रुप में जोड़ कर आप भी पा सकते है ताज़ा खबरों का लाभ

👉 विज्ञापन लगवाने के लिए संपर्क करें

Leave a Reply

Your email address will not be published.

You cannot copy content of this page