ग्रीनसेल को भारत में सुरक्षित ई-बसों के लिए अग्रणी डीएफ़आई के एडीबी से 55 मिलियन डॉलर की मिली है मंजूरी
ग्रीनसेल को भारत में सुरक्षित ई-बसों के लिए अग्रणी डीएफ़आई के एडीबी से 55 मिलियन डॉलर की मंजूरी मिली है, और गोल्डमैन सैक्स और ब्लूमबर्ग से 5.2 डॉलर का अनुदान प्राप्त हुआ है
· इसे भारत में वित्त विकास संस्थान से इस तरह की पहली मंजूरी मिली है
· यह भारत में परिवहन क्षेत्र की पहली निजी कंपनी है, जिसे अनुदान मिला है
· यह वैश्विक रूप से परिवहन क्षेत्र में पहला निजी प्रोजेक्ट है, जिसे एडीबी द्वारा श्रेणी आई: लैंगिक समानता थीम के तहत वर्गीकृत किया गया है
देहरादून – 08 नवंबर 2022: एशियन डेव्लपमेंट बैंक (एडीबी), एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) तथा क्लीन टेक्नॉलॉजी फ़ंड (सीटीएफ़) ने ग्रीनसेल एक्सप्रेस प्रा॰ लि॰ (जीईपीएल) के साथ मिल कर 255 एलेक्ट्रिक बैटरी से चलने वाली बसों (ई-बसों) को विकसित करने के एक 55 मिलियन डॉलर के आर्थिक पैकेज पर हस्ताक्षर किए हैं, जो साल में भारत भर में 56 अंतरनगरीय मार्गों पर 5 मिलियन लोगों को सेवाएँ देंगी, तथा बेहतर सुरक्षा फीचर्स, जिनमें कैमरे, ट्रैकिंग और पैनिक बटन जैसे फीचर शामिल हैं, जो तुरंत प्रतिकृया के लिए कमान कंट्रोल से जुड़े हुए होंगे, के चलते यात्रियों की, खास तौर पर महिलाओं की सुरक्षा में बढ़ोतरी करेंगी।
इसके अलावा, सीटीएफ़ से 325,000 डॉलर तथा गोल्डमैन सैक्स तथा ब्लूमबर्ग के जलवायु नवोत्पाद तथा विकास निधि (सीआईडीएफ़) से 5.2 मिलियन डॉलर का अनुदान भी हासिल किया है। सीआईडीएफ़ अनुदान सौर शक्ति के साथ बैटरी ऊर्जा के भंडारण की प्रणाली का विकास कर के 255 में से 100 ई-बसों के डिकार्बोनाइज़ेशन में आंशिक रूप से आर्थिक सहायता प्रदान करेगा। कुल मिला कर इस प्रोजेक्ट से साल भर में लगभग 15,000 टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आएगी।
“हमारे शहरों में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी लाने के लिए परिवहन का विद्युतीकरण एक मुख्य कारक साबित हो सकता है। इस वित्तीय सहायता से भारत के जलवायु उद्देश्यों और दीर्घकालीन विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए भारत में स्वच्छ और दीर्घकालीन कारोबारों में निवेश कर के उन्हें बढ़ावा देने का हमारा एजेंडा रफ्तार पकड़ेगा।” एवरसोर्स कैपिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर तथा सीईओ धनपाल झवेरी ने कहा।
आगे, सुमित मित्तल, सीओओ तथा डायरेक्टर – वित्त, ग्रीनसेल मोबिलिटी ने कहा, “यह आर्थिक पैकेज ग्रीनसेल मोबिलिटी में एक मीवेश के अलावा भी बहुत कुछ है; यह भारत के हरित, सुरक्षित और इसके कारण अधिक स्थिर भविष्य में निवेश है। हम हम भारत में परिवहर के विद्युतीकरण में शक्तिशाली धक्के में शामिल होते हुए पैन-इंडिया के साझा विद्युत परिवहन में अग्रणी खिलाड़ी बनने के अपने प्रयासों के रूप में इसका स्वागत करते हैं। ग्रीनसेल एक्सप्रेस प्र॰ लि॰ (जीईपीएल) की पेशकश के साथ, हम शहर से शहर तक की बस यात्रा का खंड ले कर आए हैं, जिसके तहत हम विद्युत बसें, जो नए युग के भारतीय यात्रियों, खास कर महिलाओं के लिए सुरक्षित, बिना झटकों का यात्रा अनुभव ले कर आए हैं।”
जैसे जैसे देश का शहरीकरण बढ़ रहा है, भारत के सार्वजनिक परिवहन की आवश्यकताओं में निरंतर तेज़ी से वृद्धि अपेक्षित है। 2020 में सभी यात्री दौरों में सड़क परिवहन का प्रतिशत 87, कुल ऊर्जा खपत 18 प्रतिशत और ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन 11.7% था।
“भारत के लिए अपनी नेट-ज़ीरो जलवायु प्रतिबद्धताओं तक पहुंचने के लिए सार्वजनिक परिवहन का डीकार्बोनाइजेशन आवश्यक है, और यात्रा को अधिक समावेशी बनाने के लिए महिला यात्रियों की रक्षा और सुरक्षा सुनिश्चित करना भी आवश्यक है।” एडीबी के निजी क्षेत्र के संचालन विभाग के महानिदेशक सुजैन गैबौरी ने कहा, “महिलाओं के लिए सुरक्षित परिवहन प्रदान करके, ये शहर से शहर तक की बसें आर्थिक और आजीविका के अवसरों में भाग लेने की उनकी क्षमता को बढ़ाएँगी।”
इस प्रोजेक्ट ने 2x लिंग वित्तपोषण रेटिंग के लिए अर्हता प्राप्त की है, जो एक चुनौती थी, जो वित्त विकास संस्थानों के बीच लिंग लेंस निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए 2018 में G7 शिखर सम्मेलन में शुरू की गई थी।
जीईपीएल ग्रीनसेल मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड (ग्रीनसेल) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, जो ग्रीन ग्रोथ इक्विटी फंड (जीजीईएफ) की एक प्लेटफॉर्म कंपनी है। जीजीईएफ़ भारत में एक भारतीय वैकल्पिक निवेश कोष है जिसका प्रबंधन एवरसोर्स कैपिटल द्वारा भारत में हरित बुनियादी ढांचे के लिए संस्थागत पूंजी जुटाने के लिए किया जाता है।
ग्रीनसेल मोबिलिटी (ग्रीनसेल) को सिद्ध वैश्विक अनुभव, ई-मोबिलिटी प्रौद्योगिकी के विकास और भारत में परिवहन के विद्युतीकरण के लिए भारत सरकार के मजबूत धक्का का लाभ उठाकर एक अग्रणी अखिल भारतीय साझा इलेक्ट्रिक मोबिलिटी खिलाड़ी बनने के लिए स्थापित किया गया है। वर्तमान में, ग्रीनसेल महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में करीब 1,400 ई-बस परियोजनाओं को लागू कर रहा है, जिनमें से 600+ ई-बसें भारत के 21 शहरों में चल रही हैं।
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