स्वस्थ तन एवं स्वस्थ मन ही मन को स्वस्थ रखने का पहला है उपाय
स्वस्थ तन एवं स्वस्थ मन,, मन को स्वस्थ रखने का पहला उपाय है शरीर को स्वस्थ रखना शरीर वह रथ है जिसपर बैठकर जीवन की यात्रा करनी होती है, शरीर एक चलता फिरता देव मन्दिर है, जिसमें स्वयं भगवान अपनी विभूतियों के साथ विराजते है, अत; मन की निर्मलता और बुद्धि की शुद्धता साधन शरीर से प्रारंभ होता है, शरीर तो एक साधन मात्र है, जिसकी सहायता से परम साध्य को प्राप्त करने के लिए योग तप जप आदि किया जाता है, इस साधन रूपी शरीर को स्वस्थ्य और पवित्र रखने से ही योग की शुरुआत होती है, मासांहार शराब धुम्रपान आदि ये सभी रोगों की जड है, सात्विक भोजन से रक्त शुद्ध रहता है, तामसी भोजन से शरीर रोगी रहता है, सात्विक भोजन से गरीबी भी दूर रहती है, जीवन में सदैव संतोष और प्रसंनता आती है, अमीर आदमी यदि व्यसनों में फंसे रहे तामसी वृत्ति रखे तो दरिद्रता सहज आयेगी, अपनी वृत्तियों की संतुष्टि के लिए वह पाप करेगा धोखा देगा और फलस्वरूप दुख का भागी होगा, दुख नाना प्रकार के रोगों के रूप में में भी कष्ट देता है, प्रकृति के निकट रहे शुद्ध मिट्टी भी औषधि के गुण है, बच्चों का शुद्ध मिट्टी में खेलना बूरा नहीं है, नेत्र ज्योति की रक्षा के लिए सबेरे नंगे पैर घास के मैदान में टहलें , ये सभी बातें हमारे धर्म शास्त्र में लिखे हैं, सूर्य की किरणों में औषधि के प्रचूर गुण है, पहले जमाने में कुंए नौले हुआ करते थे जिसमें सूर्य तथा चन्द्र की किरण पानी तक पंहुचती थी, जिस पानी या भोजन पर सूर्य या चन्द्र की किरण पडे़गी वह अपेक्षाकृत अधिक स्वादिष्ट एवं मीठा होगा, भोजन किस तरीके से करें, पाठकों को एक महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहुंगा जरा ध्यान से पढ़े भोजन या दूध दही तब सेवन करें जब दांया स्वर चल रहा है, जल ग्रहण करने के समय बांया स्वर चलना चाहिए,, इसके विपरीत आचरण से काया रोगी होती है, ब्रह्म लीन योगी राज श्री देवराहा बाबा जी ने कहा है,, दहिने स्वर भोजन करै बांये पिवै नीर, ऐसा संयम जब करें सुखी रहे शरीर, ठीक इसके विपरीत, बांये स्वर भोजन करै दहिने पिवै नीर, दस दिन भुला यों करैं, पावै रोग शरीर, सात्विक भोजन पान से और सादे वस्त्र धारण करने से बुद्धि तन और मन शुद्ध रहते हैं, आजमा कर देख लीजिए, इसके विपरीत तामसी भोजन से जीवन में बेचैनी रहती है, उद्वेग रहता है, तथा जलन और ईर्ष्या रहती है, इसी कारण बीड़ी सिगरेट आदि मादक वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए, इसके सेवन से बूरी आदतें पड जाती है, तंबाकू खाने से तेज नष्ट हो जाता है, पाठकों को एक और महत्वपूर्ण बात बताना चाहता हूँ, कहा गया है कि युद्ध में कामधेनु के कान कटने से जहाँ रक्त गिरा वही पर तंबाकू उगा और पनपा, अत; मादक पदार्थों के सेवन से आरोग्य कामी मनुष्य को सदैव बचना चाहिए, स्वस्थ विचार स्वस्थ मन से उत्पन्न होता है, स्वस्थ मन स्वस्थ शरीर में रहता है, और उसी का शरीर स्वस्थ रहता है, जिसकी इन्द्रियां अपने वश में है, इन्द्रियों को वश में रखने के लिए प्रतिदिन ब्रह्म मुहूर्त में जग कर परमपिता परमेश्वर का ध्यान किया जाये, लेखक पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल