होम क्रेडिट इंडिया सर्वेक्षण से पता चला, क्रेडिट ज़रूरतों के लिए भारतीय महिलाएँ तेज़ी-से टेक्नॉलॉजी अपनाती हैं

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होम क्रेडिट इंडिया सर्वेक्षण से पता चला, क्रेडिट ज़रूरतों के लिए भारतीय महिलाएँ तेज़ी-से टेक्नॉलॉजी अपनाती हैं

भविष्य की क्रेडिट ज़रूरतों के लिए, अधिक महिलाओं (59%) ने कहा कि वे पुरुषों (49%) की तुलना में ऑनलाइन माध्यम से अपनी लोन यात्रा पूरी करना पसंद करेंगी

इंटरनेट और डेटा क्रांति की वजह से डिजिटल लेंडिंग सर्विसेस जारी रखने के बारे में आशावाद की बात करें, तो महिलाएँ (77%) और पुरुष (79%) दोनों ही लगभग बराबर हैं  

73% महिलाएँ ऑफ़लाइन चैनलों की तुलना में ऑनलाइन लोन को ज़्यादा आसान और सुविधाजनक मानती हैं, जो कि लगभग पुरुषों (74%) के समान है

21% महिलाओं ने कहा कि लोन कंपनियों की ओर से उनके पर्सनल डेटा के इस्तेमाल के बारे में वे ख़ूब समझती हैं

देहरादून- 28 फ़रवरी, 2024:  अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर और संयुक्त राष्ट्र के ‘महिलाओं में निवेश करें: प्रगति में तेज़ी लाएँ’ विषय के अनुरूप, अग्रणी ग्लोबल कंज़्यूमर फ़ाइनैंस प्रोवाइडर की एक स्थानीय शाखा, होम क्रेडिट इंडिया ने ज़िम्मेदार और डिजिटल नेतृत्व वाली फ़ाइनैंस सर्विसेस के माध्यम से फ़ाइनैंशियल समावेशन और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की है, ताकि किफ़ायती क्रेडिट का ऐक्सेस पक्का हो सके।  

भारत में, फ़ाइनैंशियल सर्विसेस का ऐक्सेस करने में महिलाओं को पारंपरिक रूप से बाधाओं का सामना करना पड़ा है, लेकिन ऐसा लगता है कि पिछले कुछ बरसों में यह बदल रहा है। अपने हालिया सर्वेक्षण “हाउ इंडिया बॉरोज़ 2023” (How India Borrows 2023) में, होम क्रेडिट इंडिया ने देखा कि भारत में महिलाएँ टेक्नॉलॉजी को तेज़ी-से अपना रही हैं और देश के फ़ाइनैंशियल ईको-सिस्टम में सक्रिय भागीदार बन रही हैं। सर्वेक्षण से पता चला है कि जब मोबाइल ऐप जैसे ऑनलाइन माध्यमों से क्रेडिट को ऐक्सेस करने की बात आती है, तो उधार लेने वाली महिलाएँ (31%) पुरुषों (32%) के बराबर होती हैं। इसके अतिरिक्त, 2023 में जवाब देने वाली 59% महिलाएँ सुविधा और ऐक्सेसिबिलिटी के लिए एक शक्तिशाली वरीयता पेश करते हुए मोबाइल ऐप से ऑनलाइन प्लैटफ़ॉर्मों के ज़रिए लोन प्रोसेस को पूरा करना पसंद करती हैं। 2022 में, महिलाओं के बीच डिजिटल लोन की वरीयता 49% थी।  

सर्वेक्षण में फ़ाइनैंशियल सर्विसेस के डिजिटलाइज़ेशन की बढ़ती स्वीकृति को भी रेखांकित किया गया है। उधार लेने वाली महिलाएँ आज मोबाइल बैंकिंग, नेट बैंकिंग, पेमेंट वॉलेट और ऑनलाइन खरीदारी के साथ बहुत सहज और आसान हो गई हैं; और इसके लिए अतीत की तुलना में काफ़ी कम मार्गदर्शन की ज़रूरत होती है। सर्वेक्षण के अनुसार, उधार लेने वाली महिलाओं ने इंटरनेट बैंकिंग (38%) की तुलना में मोबाइल बैंकिंग (47%) को प्राथमिकता दी और 50% ने बताया कि चैटबॉट सर्विसेस का इस्तेमाल करना आसान था।

डिजिटल ट्रांज़िशन के अनुरूप, उधार लेने वाली 73% महिलाओं ने ऑफ़लाइन चैनलों की तुलना में ऑनलाइन लोन को ज़्यादा सुविधाजनक माना है। वॉट्सऐप लोन के लिए नए डिजिटल चैनल के रूप में उभरा है, जिसमें उधार लेने वाली 45% महिलाओं को वॉट्सऐप पर लोन मेसेज मिले। हालाँकि, उधार लेने वाली सिर्फ़ 23% महिलाओं ने वॉट्सऐप पर मिलने वाले लोन ऑफ़र्स को भरोसेमंद माना।  

सर्वेक्षण से पता चलता है कि ईको-सिस्टम में डिजिटल उधार देने वाली कंपनियों की बढ़ती संख्या के कारण 50% से ज़्यादा महिलाएँ फ़िनटेक के विकास के बारे में आशावादी थीं।  

डिजिटल साक्षरता के मामले में, शहरी और ग्रामीण महिलाएँ पहले से कहीं ज़्यादा फ़ाइनैंशियल पाठ और प्रबंधन मार्गदर्शन की तलाश कर रही हैं। उधार लेने वाली 32% महिलाओं ने कहा कि वे चाहती हैं कि कोई प्रतिष्ठित संगठन उन्हें इंटरनेट पर फ़ाइनैंस से संबंधित कामों के बारे में शिक्षित करे।  

उधार लेने वाली महिलाओं के बीच एक प्रमुख चिंता लोन कंपनियों की ओर से व्यक्तिगत जानकारी का इस्तेमाल करना थी। जब डेटा प्राइवेसी से संबंधित मामलों की बात आती है, तो उधार लेने वाली 44% महिलाएँ उधार देने वाले ऐप्स की ओर से जमा किए जा रहे अपने पर्सनल डेटा के बारे में ज़्यादा चिंतित थीं। सर्वेक्षण से आगे यह इशारा मिलता है कि उधार लेने वाली सिर्फ़ 21% महिलाएँ डेटा प्राइवेसी के नियम समझती हैं और 46% महिलाओं ने अपने पर्सनल डेटा के इस्तेमाल पर ऐप्स/कंपनियों की ओर से ट्रांसपरेंट कम्युनिकेशन की ज़रूरत महसूस की।

निष्कर्षों पर बोलते हुए, होम क्रेडिट इंडिया के चीफ़ मार्केटिंग ऑफ़िसर, आशीष तिवारी ने कहा,  “फ़ाइनैंशियल स्वतंत्रता में लैंगिक अंतर को कम करना और महिलाओं के लिए फ़ाइनैंशियल सर्विसेस का ऐक्सेस एक सकारात्मक प्रवृत्ति है जो लैंगिक समानता की दिशा में विकास दिखाती है। प्रवृत्ति यह भी बताती है कि फ़ाइनैंशियल सेक्टर में फ़ाइनैंशियल समावेशन और लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की कोशिशें बदलाव ला रही हैं। फ़ाइनैंशियल सर्विसेस तक बढ़ता ऐक्सेस महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकता है, जिससे वे बचत कर सकती हैं, निवेश कर सकती हैं, अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकती हैं और अपने फ़ाइनैंशियल भविष्य पर और ज़्यादा नियंत्रण रख सकती हैं। हमारी प्रतिबद्धता हमारे कस्टमर की पूरी न होने वाली लोन ज़रूरतों को पूरा करने को प्राथमिकता देने और ज़्यादा समावेशी फ़ाइनैंशियल ईको-सिस्टम में योगदान करने में निहित है जो लोगों और समुदायों को सशक्त बनाता है, फ़ाइनैंशियल समावेश को बढ़ावा देता है, फ़ाइनैंशियल स्थिरता देता है और देश के सामाजिक-आर्थिक विकास को मदद पहुँचाता है।  

“इस प्रतिबद्धता के अनुरूप, हमारे पास एक प्रोजेक्ट ‘सक्षम’ भी है जिसके तहत होम क्रेडिट इंडिया एक ग़ैर-सरकारी संगठन (NGO) के सहयोग से पूरे भारत में हाशिए पर पड़ी हज़ारों महिलाओं और लड़कियों को बुनियादी व्यक्तिगत फ़ाइनैंशियल कौशल मुहैया करवाता है। पूरे भारत में हाशिए पर मौजूद समुदायों तक पहुँचकर, ‘सक्षम’ ज़्यादा न्यायसंगत और समृद्ध समाज में योगदान करने के हमारे व्यापक मिशन

के साथ अलाइन करते हुए, समावेशी विकास और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए हमारे समर्पण का उदाहरण देता है।”

‘हाउ इंडिया बॉरोज़ 2023’ सर्वेक्षण दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, अहमदाबाद, लखनऊ, जयपुर, भोपाल, पटना, रांची, चंडीगढ़, लुधियाना, कोच्चि और देहरादून सहित 17 शहरों में आयोजित किया गया था। नमूने में लगभग 1842 उधार लेने शामिल किए गए थे जिनमें 18 से 55 वर्ष की आयु वर्ग के उधार लेने वाले हैं और जिनकी औसत आय 31,000 रुपए प्रतिमाह है।  

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