पेटैन्ट को प्राप्त करने पर शोधार्थी को विश्वविद्यालय द्वारा प्रदान की जायेगी प्रोत्साहन राशि- कुलपति प्रो० एन०के० जोशी

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आज दिनांक 25 अगस्त, 2022 को कुमाऊँ विश्वविद्यालय की शोध सलाहकार समिति की बैठक कुलपति प्रो० एन०के० जोशी की अध्यक्षता में प्रशासनिक भवन में आयोजित की गई। जिसमें शोध छात्रवृत्ति, प्री० पी०एच-डी० कोर्सवर्क, पी०एच-डी0 मौखिकी परीक्षा, पी०एच-डी0 प्रवेश परीक्षा आदि से सम्बंधित विभिन्न प्रस्तावों का समिति सदस्यों द्वारा सर्वसम्मिति से अनुमोदन किया गया।

बैठक में वर्ष 2022 से कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल के तीन शोधर्थियों को प्रो० डी०डी0 पन्त, प्रो० के०एस० वल्दिया एवं प्रो० वाई०पी०एस० पांगती छात्रवृत्ति दिये जाने का अनुमोदन किया गया साथ ही प्री० पी०एच-डी० कोर्सवर्क की परीक्षा हेतु प्रत्येक प्रश्न पत्र में पृथक-पृथक 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य किये जाने का भी अनुमोदन किया गया। बैठक में वर्ष 2022 से शोध कार्य हेतु 62 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके प्राध्यापकों को शोधार्थी आवंटित न किये जाने का अनुमोदन किया गया साथ ही पी०एच-डी० प्रवेश परीक्षा हेतु केन्द्राध्यक्ष तथा पर्यवेक्षक के मानदेय बढ़ाये जाने का भी सर्वसम्मिति से अनुमोदन किया गया।

शोध सलाहकार समिति की बैठक में डी0 लिट/डी0 एस-सी0 हेतु पंजीकरण शुल्क एवं काउन्सिलिंग शुल्क के बढ़ाये जाने का भी अनुमोदन किया गया तथा तय किया गया कि यह बढ़ोत्तरी वित्त समिति/कार्यपरिषद् के अनुमोदन के पश्चात् लागू होगी। बैठक में तय किया गया कि अगर कोई शोधार्थी अथवा शोधार्थी दल किसी पेटैन्ट को फाईल कर उसे प्राप्त करता है तो उसे विश्वविद्यालय द्वारा प्रति पेटेन्ट प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी साथ ही तय किया गया कि सिल्वर जुबली छात्रवृति की धनराशि को बढ़ाये जाने हेतु शासन को प्रस्ताव भेजा जायेगा।

बैठक में तय किया गया कि पीएच०डी० में प्रवेश हेतु एक काउंसलिंग में एक शिक्षक को अधिकतम 2 ही शोधार्थी आबंटित किये जायेंगे और काउंसलिंग केवल एक ही बार होगी साथ ही प्री० पी०एच-डी० कोर्सवर्क में एथिक्स इन रिसर्च विषय पढ़ाया जायेगा।

शोध सलाहकार समिति की बैठक में सर्वसम्मिति से तय किया गया कि शोधार्थी के शोध प्रबन्ध मूल्यांकन हेतु शोध निर्देशक तथा विभागाध्यक्ष द्वारा 01 माह के भीतर पैनल प्रस्तुत नहीं किये जाने की दशा में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा परीक्षकों नामित कर दिए जाएंगे साथ ही तय किया गया कि शोध निर्देशक तथा विभागाध्यक्ष द्वारा शोधार्थी के प्री-सबमिशन एवं शोध ग्रन्थ जमा करने के 01 माह के भीतर मूल्यांकन हेतु पैनल दिया जाना अनिवार्य होगा। उक्त अवधि के भीतर पैनल न दिये जाने की दशा में विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा शोध मूल्यांकन परीक्षा हेतु बाह्य परीक्षक नियुक्त कर दिया जायेगा। बैठक में तय किया गया कि शोधार्थी को शोध ग्रन्थ जमा करते समय प्लेजरिज़म रिपोर्ट एवं 2 एनुअल रिव्यु का जमा करना होगा साथ ही शोध रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जायेगा।

बैठक में विगत वर्ष की भाँति शोध एवं शिक्षण कार्य में उत्कृष्ट कार्य करने वाले प्राध्यापकों एवं शोधार्थियों को सम्मानित किये जाने का भी अनुमोदन किया गया। बैठक में शासन के निर्देशानुसार राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शोध निदेशालय का नाम बदलकर अनुसन्धान एवं विकास प्रकोष्ट रखा गया साथ ही विश्वविद्यालय में अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त रिसर्च लैब बनाये जाने एवं इसका प्रस्ताव शासन को भेजे जाने पर भी सहमति बनी। 200 दिन की उपस्थिति के लिए विभाग पंजिका की छाया प्रति विभागाध्यक्ष डीन डायरेक्टर प्रिंसिपल से प्रमाणित कर थीसिस के साथ अलग से जमा करना होगा। वर्ष में एक बार श्री सलाहकार समिति की बैठक अनिवार्य रूप से होगी।

शोध सलाहकार समिति की बैठक का सञ्चालन निदेशक, शोध एवं प्रसार प्रो० ललित तिवारी द्वारा किया गया। बैठक में कुलसचिव श्री दिनेश चंद्रा, वित्त अधिकारी श्रीमती अनीता आर्या, कार्यपरिषद सदस्य डॉ० प्रकाश पांडे, डॉ० सुरेश डालाकोटी, श्री कैलाश जोशी, डॉ० बी०एस० जीना, संकायाध्यक्ष कला प्रो० आर०के० पांडे, संकायाध्यक्ष वाणिज्य प्रो० अतुल जोशी, संकायाध्यक्ष विज्ञान प्रो० ए०बी० मेलकानी, , निदेशक डी०एस०बी० परिसर प्रो० एल०एम० जोशी, निदेशक आई०क्यू०ए०सी० प्रो० प्रदीप गोस्वामी, निदेशक डी०आई०सी० प्रो० संजय पंत, डॉ० युगल जोशी, डॉ० आशीष तिवारी, डॉ० महेश आर्या, डॉ० सुषमा टम्टा आदि उपस्थित रहे।

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