भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक पोत आईएनएस राजपूत को किया सेवामुक्त
आज भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक पोत आईएनएस राजपूत को सेवामुक्त किया गया. इस अवसर पर 05 यू क़े नेवल यूनिट एनसीसी द्वारा एक वेबिनार ‘ आईएनएस राजपूत: 41 साल की शानदार सेवा के’ माध्यम से इसकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया।
डी एस बी परिसर के एनसीसी अधिकारी व् कार्यक्रम संयोजक सब ले. डॉ. रीतेश साह द्वारा कैडेट्स को बताया गया कि 21 मई को भारतीय नौसेना के पहले विध्वंसक – आईएनएस राजपूत के सेवामुक्त होने के साथ एक गौरवशाली युग का अंत हो गया । आईएनएस राजपूत, तत्कालीन सोवियत संघ द्वारा निर्मित काशीन श्रेणी के विध्वंसक जहाजों का प्रमुख जहाज 04 मई 1980 को कमीशन किया गया था और इसने भारतीय नौसेना को 41 वर्षों से अधिक समय तक सेवा प्रदान की है। आईएनएस राजपूत को अब नौसेना डाकयार्ड, पश्चिमी नौसेना कमांड विशाखापत्तनम में एक समारोह में सेवामुक्त हो गया। पाकिस्तानी पनडुब्बी पीएनएस गाज़ी को डूबने का श्रेया भी आईएनएस राजपूत को प्राप्त है, पीएनएस गाज़ी को 1971 के युद्ध में भारत के एकमात्र विमानवाहक पोत विक्रांत को डुबोने की ज़िम्मेदारी सौंपी गई इस बीच आईएनएस राजपूत को विशाखापत्तनम के समुद्र में कुछ हलचल दिखाई दी, तो उसने डेप्थ चार्ज किया और गाज़ी को समुन्द्र की गहराहियो में डुबो दिया था।
05 यू क़े नेवल यूनिट एनसीसी के कमांडोज अफसर कमांडर डी के सिंह ने कैडेट्स को बताया कि आईएनएस राजपूत का निर्माण निकोलेव (वर्तमान यूक्रेन) में 61 कम्युनार्ड्स शिपयार्ड में उनके मूल रूसी नाम ‘नादेज़नी’ के तहत किया गया था जिसका अर्थ है ‘होप’। जहाज की कील 11 सितंबर 1976 को रखी गई थी और उसे 17 सितंबर 1977 को लॉन्च किया गया था। जहाज को 04 मई 1980 को पोटी, जॉर्जिया में आईएनएस राजपूत के रूप में कमीशन किया गया था। गुलाब मोहनलाल हीरानंदानी उनके पहले कमांडिंग ऑफिसर के रूप में। राष्ट्र के लिए अपनी चार दशकों की शानदार सेवा के दौरान, जहाज को पश्चिमी और पूर्वी दोनों बेड़े में सेवा करने का गौरव प्राप्त है। इस जहाज ने राज करेगा राजपूत के अपने आदर्श वाक्य पर गर्व से जीया है, और इस आदर्श वाक्य के साथ, आईएनएस राजपूत की शिप कंपनी हमेशा सतर्क रही और हमेशा राष्ट्र के समुद्री हित और संप्रभुता की रक्षा के लिए कार्य किया।
कमांडर सिंह ने बताया कि “राज करेगा राजपूत” के आदर्श वाक्य और अदम्य भावना के साथ, आईएनएस राजपूत का वीर दल देश के समुद्री हित और संप्रभुता की रक्षा के लिए हमेशा सतर्क और हमेशा ‘ऑन कॉल’ रहा है। जहाज ने राष्ट्र को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से कई अभियानों में भाग लिया है। इनमें से कुछ में IPKF की सहायता के लिए श्रीलंका में ऑपरेशन अमन, श्रीलंका के तट पर गश्ती कर्तव्यों के लिए ऑपरेशन पवन, मालदीव से बंधक स्थिति को हल करने के लिए ऑपरेशन कैक्टस और लक्षद्वीप से ऑपरेशन क्रॉसनेस्ट शामिल हैं। इसके अलावा, जहाज ने कई द्विपक्षीय और बहुराष्ट्रीय अभ्यासों में भाग लिया। यह जहाज भारतीय सेना रेजिमेंट – राजपूत रेजिमेंट से संबद्ध होने वाला पहला भारतीय नौसेना जहाज भी था।आज 21 मई 21 को सूरज डूबने के साथ, नौसेना का पताका और कमीशनिंग पेनेंट को नीचे उतारा जाएगा और आईएनएस राजपूत को गौरवशाली सेवा के पश्चात सेवामुक्त कर दिया जायेगा।
इस वेबिनार में कैडेट्स को विध्वंसक पोत की कार्यविधि तथा युद्धपोत की डीकमीशनिंग की प्रक्रिया के समबन्ध में भी विस्तार से जानकारी दी गयी. इस अवसर पर कैडेट्स हेतु आईएनएस राजपूत की उपलब्धियों से सम्बंधित वीडियो भी प्रदर्शित किये गए तथा कैडेट्स द्वारा आईएनएस राजपूत पर प्र्स्तुतुकरण दिए गए।
इस वेबिनार में कमांडर डी के सिंह, सब ले. डॉ. रीतेश साह सहित सीनियर कैडेट कैप्टेन मानस पाठक, कैडेट कैप्टेन नीरज बिष्ट , सिमरम ऐरी, भावना उप्रेती, लीडिंग कैडेट्स राहुल पड़ियार, लक्ष्मी बिष्ट, भावना, चन्दन बिष्ट, इमरान अहमद , चारु करायत, प्रियांशी, करनजीत , कादंबरी, अनिकेत सहित 100 कैडेट्स सम्मिलित थे.