सभी पूर्णमासीयों में श्रेष्ठ मानी गई है माघ पूर्णिमा,आइये जानते है

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सभी पूर्णमासीयों में श्रेष्ठ मानी गई है माघ पूर्णिमा।,,,,,,, सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व बताया गया है। वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा पड़ती है। और सभी का भिन्न-भिन्न महत्व है। इन सब में माघ मास में पडने वाली पूर्णिमा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। इस दिन स्नान ध्यान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन हरिद्वार प्रयागराज मैं शाही स्नान होता है। एक धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन स्वर्ग लोक से देवी देवता धरती के गंगा घाट पर आते हैं। इसलिए यहां शाही स्नान का मेला लगता है। इस पावन दिन पूजा-पाठ और दान आदि का विशेष फल मिलता है।
शुभ मुहूर्त-,,,,,,,,, इस बार सन् 2022 में माघ पूर्णिमा अर्थात माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णमासी दिनांक 15 फरवरी 2022 दिन मंगलवार को रात्रि 9:42 पर प्रारंभ हो रही है और दिनांक 16 फरवरी दिन बुधवार को रात 1:25 पर समाप्त होगी अतएव माघी पूर्णिमा दिनांक 16 फरवरी दिन बुधवार को ही मनाई जाएगी। व्रत की पूर्णिमा भी इसी दिन मनाई जाएगी। इसी दिन दान स्नान व व्रत भी रखा जाएगा। इस बार माघ पूर्णिमा के दिन शोभन योग भी बन रहा है। शोभन योग माघ पूर्णिमा के दिन रात्रि 8:44 तक है। शोभन नाम के योग को सभी मांगलिक कार्यों के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन विजय नामक मुहूर्त दोपहर 2:28 से दोपहर 3:12 तक है। यदि नक्षत्रों की बात करें तो इस दिन अश्लेषा नामक नक्षत्र 20 घड़ी 44 पल तक है। इस दिन भद्रा सात घड़ी 48 पल तक है। यदि चंद्रमा की स्थिति जाने तो इस दिन चंद्रदेव 20 घड़ी 44 पल तक कर्क राशि में ही रहेंगे तदुपरांत चंद्रदेव सिंह राशि में प्रवेश करेंगे। माघ पूर्णिमा की रात्रि चंद्रमा की पूजा करने से चंद्र दोष दूर होता है।
महत्व,,,,,,,, माघी पूर्णिमा की रात्रि चंद्र देव की पूजा करने से चंद्र दोष दूर होता है। इस दिन रात्रि को धन एवं वैभव की देवी माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन पूजा स्थल को साफ करना चाहिए। और माता लक्ष्मी जी की विधि विधान से पूजा करने के बाद उन्हें सफेद मिठाई का भोग लगाना चाहिए ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर में सुख शांति एवं समृद्धि आती है। माघ पूर्णिमा के संबंध में पुराणों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से शोभायमान होकर अमृत की वर्षा करते हैं। इसके अंश वृक्षों में नदियों में जलाशयों में और सभी प्रकार की वनस्पतियों में होते हैं इसलिए इसमें सारे रोगों से मुक्ति दिलाने वाले गुण उत्पन्न होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार माघी पूर्णिमा में स्नान दान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है । इसलिए इस दिन गंगा नदी में स्नान करना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो सके तो किसी समीप के जलाशय में अथवा जल स्रोत में स्नान करना चाहिए यदि ऐसा भी संभव ना हो तो घर में स्नान के जल में गंगा जल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके अलावा गंगाजल का आचमन करना चाहिए या थोड़ा सा गंगाजल पी लेने से भी पुण्य प्राप्त होता है माघी पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए और व्रत करना चाहिए। संभव हो तो सायंकाल को भगवान सत्यनारायण की कथा किसी ब्राह्मण देव को बुलाकर करवानी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के सभी पाप खत्म हो जाते हैं। घर में सुख एवं शांति आती है। सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है। एक ऐसी मान्यता भी है कि माघी पूर्णिमा पर स्वर्ग लोक से सभी देवता भी अपना रूप बदलकर गंगा स्नान के लिए प्रयागराज आते हैं। इसलिए इस दिन का विशेष महत्व है। जो श्रद्धालु तीर्थराज प्रयाग में 1 माह तक कल्पवास करते हैं माघी पूर्णिमा पर उनके व्रत का समापन होता है। सभी कल्प वासी माघी पूर्णिमा पर माता गंगा की आरती पूजन करके साधू सन्यासियों और ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं। इसके बाद बची हुई सामग्री का दान कर देवी गंगा से फिर बुलाने का निवेदन कर अपने-अपने घर जाते हैं। कहते हैं कि माघ पूर्णिमा पर ब्रह्म मुहूर्त में नदी स्नान करने से सभी प्रकार की व्याधियों नष्ट होती हैं। इस दिन तिल और कंबल का दान करने से नरक लोक से मुक्ति मिलती है। माघी पूर्णिमा की प्रातः ही स्नान आदि करने के बाद भगवान विष्णु की पूजा करके तदुपरांत पितरों का श्राद्ध कर ब्राह्मणों को भोजन वस्त्र तिल कंबल कपास गुड घी फल अन्न आदि का दान करें। इस दिन गौ दान का विशेष फल प्राप्त होता है । इसी दिन संयम पूर्वक आचरण कर व्रत करें। इस दिन गरीबों एवं जरूरतमंदों की सहायता अवश्य करनी चाहिए इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आपके द्वारा या आपके मन वचन या कर्म के माध्यम से किसी का अपमान न हो इस प्रकार संयम पूर्वक उपवास करने से उपवास कर्ता को पुण्य फल प्राप्त होते हैं। लेखक पंडित प्रकाश जोशी

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