केएल डीम्ड-टु-बी यूनिवर्सिटी ने की अपने 11वें दीक्षांत समारोह की मेज़बानी, 3,650 छात्रों ने प्राप्त की स्नातक,स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि

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केएल डीम्ड-टु-बी यूनिवर्सिटी ने की अपने 11वें दीक्षांत समारोह की मेज़बानी; 3,650 छात्रों ने प्राप्त की स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि

देहरादून– केएल डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी, स्नातक और उच्च शिक्षा के लिए देश के अग्रणी विश्वविद्यालयों में से एक, ने 3650 से भी अधिक उत्तीर्ण छात्रों की सफलता का जश्न मनाने के लिए अपना 11वां दीक्षांत समारोह आयोजित किया, जिसमें इन छात्रों को सफलतापूर्वक अपनी उच्च शिक्षा पूर्ण करने के लिए डिग्री प्रदान की गई। स्नातक पाठ्यक्रमों में बी.टेक, बी.कॉम., बीबीए, बीसीए, बी.एससी., बी.ए., बी.फार्म, बी.आर्क, बीबीए-एलएलबी और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में एम.टेक, एमबीए, एम.एससी, एम.ए. शामिल हैं। कैंपस में सभी की मौज़ूदगी में हुए इस समारोह में प्रसन्न छात्रों, गौरवान्वित अभिभावकों, रोमांचित शिक्षकों की हलचल और कुल मिलाकर आभार की भावना छाई रही।

इस भव्य दीक्षांत समारोह में एयरोस्पेस, ऑटोमोबाइल और मनोरंजन उद्योग के प्रतिष्ठित नेताओं की उपस्थिति देखी गई, जिनमें मुख्य अतिथि डॉ. के. सिवन, अध्यक्ष, इसरो सचिव, अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार और सम्मानित अतिथि श्री कमल बाली, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, वोल्वो ग्रुप, इंडिया शामिल थे। ब्रह्माश्री छगंती कोटेश्वर राव, विश्व विख्यात प्रवचनकार्ता, श्री मोहम्मद अली, फिल्म कलाकार और श्री. कुचिभोटला आनंद, संस्थापक, सिलिकॉन आंध्रा, यूएसए इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि थे।

डॉ. एस.एस. मंथा, कुलपति, केएल डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी ने 3525 स्नातक तथा स्नातकोत्तर और 125 डॉक्टरेट डिग्री (पीएचडी) प्रदान कीं। 40 स्वर्ण पदक और 40 रजत पदक सभी विशेषज्ञता पाठ्यक्रमों में प्रथम तथा द्वितीय स्थान प्राप्त करने वालों को प्रदान किए गए। डॉ. के. सिवन और श्री. कमल बाली को ’डॉक्टर ऑफ साइंस’ (ऑनोरिस कौसा) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। श्री. मोहम्मद अली, फिल्म कलाकार, श्री. कुचिभोटला आनंद, संस्थापक, सिलिकॉन आंध्र, यूएसए, और ब्रह्मश्री छगंती कोटेश्वर राव, विश्व विख्यात प्रवचनकर्ता को “डॉक्टर ऑफ लेटर्स“ (ऑनोरिस कौसा) की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए, केएल डीम्ड-टु-बी यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष, इंजीनियर कोनेरू सत्यनारायण ने छात्रों से नवाचार के माध्यम से आत्मविश्वास के साथ अपने प्रयासों से नई दुनिया का नेतृत्व करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “विश्वविद्यालय के छात्र हमारी जीवित विरासत हैं और शिक्षक के रूप में हम सामूहिक रूप से उन सभी के लिए गर्व महसूस करते हैं, जिन्होंने इस भयंकर महामारी के दबाव में भी अपने लक्ष्य हासिल किए। मुझे उस समय का इंतज़ार है, जब हम एक विश्वविद्यालय के रूप में एक बार फिर अपने अद्भुत छात्रों की उपलब्धियों और प्रगति का आनंद मनाने के लिए एकत्र होंगे।“

उत्तीर्ण छात्रों को संबोधित करते हुए, इसरो के अध्यक्ष, अंतरिक्ष विभाग के सचिव, डॉ. के. सिवन ने कहा, “मैं उत्तीर्ण छात्रों को दिल से बधाई देता हूँ और कामना करता हूँ कि वे भविष्य में क्रांतिकारी बदलाव देखें। महामारी ने महत्वाकांक्षी लीडर्स को चुनौतियों के लिए लचीलापन और अत्यधिक तत्परता विकसित करने का अवसर दिया है। केएल जैसे विश्वविद्यालय के साथ, जहां आप आर एंड डी के लिए सभी सही सुविधाओं से संपन्न हैं, वहां नवाचार और विकास के लिए वास्तविक अवसर हैं, मैं इस विश्वविद्यालय की पौध को साधन संपन्न पेशेवरों के रूप में अंकुरित होते हुए देखने के लिए उत्सुक हूँ।“

डॉ. जी. पार्थसारथी वर्मा, कुलपति, केएल डीम्ड टु बी यूनिवर्सिटी, ने दर्शकों को पिछले एक साल में विश्वविद्यालय की यात्रा के बारे में बताते हुए ’दीक्षांत समारोह रिपोर्ट’ प्रस्तुत की। विश्वविद्यालय अपनी प्रतिभा, बुनियादी ढांचे और संरक्षण के लिए तेजी से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त कर रहा है। इन वर्षों के दौरान, इसे 30000 से अधिक छात्रों को डिग्री प्रदान करने का गौरव प्राप्त है।

बी.टेक मैकेनिकल इंजीनियरिंग में प्रथम रैंक प्राप्तकर्ता और डॉ. ए.सी. राव मैमोरियल गोल्ड मेडल से सम्मानित, जलेला ईश्वर सिंह ने इस यादगार दिन पर टिप्पणी करते हुए कहा, “मैं वास्तव में भाग्यशाली हूँ कि आखिरकार मैं अपने परिवार, जिससे मैं प्यार करता हूँ, अपने विश्वविद्यालय, जिसका मैं सम्मान करता हूँ और अपने शिक्षकों, जिनसे मैं प्रेरणा लेता हूँ, की उपस्थिति में अपनी डिग्री प्राप्त कर रहा हूँ। मुझे याद है कि कैसे मैं महामारी से उत्पन्न संकटों और अपने करियर को लेकर प्रत्याशित चिंताओं से घिरा रहता था। लेकिन अभी, मैं केवल उन स्मृतियों के बारे में सोच रहा हूँ जो हमने इस विश्वविद्यालय में बनाई हैं और अपने उन शिक्षकों के बारे में भी, जिन्होंने उस समय हमारी सीखने की भावना को बहाल किया, जब हम बिल्कुल खो से गए थे।‘’

एम टेक सीआरएस में स्वर्ण पदक विजेता कृष्णा जगुपिला की मां, श्रीमती कनक दुर्गा जगुपिला ने कहा, “यह आज यहां उपस्थित हर माता-पिता के लिए गर्व का क्षण है, जो न केवल अपने बच्चों का सपोर्ट करने आए हैं, बल्कि उन सभी छात्रों की खुशी में शामिल होने आए हैं, जिन्होंने अपनी उपलब्धियों, नवाचार और समर्पण के साथ बहुत बहादुरी से महामारी पर भी विजय पा ली।“

विश्वविद्यालय ने उत्तीर्ण बैच से लगाई हुई अपनी ऊँची उम्मीदें व्यक्त कीं और उन्हें शुभकामनाएं दीं, क्योंकि अब शानदार अवसरों के द्वार उनके लिए खुल गए हैं।

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