कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल द्वारा आयेजित किया “काव्यांत्रिकी “अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन
75 वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया । यह आयोजन शोध एवं प्रसार कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल, राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल डॉ.वाई.पी.एसण.पांगती फाउडेशन कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल तथा इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय डी.एसण.बीण.परिसर नैनीताल के द्वारा किया गया । कार्यक्रम का संचालन श्री पीयूष शुक्ल संयुक्त आयुक्त जीएसटी कानपुर द्वारा तथा कार्यक्रम का संयोजन डॉ.नीलम लोहियां एसोसिएट प्रोफेसर जी आई टी एम, गुरूग्राम द्वारा किया गया । काव्यांत्रिकी का उद्घाटन एवम शुभारंभ प्रो.ललित तिवारी निदेशक शोध एवं प्रसार विभाग कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल द्वारा किया गया , उनके द्वारा सभी प्रतिभागियों का स्वागत एवं अभिनन्दन किया गया, उन्होने कहां कि वैश्विक महामारी में वैश्विक स्तर के इस कार्यक्रम का आयेजन करना गैरव की बात है तथा काव्य मानव जीवन की निरसता को दूर करने में सहायक है । यह हमें सकारात्मक उर्जा प्रदान करने वाला है, हम अपनी खुशी एव गम को बहुत सुन्दर शब्दों में पिरोकर प्रस्तुत करते है, जिससे वक्ता अथवा लेखक अपनी बात को रख सकता है। प्रो.तिवारी द्वारा भी शायराना अंदाजा में कहा ” न सरकार मेंरी न रोब मेरा, मैं तो केवल हिदुंस्तान का हुं और सारा हिदुंस्तान मेरा”।
काव्यांत्रिकी कविता , काव्यधारा ,छंद, गीत,मूक स्वर, रसरहित एवं नवचेतना की एक श्रृंखला है जिसमें न केवल राज्य एवं देश अपितु विदेशों के कवियों ने प्रतिभाग किया तथा अपनी सुंदर रचनाए, कृतियों, गायन ,स्वर तथा काव्य से समा बांध दिया , कार्यक्रम का आयेजन जूम मीटिगं के साथ ,साथ फेशबुक तथा यू टयूब के माध्यम से प्रसारित किया गया । काव्यांत्रिकी में प्रवासी कवि जो विदेशों में उच्च पदों पर कार्यरत हैं ने कार्यक्रम आयेजन समिति का आमंत्रण स्वीकर करने में तत्परता दिखायी तथा कार्यक्रम में अपने प्रस्तुतीकरण से इसकों और भी रोचक, मनोरंजक एव ज्ञानवर्धक बना दिया।
डॉ0नीलम लोहिया द्वारा सम्मेलन का सरस्वती वंदना से शुभारंभ किया । उन्होने काव्यांत्रिकी का परिचय दिया।
प्रवासी कवि श्वेता सिंह “उमा” फैशन डिजाईनर मास्को रूस, विनीता अध्यापक वशिगंटन डीसी यूएसए तथा लिपिका मित्तल एइलैक्ट्रानिक इंजीनियर यूएसए ने प्रतिभाग किया तथा अपनी सुंदर कृतियों ,पंक्तियों तथा काव्य से सबको मंत्र मुग्ध कर दिया । इन प्रवासियों की हिन्दी भाषा में ज पकड़ की कार्यक्रम में प्रतिभाग कर रहे सभी कवियों ने सराहना की तथा कहा कि विदेश में रहकर भी अपनी मात्रा भाषा को सम्मान दिलाना देश भक्ति है ।
कार्यक्रम में प्रवासी कवि श्वेता सिंह ’’उमा’’ मास्को रूस ने अपने द्वारा रचित कविताओं काव्य तथा कृतियों से कार्यक्रम को रोचक बना दिया तथा सभी ने उनको तालियों की गडगडाहट से सम्मानित किया उनके द्वारा प्रस्तुत विभिन्न कृतियों में से एक ’’ जहन के गलीचे ये डर जो झाकतां है ,तेरे हौसले के जखीरों को चुपके से आकता है, उम्मीद जब तक निगेबा होगा तेरा तुझे हरा ना पायेगा ये इबलिश भी जानता है । ’’ तेरी बरूखी पर मुझे बेइंतहा प्यार आता है जितना तडफाये तू उतना करार आता है , दर्द मे ही तो दर्द की दवा छुपी होती है,जितना चोट करो उतना शमशीर में धार आता है’’। उस एक रब के इतने मजहब क्यों हैं, ,खुद को अब्बल बताने के लिए बेसबब क्यों है, सच है हर रूह से झाकता है तू, तेरी औलाद इतनी फिर इतनी बेदअब क्यों है ’’
काव्यांत्रिकी में प्रवासी कवि विनीता वशिगंटन डीसी यूएसए ने अपने शायराना अंदाज में काव्यांत्रिकी का आगज किया उनके इस अंदाज ने सभी वक्ताओं को आर्कषित किया तथा उनका सम्मान सभी ने तहेदिल से किया तथा तालियां बजाकर उनका उत्साहवर्धन किया । उन्होने बहुत ही सुंदर सुदर गजल का गायन किया तथा शैर भी सुनाये । उन्होने हिंदी के दोहे ” हिंदी भाषा प्रेम की है, भारत की शान दिन दुनी प्रगति करे शुरू करो अभियान हिंदी को सर्मपित करते हुए अगाज किया।
गजल “कुछ तो पाया है मेरे दिल ने तेरे जाने मे, रात भर रोये थे कुछ मेतियों को पाने में।
फिर न कहना कि मुझे दोस्तों का मोल नहीं,उम्र गुजरी है तुझे भुलाने में , तुमने पुछा ही नहीं मुझसे मेरा जिगर हाल ,मैं गया था तेरे बुलाने मे”।
डॉ0 मीरा चौरसियां चमन लाल महाविद्यालय रूडकी ने ” हमारे नौजवान भी दिल में सरफरोशी की तमन्ना रखतें है ,उनकी बातों से हर पल वतन की खुशबू आती है ,हम भी हर पल उन वीरों की गाथा कलम से लिखतें हैं इसलिए कलम से वतन की खुशबू आती है।
अन्तर्राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में प्रवासी कवि लिपिका मित्तल , यूएसए ने हिन्दी की विभिन्न शब्दों को काव्य के रूप में प्रस्तुत किया। जिसमें मुख्य. “भय क्या है , भविष्य की आडं में वर्तमान की विकृत करना कही कुछ हो ना जाए यह सोच बस चुप रहना हाथों की लंबाई नाप जीबा छोटी करतें हैं।क्रोध क्या है जीवन को बस में करने की चाह और दुनिया बस में न होने की आह।
दिव्या असिटेंट प्रोफेसर वाराणासी ने किताबों में लिखे हर्फ मिटाना तो है मुमकिन, मगर तारीख मिटाना आसान सी किताब नहीं कि उभरी हुई लकीरे इसकी मिटा पायें किसी रबड में आ सकती है इतनी ताब नही, मिले थे तुम कहा हमसे ये इन पन्नों में दर्ज है ’’ कविता सुनाकर श्रोतओं के उत्साहित किया।
कुणाल मिश्र बी0टैक छात्र ने गजल ’’ आख से आंसू निकलने से बचाया जायेगा, हर सिंतम पर मुस्सलसल मुस्कुराया जायेगा ,गर बनेगा खुबसूरत फिर ये जहां एक दफा सबसे पहले तेरा चेहरा बनाया जोयगा, मांग लेगे फिर से इन्दर कवच कुण्डल किसी कर्ण से, अर्जुन को एक बार फिर अब्बल बताया जायेगा। ’’
मै तो दे दू जान अपनी यार तेरे बास्ते , दोस्ती का भार क्या तुमसे उठाया जायेगा।
प्रशातं बेबार मुबई ने ’’ हॉं वतन के सीने में यह दर्द लुकना चाहिए जैसे भी हो पीप बहता ये घाव रूकना चाहिए, बह चुका है खून बहुत मफलस हवा में, हिन्द का जैसे भी हो खून बहता रूकना चाहिए, मंदिर और मस्जिद में ये इंसान कही का न रहा, अब इंसानियत के सामने ये धर्म झुकना चाहिए,बाटने और काटने का सिलसिला कब है नया, पीड उस सीने में हो दिल तेरा दुखना चाहिए ’’ रचना सुनाकर कार्यक्रम में वाहवाही लुटी।
कवित्री गायत्री ने अपनी रचना ’’ गजल थक गए सब कहते दीवना हमें , आपने ही देर से जाना हमें बात चुबती है थोडी मगर ऐसे ही समझाना आता है हमें, उसने हो्ठों से पिलाइ देर तक आ गया रास मैखाना हमें,’’। ’’तुने कोशिस तो की जमाने पर , लौ बुझी ही नही बुझाने पर, लाश ख्वाबों की दफन कर आयें , दर्द अब जा लगा ठिकाने पर और मेरे हाथों का देखने जादू घर पर कभी तो खाने पर’’ सुनायी ।
डॉ0अंजू भटट सहायक प्राध्यापक राजकीय महाविद्यालय ऋषिकेश ने पलायन पर कविता ’’आसा नहीं होता छोडकर घर अपना ढुढने के लिए सुनहरा भविष्षय एक अजनबी ओर परायी सी धरती पर , अनजोन शहर में सुनाकर पलायन के दर्द को बंया किया।
अश्वनी ने इस कार्यक्रम में तिंरगा पर पंक्तियां सुनाकर सबको प्रभावित किया ’’सोना बोया है खेतों मे तो हरा रंग आया है , और गांधी जी के तप को श्वेत वर्ण दर्शाया है ,अपने श्वांसों से बांधा है तेरी डोरी को ,लहु से तेरे लालों ने केसरिया रंग सजाया है।
डॉ0नीलम लोहिया ने अपनी प्रेरणादायी रचनाओं से शक्ति का संचार किया जिसके कुछ अंशं’’ जीवन के अंजान के सफर में यू तो स्वपन पिरोते है सब पाने की ख्वाहिश होती है लेकिन सच कब होते सब, कर्म जो प्रतिबध हुआ है,अगर होसलों में उडान हो तो कठिन लक्ष्य आसान हुआ है ’’।
पीयूष शुक्ला ने काव्यांत्रिकी का संचालन के साथ-साथ सुन्दर पंक्तियां सुनाकर सबकों उत्साहित किया । जिसके कुछ अंश है’’ ये वादी ये हवा के झोकें करो कोई साजिश की लम्हों को रोके, तुम्हे ढुंढ पाया हुँ मै खुद को खोकर ,कोई नींद गहरी डुबा था मैं जिसमें तुम्हारे खातिर जगाया गया हुँ ,मैं आया नहीं हुँ बुलाया गया हुँ।अन्त में डॉ0 विजय कुमार द्वारा काव्यांत्रिकी में सभी कवियों अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत किया, उन्होने प्रवासी कवि , आमत्रित कवि मंच का संचालन कर रहे वक्ताओं तथा
आयोजन समिति के प्रो0ललित तिवारी निदेशक शोध एवं प्रसार कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल, राष्ट्रीय सेवा योजना प्रकोष्ठ कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल,
नैनीताल डॉ.वाई.पी.एस.पांगती फाउडेशन नैनीताल कुमाऊँ विश्वविद्यालय नैनीताल तथा इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय डीएसबी परिसर नैनीताल का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम के आयोजन मे डॉ0 नन्दन मेहरा ,दीक्षा बोरा, का आभार व्यक्त किया । कार्यक्रम में 60 से अधिक कवियों ने अपनी कृतिया एवं रचनाओं को प्रस्तुत किया तथा 100 से अधिक प्रतिभागियों,शोधार्थियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में डॉ. नीलू लोधियाल,डॉ.शालिनी शर्मा, डॉ. मधुमति जोशी,डॉ. एच एन पनेरू,डॉ. नंदन मेहरा ,पल्लवी शर्मा, डॉ.संतोष उपाध्याय , डॉ.पैनी जोशी, डॉ.गीता तिवारी, डॉ. शशि बाला उनियाल, डॉ.अनीता पटेल, डॉ.लक्ष्मी किरोला, दिव्या साह, मनोज बिष्ट, डॉ.सुरेश पांडे, डॉ.लक्ष्मी देवी, डॉ.हरीश कांडपाल, डॉ.निस्त्रा साह इत्यादि रहें