प्रो.ललित तिवारी निदेशक,शोध एवम् प्रसार,कुमाऊं विश्विद्यालय नैनीताल ने 25 जनवरी से हुए आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में ऑनलाइन दिया व्याख्यान
प्रो ललित तिवारी निदेशक, शोध एवम् प्रसार ,कुमाऊं विश्विद्यालय नैनीताल ने दिल्ली विश्वविद्यालय के मानव विकास संसाधन एवम् विकास केंद्र द्वारा 25जनवरी 2021से 8फ़रवरी 2021तक आयोजित रिफ्रेशर कोर्स में ऑनलाइन व्याख्यान दिया। प्रो तिवारी ने औषधीय पोधों की विवधता पर प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि विश्व में 5200औषधीय पौधों की प्रजातियां हैं,भारतीय हिमालय क्षेत्र में 18,440प्रजातियां हैं,और भारत में 7500 औषधीय पौधों की प्रजातियां हैं, उत्तराखंड में 701पौधों की प्रजातियां औषधियां गुण युक्त हैं,तथा 250 क्रूड ड्रग प्लांट यहां होते हैं।प्रो तिवारी ने थुनर, सतवा,वन अजवाइन,अग्नि, कुठ, हथाजरी,चंद्रवन, नैर बज्रदंती, ,चूक,अमलताश, हरड़ की उपयोगिता पर भी प्रकाश डाला।उन्होंने बताया कि 2051तक 5 ट्रिलियन डॉलर का कारोबार औषधीय पौधों का होगा, जो प्रतिवर्ष 7 प्रतिवर्ष की वृद्धि दर्शाता है। भारत में 2500 व्यापारिक औषधीय प्रजातीय में से 1587आयुर्वेद में, सिध्चा में 1128, यूनानी में 503, सोप गिरियां में 253 तथा 192 प्रजातियां पश्चिमी औषधीय तंत्र में प्रयुक्त होते हैं।विश्व में 5,12,000मीट्रिक टन हर्बल ड्रग की जरूरत है। औषधीय पौधे केवल 22प्रतिशत ही खेती से मिलते है जबकि शेष जंगल से प्राप्त होते हैं। इसबगोल,अश्वगंधा,पीपली, तुलसी, वासा दो हजार से तीन हज़ार मीट्रिक टन की आवश्यकता है।प्रो तिवारी ने
अष्टवर्ग के पौधों पर भी प्रकाश डाला है। प्रो तिवारी ने बताया कि औषधीय पौधों का संरक्षण सतत विकाश के लिए अनिवार्य है , जिससे उनकी जनसंख्या बढ़ाने, अंतरराष्ट्रीय सहयोग ओषधीय पौधों की खेती सहित कॉर्पस फंड बनाना होगा जिससे इनका उत्पादन एवम् आर्थिकी दोनो बड़ सकेंगे।रिफ्रेशर कोर्स लाइफ लाइन साइंस दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित है तथा इसके संयोजक प्रो पी एल उनियाल है