“स्वरोजगार एवम् स्वावलंबन बढ़ाता उत्तराखण्ड का पर्वतीय चकबंदी एवम् भू सुधार कानून “विषय पर ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबीनर का किया आयोजन
राजनीति शास्त्र विभाग ,राजकीय महाविद्यालय भतरोजखान ने ‘स्वरोजगार एवम् स्वावलंबन बढ़ाता उत्तराखण्ड का पर्वतीय चकबंदी एवम् भू सुधार कानून ” विषय ” विषय पर ‘ उत्तराखण्ड कि माटी बोले संवाद श्रृंखला ‘ के अंतर्गत ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबीनर का आयोजन किया – मुख्य अतिथि श्री दर्शन सिंह बिष्ट, जिला कार्यकारी सदस्य बीजेपी अल्मोड़ा ने कहा चकबंदी की जगह परंपरागत तरीके से आपसी सहमति से ज़मीनी एकत्रीकरण होगा अधिक लाभकारी और कम समय लागत एवम् समय में होगा पूरा राजनीति शास्त्र विभाग ,राजकीय महाविद्यालय भतरोजखान आदरणीय प्राचार्य एवम् संरक्षक प्रो सीमा श्रीवास्तव की अध्यक्षता में एवम् समन्वयक एवम् प्रभारी राजनीति विज्ञान विभाग , डॉ केतकी तारा कुमैय्या के नेतृत्व में दिनांक 05 जुलाई ,”स्वरोजगार एवम् स्वावलंबन बढ़ाता उत्तराखण्ड का पर्वतीय चकबंदी एवम् भू सुधार कानून ” विषय पर ऑनलाइन राष्ट्रीय वेबीनर का आयोजन किया गया जिसमे मुख्य अतिथि श्री दर्शन सिंह बिष्ट , जिला कार्यकारी सदस्य , बीजेपी ,अल्मोड़ा ने शिरकत की।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवम् मुख्य वक्ता श्री दर्शन सिंह बिष्ट एक ओजस्वी वक्ता है, विधिवेत्ता है, अधिवक्ता है एवम् उत्तराखण्ड राजनीति में पिछ्ले 12 वर्षो से महत्वपूर्ण दायित्वनिर्वाह कर चुके है जैसे जिलाध्यक्ष भाजयुमो, जिला महामंत्री , पंचायती राज अधिनियम समिति के सदस्य के रूप में महत्वपूर्ण पदों पर दायित्व निभा चुके है।
राज्य कि भौगोलिक परिस्थितियों को नजदीक से देखते हुए एवम् क्षेत्रीय समस्याओं की पकड़ होने के नाते उन्होंने चकबंदी की जगह काश्तकारों को आपसी रजामंदी एवम् सहमति के द्वारा परंपरागत तरीके से ज़मीनी एकत्रीकरण की सलाह दी है ताकि वे सरकारी विलंब से बच सके ।
उनके अनुसार उत्तराखण्ड में स्वरोजगार इसलिए आगे नहीं बढ रहा क्योंकि यहां का युवा केवल सबिसडी पाने तक ही सीमित रहते है और सब्सिडी पाने के बाद , अधिकारियों द्वारा निरीक्षण होने के बाद वे उस परियोजना को यकायक बंद कर देते है।
साथ ही रानीखेत के चौबटिया गार्डन के बारे में चर्चा करी जो कि पहले उत्तर प्रदेश में उद्यान विभाग का निदेशालय हुआ करता था और। अंग्रेज़ी द्वारा एक लैब तैयार की गई थी जो की वैज्ञानिक पैमानों से अत्यधिक आधुनिक थी किन्तु आज वह जर्जर हालत में है । उदहारण देते हुए यह भी कहा कि एक समय था कि रानीखेत के चौबटिया गार्डन से हिमाचल कि नर्सरी के लिए सेब भेजे जाते थे लेकिन आज उत्तराखण्ड में स्वरोजगार के प्रति उदासीनता दिखती है । इसलिए उनका सुझाव है कि राजनीतिक नेतृत्व को इन बातों के लिए संवेदनशील होना पड़ेगा और कृषि विकास में रचनात्मक प्रयोगों कि पहल करनी होगी।
प्रतिभागियों में डॉ चंचल रानी ,डॉ संजीव कुमार मिश्रा , डॉ संतोष पात्रा डॉ दिलीप मोहंती डॉ अर्चना चौधरी ,डॉ संजीव कुमार , डॉ रत्ना, ,विकास चौहान, स्वेता कुमारी तथा तकनीकी सहयोग के लिए लक्ष्य पांडेय सहित कई शोधार्थियों एवं प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया। इसमें उत्तराखण्ड समेत ओडिशा, वेस्ट बंगाल , मणिपुर। कर्नाटक , महाराष्ट्र, राजस्थान , महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश से लोगो ने शिरकत की ।
वेबिनार के अंत मे समन्वयक एवम् प्रभारी राजनीति विज्ञान विभाग डॉ केतकी तारा कुमैया ने प्राचार्य सीमा श्रीवास्तव, मुख्य अतिथि श्री दर्शन सिंह बिष्ट, प्रभारी प्राचार्य डॉ एस के सिंह , प्राध्यापको एवम् सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद ज्ञापित किया ।