आध्यात्मिक:- शनि जयंती पर विशेष लेख
जेष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को शनि देव की जयंती मनाई जाती है।शनि देव भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जेष्ठ मास के कृष्ण अमावस्या के दिन शनिदेव का जन्म हुआ था। न्याय के देवता माने जाने वाले शनि देव की जयंती इस बार दिनांक 6 जून 2024 दिन गुरुवार को मनायी जाएगी।इस दिन भगवान
शनिदेव की आराधना करनी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार भगवान शनि जयंती के दिन श्राद्ध पिंड दान वह दान पुण्य के लिए बेहतर दिन है। इस दौरान जरूरतमंद लोगों को राशन वितरित करने से लेकर पेड़ पौधे लगाने आदि तक से दोहरा फल प्राप्त होता है। भगवान शनि देव के साथ साथ हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे दोहरा फल प्राप्त होता है। झूठ नहीं बोलना चाहिए ।धोखा देने वह किसी का
दिल दुखाने से परहेज करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण जिस किसी जातक की राशि में शनि है शनि की साढ़ेसाती चल रही है उसे तो इस दिन अवश्य ही शनिदेव की आराधना करनी चाहिए। शनि का अर्थ है शनै अर्थांत धीरे धीरे अर्थात शनि अपनी राशियों में धीरे धीरे चलते हैं।12 राशियों का चक्कर लगाने में इन्हें लगभग 30 वर्ष का समय लगता है अतः एक राशि में शनि लगभग ढाई वर्ष रहते हैं। एक वही राशि जिसमें शनि स्थित हैं, एक उससे पहले की राशि और एक बाद की राशि कुल साढ़े 7 वर्ष होता है। इसीलिए
इसे साढ़ेसाती कहते हैं उदाहरणार्थ – जैसे इस समय वर्तमान में शनि कुम्भ राशि में हैं तो कुम्भ राशि में साढेसाती तो है ही इसके अलावा कुम्भ से पहले मकर और कुंभ के बाद की राशि मीन में भी साढ़ेसाती हुई ।अतः मकर कुंभ मीन इन 3 राशियों में शनि की साढेसाती वर्तमान में चल रही है। इन राशि के जातकों को तो शनिदेव की आराधना करना नितांत आवश्यक है।
नीलांजन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम ।
छाया मार्तंड संभुतम तम नमामि शनिश्वरम।।
इस मंत्र से शनि देव की आराधना कीजिए।या ॐ सं शनैश्चराय नमः।
मंत्र का जप करें।
न्याय करने वाले ग्रह शनि देव की कृपा आप और हम सभी पर बनी रहे। इसी मंगल कामना के साथ आपका दिन मंगलमय हो।