ख़ास खबर-चलो मिलकर मुहिम चलाये, आज ही से मातृभाषा अपनाए: प्रो० अग्रवाल

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शहीद श्रीमती हंसा धनाई राजकीय महाविद्यालय अगरोड़ा (धारमंडल) टिहरी गढ़वाल में प्राचार्य प्रोफेसर विनोद प्रकाश अग्रवाल की अध्यक्षता में मातृभाषा की महत्ता तथा सड़क सुरक्षा- जीवन रक्षा विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठियों का आयोजन किया गया। प्रथम सत्र में प्राचार्य प्रो० अग्रवाल ने गढ़वाली भाषा में अपना व्याख्यान देते हुए मातृभाषा का महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि दुनिया भर में 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य अपनी भाषा, संस्कृति के प्रति लोगों में रुझान पैदा करना तथा जागरूकता फैलाना है। दुनिया भर में करीब 7 हजार भाषाएं बोली जाती हैं, जिनमें से लगभग 1650 भाषाएं भारत में बोली जाती है। भूगोल विभाग के डॉ० प्रमोद सिंह ने गढ़वाली भाषा में अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत एक बहुभाषी, बहुसंस्कृतिक व बहुधार्मिक देश है। हिंदी विभाग के डॉ० किशोरीलाल ने हिंदी भाषा का विकास तथा इसकी महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मातृभाषा हमें अपनी विशिष्ट संस्कृति से जोड़ती है। वनस्पति विज्ञान विभाग के डॉ० भरत गिरी गोसाई ने कुमाऊनी भाषा मे अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने बताया कि मातृभाषा मानव के संस्कारों की संवाहक होती हैं। मातृभाषा हमें राष्ट्रीयता से जोडती हैं तथा देश प्रेम की भावना भी उत्प्रेरित करती है। विश्वविद्यालय में भाषा को लेकर विभिन्न कोर्सेज तैयार की जाए ताकि छात्र छात्राओं को सभी भाषाओं की जानकारी मिल सके। भूगोल विभाग की डॉ० सुमिता पवार ने बताया कि भाषाएं अतीत को वर्तमान से जुड़ती हैं। भाषाएं ज्ञान सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान कायम रखने की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। समाजशास्त्र विभाग की डा० आराधना बंधानी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि हमें बच्चों को घर से ही मातृभाषा का ज्ञान देना चाहिए। मातृभाषा सीखने के लिए किसी पाठशाला की जरूरत नहीं पड़ती है, बल्कि यह उससे स्वत: ही अपने परिजनों द्वारा उपहार स्वरूप मिलती है। पुस्तकालय सहायक श्री अजीत नेगी ने भी गढ़वाली भाषा में अपने विचार व्यक्त करते हुए बताया कि मातृभाषा का प्रचार, प्रसार, सम्मान, संवर्धन तथा संरक्षण करना हम सब का नैतिक कर्तव्य है। प्रथम सत्र का संचालन करते हुए डॉ० जितेंद्र शाह ने बताया कि बच्चों की प्रारंभिक पढ़ाई मातृभाषा में होनी चाहिए जिससे बच्चों की प्रतिभा को निखारा जा सकता है। संगोष्ठी के दूसरे सत्र में सड़क सुरक्षा-जीवन रक्षा विषय पर राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ० आराधना बंधानी ने छात्र-छात्राओं को सड़क सुरक्षा नियमावली से अवगत कराया। इस संगोष्ठी में डॉ० विजयराज उनियाल, डॉ० बिशनलाल, डॉ० राकेश रतूड़ी, डॉ० बबीता बट़वाण, डॉ अजय कुमार, समस्त कर्मचारी वर्ग तथा छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया।

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