हिन्दुस्तान जिंक की ‘सखी‘ महिलाएं अब तैयार कर रही फैब इण्डिया के लिये परिधान

ख़बर शेयर करें

पंतनगर- ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सशक्तिरण के लिये स्वयं के व्यवसाय को पूरा करने के लिये हिन्दुस्तान जिं़क की सखी परियोजना और फैब इण्डिया अब मिल कर उन्हें संबंल देगें। राजस्थान और उत्तराखंड महिलाओं के जीवन को बदलने और उन्हें स्व-निर्मित और स्वतंत्र उद्यमी बनने में सक्षम करने में हिन्दुस्तान जिं़क ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। ये महिलाएं अब अपने परिवार का सहयोग कर आत्मविश्वास और अपने विचारों को अभिव्यक्त कर अच्छा जीवन यापन कर रही हैं।

हिंदुस्तान जिंक की प्रमुख परियोजना सखी ग्रामीण महिलाओं को उनके वित्त, कौशल विकास और उद्यमिता क्षमताओं को बढ़ाने के लिए स्वयं सहायता समूहों में सशक्त बनाने और अवसर प्रदान करने का प्रयास कर रही है। व्यवसाय की सूक्ष्म उद्यम परियोजना, सखी उत्पादन समिति, स्थायी आजीविका संभावनाएं प्रदान करने और स्थानीय समुदायों को आत्मनिर्भर भारत की ओर अग्रसर कर रही है है। सखी परियोजना राजस्थान और उत्तराखंड के 189 गांवों में संचालित है, इससे जुडकर 27,000 से अधिक महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं। इस पहल के तहत 2159 स्वयं सहायता समूह अब तक कुल 11.62 करोड़ रुपये की बचत कर चूके है।

हिंदुस्तान जिंक की सखी उत्पादन समिति से 130 से अधिक सखी महिलाएं जुडकर सुंदर पारंपरिक शिल्प कौशल के साथ विभिन्न प्रकार के परिधान तैयार कर रही हैं। सखी महिलाओं द्वारा निर्मित उत्पााद विभिन्न प्रकार के स्थानीय और आनलाइन बाजार में उपलब्ध है। बडी उपलब्धी के रूप में सखी महिलाओं को अब फैब इंडिया जैसे जाने माने ब्राण्ड के लिये भी परिधान तैयार करने का अवसर मिला है। रुद्रपुर के कलीनगर गांव में स्थापित सखी सिलाई प्रशिक्षण केंद्र पर महिलाएं कुछ वर्षाे से सिलाई और अन्य हस्तशिल्प उत्पाद बनाना सीख रही हैं। इस परियोजना के तहत 189 महिलाओं ने सिलाई का प्रशिक्षण प्राप्त किया और 67 महिलाओं ने हस्तशिल्प उत्पादों को तैयार करने में मार्गदर्शन प्राप्त किया। फैब इंडिया कंपनी को 2021 में सखी प्रोडक्शन सेंटर का अवलोकन कर महिलाओं से बातचीत का प्रस्ताव दिया गया जिसमें फैब इण्डिया की टीम ने महिलाओं का रोजगार देने का वादा किया। इसी को कार्यान्वित करते हुए फैब इण्डिया ने 494 पुरूष परिधान कुर्ते का ऑर्डर दिया जिसे सखी महिलाओं ने सफलतापूर्वक पूर्ण किया।

सखी केंद्र से जुडी सुधा सिंह ने सखी परियोजना के अंतर्गत कार्य करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, ‘‘मैं तीन बच्चों की मां हूं और मेरे पति एक किसान हैं। सखी में शामिल होने से पहले, आर्थिक तौर पर कठिनाई का सामना करना पडता था लेकिन, अब मैं अपने पति की मदद कर सकती हूं। हमारे बच्चों के लिए काफी बेहतर शैक्षिक संभावनाएं और परिवार को बेहतर जीवन देने का सपना सखी से जुडने के बाद संभव हो सका है। मैं वर्तमान में सखी सिलाई केंद्र में फैब इंडिया के लिये पुरूषों के कुर्ते बनाती हूं और लगभग 6,000 से 7,000 रुपये प्रति माह की आमदनी हो रही है। कस्बें में एक जनरल स्टोर भी संचालित कर रही, जिसके लिए मैंने 30,000 रुपये का ऋण लिया, जिसमें से मैंने 21,000 रुपये चुका दिए हैं। अब मैं न केवल सामाजिक बल्कि मानसिक और आर्थिक रूप से भी सशक्त हूं।

महिलाएं समाजए परिवार और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती है। हिन्दुस्तान जिं़क का महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनानेए आर्थिक क्षमतावर्धन और उनके समग्र विकास को सुनिश्चित करने के साथ ही उन्हें उद्यमी के रूप स्थापित करने के लिए उनके कौशल विकास पर केंद्रित हैं।

You cannot copy content of this page