राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला का किया गया ऑनलाइन आयोजन
कुमाऊं विश्वविद्यालय के जैव प्रौद्द्योगिकी विभाग में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन एवं कार्यशाला (ऑनलाइन) का आयोजन किया गया I कार्यक्रम दो सत्रों में आयोजित हुआ जिसका संचालन प्रोफेसर ललित मोहन तिवारी (वनस्पति विज्ञान विभाग) प्रोफेसर वीना पाण्डेय (विभागाध्यक्षा, जैव प्रौद्द्योगिकी विभाग) एवं एसोसिएट प्रोफेसर गीता तिवारी (रसायन विज्ञान विभाग) ने किया I
इस अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि डॉ0 दिलीप कुमार उप्रेती एवं विशिष्ट अतिथि किरीट कुमार (निदेशक, गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान, अल्मोड़ा ) उपस्थित रहे I ईo किरीट कुमार ने डॉ० संतोष कुमार उपाध्याय एवं उनकी शोध टीम को लाइकेन से सम्बंधित परियोजना को सफलता पूर्वक पूरा करने पर बधाई दी एवं इस परियोजना के उपलब्धियों की सराहना कीI
प्रोफेसर एस सी सती (डीन, विज्ञान संकाय, डी एस बी परिसर, नैनीताल) ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और ‘लाइकेन’ पर अपने अनुभव को साझा करते हुए प्रकाश डाला I
मुख्य अतिथि डॉ0 दलीप कुमार उप्रेती ने ‘आधुनिक समय में भारतीय लाइकेन विज्ञान में प्रगति’ पर व्याख्यान दिया I इस क्रम में डॉ० उप्रेती ने लाइकेन के महत्तव पर प्रकाश डालते हुए बताया कि लाइकेन किस प्रकार से पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, लाइकेन के अनुप्रयोग से पर्यावरण में हो रहे प्रदूषण को कैसे बताया जा सकता है I प्रोफेसर एन के जोशी (कुलपति, कुमाऊं विश्वविद्यालय) ने डॉ० संतोष कुमार उपाध्याय उनकी शोध टीम एवं विश्वविद्यालय परिवार को देश में सर्वाधिक लाइकेन का डीएनए बारकोडिंग करने वाली प्रयोगशालाओं में से एक होने की उपलब्धि पर बधाई दी, कुलपति जी ने लाइकेन के प्रजातियो एवं औषधीय गुणों को बताया I ज्यादातर लाइकेन की प्रजातियां भारत में पायी जाती है एवं उत्तराखंड का हिमालयी क्षेत्र इस मामले में सबसे धनी हैI इसी क्रम में डॉ० उडेनि जयलाल (सबरगामूवा विश्वविद्यालय, श्री लंका) ने ‘श्री लंका में लाइकेन विज्ञान का अध्ययन’ विषय पर व्याख्यान दिया एवं भारतीय और श्री लंका के लाइकेन की प्रजातियों के तुलनात्मक विश्लेषण पर चर्चा किया I डॉ० राजेश बाजपेयी (वैज्ञानिक, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसन्धान संस्थान, लखनऊ) ने ” लाइकेन: अगली पीढ़ी की हर्बल औषधियों के विकास के लिए एक शक्तिशाली जीव” पर व्याख्यान देते हुए लाइकेन के औषधीय गुणों को बताते हुए युवा शोधार्थियों को इस तरफ आकर्षित किया I
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में डॉ० वर्तिका शुक्ला (बी आर अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ) ने “जैव निगरानी दृष्टिकोण: लाइकेन के साथ वायु गुणवत्ता की निगरानी” विषय पर व्याख्यान दिया और बताया कि लाइकेन के इस्तेमाल किस तरह से वायु प्रदुषण सूचक की तरह किया जा सकता हैI डॉ० योगेश जोशी (राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर) ने ” लाइकेन प्रणाली और पहचान के तरीके” विषय पर अपनी बात राखी और बताया की विभिन्न आधारों पर लाइकेन की पहचान कैसे की जा सकती है I इस तरह दो दिवसीय कार्यशाला एवं सम्मलेन के प्रथम दिन का सफलतापूर्वक समापन हुआ I