बहुत महत्वपूर्ण है पौष रविवार व्रत
बहुत महत्वपूर्ण है पौष रविवार व्रत ।,,,,,
इस प्रकार से करें पूजा,,,,
प्रातः काल 4:00 बजे किसी पवित्र नदीया स्रोत में स्नान करके फिर पूजा प्रारंभ करें । भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य दें । भगवान सूर्य देव का ध्यान करें । हरि: ओम विष्णु विष्णु विष्णु,, आदि मंत्र से व्रत का संकल्प लें तत्पश्चात भगवान सूर्य देव का ध्यान करते हुए निम्न मंत्र पढ़े अथवा किसी योग्य ब्राह्मण देव से कथा करवाएं । जपा कुसम संकाशं काश्यपेयं महाद्युतिम ।
तमोरिंसर्वपापघ्नं प्रणातोस्मि दिवाकरम ।।
तदुपरांत भगवान सूर्य देव की प्रतिमा पर पंचामृत से स्नान कराएं। धूप दीप नैवेद्य भगवान सूर्य देव को अर्पित करें वस्त्रम समर्पयामि वस्त्र चढ़ाएं। पुष्पा नी समर्पयामी भगवान सूर्य देव को पुष्प अर्पित करें। तदुपरांत प्रत्येक अंग की पूजा करें । तदुपरांत भगवान सूर्य देव की कथा श्रवण करें अथवा पढ़ें।
पौष रविवार व्रत कथा,,,,,,प्राचीन समय में एक बुढ़िया रहती थी। वह नियमित रूप से रविवार का व्रत करती थी। रविवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर बुढ़िया स्नानादि से निवृत्त होकर आगन को गोबर से लिप कर स्वच्छ करती। इसके बाद सूर्य भगवान की पूजा करते हुए रविवार व्रत कथा सुनकर सूर्य भगवान का भोग लगाकर दिन में एक समय भोजन करती। भगवान सूर्य देव की अनुकंपा से बुढिया को किसी प्रकार की चिंता वह कष्ट नहीं था धीरे-धीरे उसका घर धन-धान्य से भर रहा था। उस बुढ़िया को सुखी होते देख उसकी पड़ोसन उससे बुरी तरह जलने लगी। बुढ़िया ने कोई गाय नहीं पाल रखी थी। अतः वह अपनी पड़ोसन से आंगन में बची हुई गाय का गोबर लाती थी। पड़ोसन ने कुछ सोच कर अपनी गाय को घर के भीतर बांध दिया रविवार को गोबर न मिलने से बुढिया अपना आंगन नहीं लीप सकी। आगन न लीप पाने के कारण उस बुढ़िया ने सूर्य भगवान को भोग नहीं लगाया और उस दिन स्वयं भी भोजन नहीं किया सूर्यास्त होने पर बुढ़िया भूखी प्यासी सो गई। रात्रि में सूर्य भगवान ने उसे स्वप्न में दर्शन दिए और व्रत न करने तथा उन्हें भोग न लगाने का कारण पूछा। बुढ़िया ने बहुत ही तरुण स्वर में पड़ोसन के द्वारा घर के अंदर गाय बांधने और गोबर न मिलने की बात कही। भगवान सूर्य देव ने अपनी अनन्य भक्त बुढ़िया की परेशानी का कारण जानकर उसके सब दुख दूर करते हुए कहा हे माता ! तुम प्रत्येक रविवार को मेरी पूजा और व्रत करती रहो मैं तुम से अति प्रसन्न हूं और तुम्हें ऐसी गाय प्रदान करता हूं जो तुम्हारे घर आंगन को धन-धान्य से भर देगी। तुम्हारी सभी मनोकामनाएं पूरी होगी। रविवार का व्रत करने वालों की में सभी इच्छाएं पूरी करता हूं। मेरा व्रत करने व कथा सुनने से बांझ स्त्रियों को पुत्र की प्राप्ति होती है। स्वप्न में उस बुढ़िया को ऐसा वरदान देकर सूर्य भगवान अंतर्धान हो गए। प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व उस बुढिया की आंख खुली तो वह अपने घर के आंगन में सुंदर गाय और बछड़े को देखकर हैरान हो गई। गाय को आंगन में बांधकर जल्दी से उसे चारा लाकर खिलाया। पड़ोसन ने उस बुढिया के आंगन में बड़ी सुंदर गाय और बछड़े को देखा तो वह उसे और अधिक जलने लगी। तभी गाय ने सोने का गोबर किया। गोबर को देखते ही पड़ोसन की आंखें फट गई। पड़ोसन ने उस बुढ़िया को आसपास न देख कर तुरंत उस गोबर को उठाया और अपने घर ले गई तथा अपनी गाय का गोबर वहां रख आई। सोने के गोबर से पड़ोसन कुछ ही दिनों में धनवान हो गई। गाय प्रतिदिन सूर्योदय से पूर्व सोने का गोबर दिया करती थी और बुढ़िया के उठने से पहले पड़ोसन उस गोबर को उठाकर ले जाती थी। बहुत दिनों तक बुढिया को सोने के गोबर के बारे में कुछ पता नहीं चला। बुढ़िया पहले की तरह हर रविवार को भगवान सूर्य देव का व्रत करती रही और कथा सुनती रही। लेकिन जब सूर्य भगवान को पड़ोसन की चालाकी का पता चला तो उन्होंने तेज आंधी चलाई आंधी का प्रकोप देखकर बुढ़िया ने गाय को घर के भीतर बांध दिया। सुबह उठकर बुढ़िया ने सोने का गोबर देखा तो उसे बहुत आश्चर्य हुआ। उस दिन के बाद बुढ़िया गाय को घर के भीतर बांधने लगी। सोने के गोबर से बुढ़िया कुछ ही दिनों में धनी हो गई। बुढिया के धनी होने से पड़ोसन फिर बुरी तरह जल भून कर राख हो गई और उसने अपने पति को समझाया उस नगर के राजा के पास भेज दिया। राजा को जब बुढिया के पास सोने के गोबर देने वाली गाय के बारे में पता चला तो उसने अपने सैनिक भेज कर बुढ़िया की गाय लाने का आदेश दिया। सैनिक उस बुढिया के घर पहुंचे। उस समय बुढ़िया सूर्य भगवान को भोग लगाकर स्वयं भोजन करने वाली थी राजा के सैनिकों ने गाय और बछड़े को खोला और अपने साथ महल की ओर ले चले बुढ़िया ने सैनिकों से गाय और उसके बछड़े को ना ले जाने की प्रार्थना की। बहुत रोई चिल्लाई लेकिन राजा के सैनिक नहीं माने। गाय व बछड़े के चले जाने से बुढिया को बहुत दुख हुआ उस दिन उसने ना कुछ खाया ना कुछ पिया। और सारी रात सूर्य भगवान से गाय व बछड़े को लौटाने के लिए प्रार्थना करती रही। उधर सुंदर गाय को देखकर राजा बहुत खुश हुआ सुबह जब राजा ने सोने का गोबर देखा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा। उधर सूर्य भगवान को भूखी प्यासी बुढ़िया को इस तरह प्रार्थना करते देख उस पर बहुत करुणा आई उसी रात सूर्य भगवान ने राजा को स्वप्न में कहा राजन बुढ़िया की गाय और बछड़ा तुरंत लौटा दो नहीं तो तुम पर विपत्तियों का पहाड़ टूट पड़ेगा। तुम्हारा महल नष्ट हो जाएगा। सूर्य भगवान के सपने से बुरी तरह भयभीत राजा ने प्रातः उठते ही गाय और बछड़ा बुढिया को लौटा दिया। राजा ने बहुत सा धन देकर बुढ़िया से अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी। राजा ने पड़ोसन और उसके पति को उसकी इस दुष्टता के लिए दंड दिया। फिर राजा ने पूरे राज्य में घोषणा कराई कि सभी स्त्री-पुरुष रविवार का व्रत किया करें। रविवार का व्रत करने से सभी लोगों के घर धन-धान्य से भर गए चारों ओर खुशहाली छा गई। सभी लोगों के शारीरिक कष्ट दूर हो गए। राज्य में सभी स्त्री-पुरुष सुखी जीवन यापन करने लगे।