बहुत महत्वपूर्ण है हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व,आइये जानते है किस दिन रहेगा व्रत और क्यों ?

ख़बर शेयर करें

बहुत महत्वपूर्ण है हिंदू धर्म में श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व।,,,,,, भगवान श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में आज से 5248 वर्ष पूर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था।
शुभ मुहूर्त—इस बार सन् 2022 में दिनांक 18 अगस्त दिन गुरुवार को स्मार्त अर्थात शैव समुदाय के लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे तथा दिनांक 19 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार को वैष्णव समुदाय के लोग श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाएंगे। यदि अष्टमी तिथि की बात करें तो दिनांक 18 अगस्त के दिन अष्टमी तिथि का प्रारंभ 39 घड़ी दो पल अर्थात रात्रि 9:21 से प्रारंभ होगी तथा अष्टमी तिथि का समापन दिनांक 19 अगस्त को 43 घड़ी 5 पल अर्थात रात्रि 10:49 बजे तक होगा। यदि नक्षत्रों की बात करें तो 18 अगस्त के दिन 44 घड़ी 35 पल अर्थात मध्य रात्रि 11:34 बजे तक भरणी नामक नक्षत्र तदुपरांत कृतिका नामक नक्षत्र उदय होगा। यदि इस दिन के चंद्रमा के बारे में जाने तो इस दिन चंद्रदेव पूर्णरूपेण मेष राशि में विराजमान रहेंगे।
ज्योतिष गणना के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का अवतरण इस धरती पर आज से 3226 वर्ष ईसा पूर्व हुआ था अर्थात वर्तमान में ईसवी के 2022 वर्ष चल रहे हैं अतः 3226 और 2022 को जोड़ने पर 5248 वर्ष होते हैं अतः इस वर्ष भगवान श्री कृष्ण का 5248 वा जन्मदिन होगा ।
भगवान श्री कृष्ण की लीलाएं अनंत हैं किंतु प्रमुख रूप से उनकी तीन लीलाएं विशेष प्रसिद्ध है। इन तीन लीलाओं में उनका आरंभ होता है ब्रज लीला से तदनंतर आती है माथुर लीला और अंत में द्वारिका लीला। एक ही व्यक्ति ने इन तीन लीलाओं का प्रदर्शन अपने जीवन के विभिन्न भागों में किया था। अतः श्री कृष्ण की एकता में किसी प्रकार का संदेह नहीं किया जा सकता। जो व्यक्ति श्री कृष्ण के व्यक्तित्व में भेद मानता है उसका चिंतन सर्वथा निराधार है। श्री कृष्ण का गोपियों के साथ लीला विलास का संबंध जीवन के प्रारंभ से लेकर अंत तक रहता है। उन्होंने उस समय अपने जेष्ठ भ्राता को गोकुल में नंद के घर में रोहिणी माता के गर्भ में योग माया के आशय से संयुक्त करा दिया था। जो संकर्षण नाम से विख्यात हुए। शिशु के प्रभाव से देवकी तथा वसुदेव को कारागार में रखने पर भी उनके जीवन में अद्भुत लीला दृष्टिगोचर हुई थी। रक्षक लोगों को निद्रा आ गई थी तथा उनके बंधन मुक्त हो गए थे। कृष्ण जब अपने जीवन के प्रारंभ में गोकुल आए तब यशोदा को कन्या की प्राप्ति हुई थी यह भी कृष्ण के जीवन के आरंभिक काल का लीला विलास था । श्री कृष्ण के आरंभिक जीवन में गोपियों के साथ नाना प्रकार की लीलाओं का विन्यास दृष्टिगोचर होता है। कंस द्वारा कृष्ण को मारने के अनेक उपायों में उनकी लीला का विलास दृष्टिगोचर होता है। कृष्ण की जीवन लीला को समाप्त करने के लिए कंस ने विविध चेष्टा की थी और इनमें कृष्ण के जीवन का विलास प्रचुर मात्रा में देखा जा सकता है। उन्हें मारने के लिए पूतना भेजी गई थी और बालक कृष्ण ने उसे दूध पीते ही मार डाला। यह भी उनके आरंभिक जीवन का विलास ही था।

You cannot copy content of this page