क्या है विश्व हिंदी दिवस का महत्व? और क्यों कहते हैं इस लिपि को देवनागरी लिपि? आइए जानते हैं

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क्या है विश्व हिंदी दिवस का महत्व? और क्यों कहते हैं इस लिपि को देवनागरी लिपि? आइए जानते हैं।,,,,,, विश्व हिंदी दिवस प्रतिवर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है। हमारे देश भारत वर्ष में अनेकों लोगों में यह असमंजस की स्थिति है की हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है अथवा 10 जनवरी को। अतः प्रिय पाठकों के इस असमंजस को दूर करने हेतु बताना चाहूंगा कि विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को ही मनाया जाता है। 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। इन दोनों दिवसों में कोई खास अंतर नहीं है। 14 सितंबर को राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य भारत में हिंदी को आधिकारिक हिंदी का दर्जा मिला था। वहीं दूसरी ओर विश्व हिंदी दिवस को इसलिए मनाया जाता है ताकि संपूर्ण विश्व में हिंदी को वही दर्जा मिल सके। अतः दोनों हिंदी दिवसों का उद्देश्य हिंदी का प्रचार एवं प्रसार ही है। अब अनेकों पाठकों के मन में एक प्रश्न अवश्य आता होगा कि विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी को क्यों मनाया जाता है? दरअसल प्रथम हिंदी दिवस सम्मेलन 10 जनवरी 1975 को महाराष्ट्र के नागपुर में आयोजित किया गया था। इस सम्मेलन का उद्देश्य संपूर्ण विश्व में हिंदी के प्रचार प्रसार करना था। उस सम्मेलन में विश्व के 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए थे। 14 सितंबर को प्रतिवर्ष राष्ट्रीय हिंदी दिवस मनाया जाता है। संविधान ने देवनागरी लिपि में लिखी हिंदी को अंग्रेजी के साथ राष्ट्रीय की आधिकारिक भाषा के तौर पर 14 सितंबर 1949 को स्वीकार किया था। अनेकों पाठकों के मन में यह प्रश्न भी अवश्य उठता होगा कि इसे देवनागरी लिपि क्यों कहते हैं? आज मैं अपने प्रिय पाठकों को इसके बारे में विस्तार से समझाने का प्रयास करना चाहूंगा। हमारे सनातन धर्म के अनुसार 33 कोटि देवता माने गए हैं। अर्थात देशों की संख्या 33 है। समस्त सुमेरु पर्वत में भी 33 पर्वत श्रृंखलाएं हैं। वह भी देवतुल्य माने गए हैं। ठीक इसी प्रकार देवनागरी लिपि में वर्णमाला की संख्या भी 33 है क ख ग घ , ,,,,,, ह तक इनकी संख्या 33 है इसके अतिरिक्त क्ष त्र ज्ञान यह तीन तो संयुक्ताक्षर कहे जाते हैं। इनकी संख्या 33 होने के कारण यह भी देव तुल्य माने गए हैं इसलिए इसे देवनागरी लिपि कहा जाता है। साथ ही साथ प्रिय पाठकों को एक रहस्य की बात और बताना चाहूंगा कि विज्ञान के अनुसार भी हमारे शरीर के अंदर जो मेरुदंड होता है उसमें भी 33 कशेरुकायें होती है।

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