निर्जला एकादशी व्रत का क्या है विशेष महत्त्व
निर्जला एकादशी व्रत पर विशेष। एकादशी का व्रत हर महीने में दो बार किया जाता है। इस तरह साल भर में कुल 24 एकादशी तथा अधिक मास में 26 एकादशी होती हैं। सभी एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होते हैं। इस व्रत को शास्त्रों में मोक्ष प्रदान करने वाला व्रत बताया गया है लेकिन इस व्रत को विधि विधान के साथ रखने पर ही वर्ती की इच्छा इसका पूर्ण फल प्राप्त होता है। लेकिन अगर आप हर माह दो एकादशी के व्रत नहीं रख सकते तो सिर्फ एक निर्जला एकादशी व्रत रख ले। जेष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहा जाता है। निर्जला का अर्थ है जल रहित इस बार सन् 2021 में यह पर्व 21 जून को मनाया जाएगा इस व्रत के नियम एकादशी व्रत के मुकाबले कठिन होते हैं लेकिन यह व्रत जितना कठिन है उतना ही प्रभावशाली भी है। महाभारत काल में राजा पांडु के घर में सभी सदस्य एकादशी का व्रत करते थे। लेकिन भीम को भूखा रहने में बड़ी दिक्कत होती थी। वह व्रत नहीं रख पाते थे। इस बात से भी बहुत दुखी होते थे और उन्हें लगता था कि ऐसा करके वह भगवान विष्णु का निरादर कर रहे हैं। इस समस्या को लेकर भीम महर्षि व्यास के पास गए तब वेदव्यास ने कहा अगर आप मोक्ष पाना चाहते हैं तो एकादशी का व्रत आवश्यक है। यदि आप हर माह की एकादशी का व्रत नहीं रख सकते तो जेष्ठ शुक्ल एकादशी निर्जला एकादशी का व्रत रखें। लेकिन इसके नियम बहुत कठिन है। नियमों का पूरा पालन करने से ही आपको 24 एकादशी ओं का फल प्राप्त होगा। भीम इसके लिए तैयार हो गए और निर्जला एकादशी का व्रत रखने लगे। तभी से इस एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। महर्षि वेदव्यास ने टीम को बताया था एकादशी का उपवास निर्जल रहकर करना होता है। इसमें न अन्न ग्रहण करते हैं और न जल केवल कुल्ला या आचमन के लिए मुख में जल डाल सकते हैं। इसके अलावा किसी तरह जल व्यक्ति के मुंह में नहीं जाना चाहिए। अन्यथा व्रत भंग हो जाता है। निर्जला एकादशी व्रत सूर्योदय से शुरू होकर अगले दिन के सूर्योदय तक चलता है। पारण तक जल की एक बूंद भी गले से नीचे नहीं उतारी जाती अगले दिन द्वादशी को सुबह में स्नान करके ब्राह्मणों को भोजन आदि कराएं सामर्थ्य के अनुसार दान दें इसके बाद व्रत का पारण करें अब मैं पाठकों को निर्जला एकादशी तिथि का मुहूर्त की जानकारी देना चाहूंगा निर्जला एकादशी तिथि 20 जून को शाम 4:21 से तथा समाप्त होगी 21 जून दोपहर 1:31 तक पारण का समय 22 जून सुबह 5:13 से 8:01 तक। अब मैं सुधि पाठकों को निर्जला एकादशी व्रत की विधि बताना चाहूंगा। व्रह्म मुहूर्त में उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान करें। और पीले वस्त्र धारण करें। भगवान को पीला चंदन पीले अक्षत पुष्प धूप दीप नैवेद्य वस्त्र और दक्षिणा आदि अर्पित करें। ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का उच्चारण करें और निर्जला एकादशी की कथा पड़े या सुने एकादशी के दिन से द्वादशी के दिन पारण करने तक अन्न और जल ग्रहण न करें रात में जाग कर भगवान का भजन और कीर्तन करें अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन के बाद उन्हें दान देकर सम्मान पूर्वक विदा करें इसके बाद व्रत खोलें। लेखक श्री पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल