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मधुश्रवा त्रतीया या हरयाली तीज,,,,,, हरियाली तीज इस बार दिनांक 11 अगस्त बुधवार को मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र 10 घटी 22 पल तक है। शिवयोग 31 घड़ी उन 50 पल तक है। अगर तृतीया तिथि की बात करें तो तृतीया तिथि आरंभ दिनांक 10 अगस्त शाम 6:05 से तथा समापन दिनांक 11 अगस्त सायं 4:53 तक है। इस बार हरियाली तीज पर महत्वपूर्ण शिव योग बन रहा है जो शाम 6:28 तक है। सावन मास में शिव योग किसी पर्व के दिन होना बहुत शुभ फलदायक होता है। इस योग में किए गए सभी मंत्र बहुत ही महत्वपूर्ण एवं शुभ फलदायक होते हैं। अब प्रिय पाठकों को एक विशेष बात बताना चाहूंगा की माता पार्वती की पूजा जब कर रहे हो तब ओम ओम आए नमः ओम पार्वती नमः ओम शिवाय नमः मंत्रों का उच्चारण तथा शिवजी की पूजा में ओम हराए नमः ॐ महेश्वराय नमः ओम शंभवे नम: ओम शूलपाणये नमः ओम पशुपति नमः ॐ महादेवाय नमः का उच्चारण शांति एवं कामना रहित भाव से करनी चाहिए। सभी शुभ फल प्राप्ति होती है। अब प्रिय भक्तों को एवं पाठकों को हरियाली तीज कथा के बारे में बताना चाहूंगा। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिमालय राज के घर माता पार्वती ने पुनर्जन्म लिया। बचपन से ही उन्होंने शिव को पति के रूप में पाने की कामना की थी। समय बीतने के साथ एक दिन नारद मुनि राजा हिमालय से मिलने गए और वहां पर उन्होंने माता पार्वती से विवाह के लिए भगवान विष्णु का नाम सुझाया। हिमालय राज को भी यह बात अच्छी लगी। उन्होंने विष्णु भगवान को दामाद के रूप में स्वीकारने की सहमति दे दी। जब माता पार्वती को पता चला कि उनका विवाह विष्णु भगवान से तय कर दिया गया है तो वह अति निराश हो गई। तथा भगवान शिव जी को पाने के लिए जंगल में चली गई वहां एकांत में उन्होंने रेत से शिवलिंग बनाया और व्रत किया। भोले शंकर को पति के रूप में पाने के लिए माता पार्वती ने कठोर तपस्या की। माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उनकी इच्छा पूर्ण होने का वरदान दिया। और वहीं दूसरी तरफ जब पर्वतराज हिमालय को माता पार्वती के मन की बात पता चली तो उन्होंने भगवान शिव से माता पार्वती का विवाह करने के लिए तैयार हो गए। अंततः माता पार्वती का विवाह संपन्न हो गया और तभी से इस दिन को हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है। लेखक पंडित प्रकाश जोशी गेठिया नैनीताल

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