साइकिल चलाएंगे तो इम्युनिटी रहेगी चुस्त, पर्यावरण होगा तंदरुस्त

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साइकिल चलाएंगे तो इम्युनिटी रहेगी चुस्त, पर्यावरण होगा तंदरुस्त
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला दून विश्वविद्यालय, देहरादून, उत्तराखंड
साइकिल और साइकिल दौड़ दुनिया भर में लोकप्रिय हैं, खासकर यूरोप में साइकिल रेसिंग के लिए सबसे अधिक समर्पित देशों में बेल्जियम, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड, स्पेन और स्विट्जरलैंड शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अन्य देशों में ऑस्ट्रेलिया, लक्ज़मबर्ग, यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका और कोलंबिया शामिल हैं। साइकिल चलाना न सिर्फ स्वास्थ्य के लिहाज से फायदेमंद है, बल्कि मोटर वाहनों की जगह इसका इस्तेमाल करने से पर्यावरण की सेहत भी सुधर सकती है। इसी को ध्यान में रखकर 2018 से हर वर्ष तीन जून को विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य सरल, किफायती, भरोसेमंद परिवहन के साथ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्रोत्साहित करना है। दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारे देश में एक वक्त शान की सवारी मानी जाने वाली साइकिल आधुनिकता की दौड़ में कहीं पीछे छूट गई। उसकी जगह मोटरसाइकिल और कार ने ले ली। अब कोरोनाकाल में एक बार फिर आमजन का रुझान साइकिल की तरफ बढ़ा है। यह सुखद है। सेहत के साथ ग्लोबल वार्मिंग से जूझ रहे पर्यावरण के लिहाज से भी। विशेषज्ञों की मानें तो प्रतिदिन 30 मिनट साइकिल चलाने से हमारे शरीर में मौजूद इम्यून सेल सक्रिय हो जाते हैं। इससे बीमार होने का खतरा कम हो जाता है। रोजाना साइकिल चलाने से मस्तिष्क भी अधिक सक्रिय रहता है, जो कैचिंग पावर (चीजों को समझने की शक्ति) को बढ़ाता है। इसलिए आप भी रोजाना साइकिलिंग कीजिए और अपनी इम्युनिटी (शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता) को सेहतमंद बनाइये। फिटनेस ट्रेनर और फिटनेस एसोसिएशन उत्तराखंड के संयोजक बताते हैं कि रोजाना आधा घंटा साइकिल चलाने से पेट की चर्बी कम होती है। फिटनेस बरकरार रहती है। इम्यून सिस्टम ठीक तरीके से काम करता है। इसके अलावा लगातार साइकिल चलाने से घुटने और जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है। संयोजक के अनुसार रोजाना साइकिल चलाने से व्यक्ति के मस्तिष्क की शक्ति बढ़ती है और उसका मस्तिष्क अन्य व्यक्तियों के मुकाबले ज्यादा सक्रिय रहता युवाओं में साइकिल के बढ़ते क्रेज को इससे समझा जा सकता है कि कोविड कर्फ्यू के चलते बीते दिनों बाजार बंद हो गए तो नालापानी निवासी ने अपने और अपने भाई के लिए गुजरात के अहमदाबाद से ऑनलाइन दो साइकिल मंगवाई हैं। ऐसे और भी कई लोग हैं। साइकिल पर्यावरण के लिए हितकर है। न कार्बन प्रदूषण, न ध्वनि प्रदूषण, न सड़क पर जाम का खास कारण बनता है। जाम की स्थिति पर जहां अन्य वाहनों को रुकना पड़ता है वहीं साइकिल-चालक बगल-बगल से निकलने में भी सफल हो सकता है। सड़कों पर अन्य वाहन दुर्घटना के कारण बन सकते हैं लेकिन साइकिल शायद ही कभी कारण होगा।अब कोरोनाकाल में एक बार फिर आमजन का रुझान साइकिल की तरफ बढ़ा है।यह सुखद है। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आधुनिकता की दौड़ में अब साइकिल का सहारा बनी है। वक्त के साथ ही लोगों की सोच भी बदली है। शहर की खूबसूरत सड़कों पर फिर से साइकिल लवर्स के काफिले बढ़ने लगे हैं। साइकिल चलाने को एक व्यायाम के रूप में अपनाइए तो इसके ढेर सारे लाभ होते हैं। यदि समतल सड़क या मैदान पर साइकिल चलाई जाए तो इसमें थकान कम और व्यायाम अधिक होता है।
जिनके घुटने के जोड़ दुःखते हैं या शरीर में जकड़न महसूस होती है, वे अनिवार्य रूप से एक घंटे साइकिल चलाएँ। जरूरी नहीं है कि सड़कों या मैदानों में जाकर ही यह कार्य करें।
चाहें तो घर के किसी कमरे में साइकिल को स्टैंड पर खड़ी करके सीट पर बैठ जाएँ तथा पैडल मारें, इससे घुटनों का अच्छा व्यायाम हो जाता है तथा जोड़ खुलने लगते हैं। पैरों की पिंडलियों की मांसपेशियाँ भी मजबूत बनती हैं। शहर में रहने वाले लोग ही नहीं, कर्मियों में भी अब साइकिल के प्रति प्रेम बढ़ रहा है। हर मर्ज की दवा साइकिल में निहित है।साइकलिंग न केवल शरीर के लिये लाभप्रद है अपितु यह मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने का रामबाण इलाज है। साइकिल का दर्शन यह बताता है कि व्यक्ति को अपनी जरूरत तक का ही उपभोग करना है, भोग विलास की दौड़ में व्यक्ति कहीं पहुंचता नही है बल्कि मन का भ्रम बन कर दिखावा उसके ही प्राण शक्ति का विनाश कर डालता है साइकिलिंग के क्षेत्र में आ रही सचेतना से दुनिया के बड़े शहरों लंदन, न्यूयार्क के बराबर खड़ा हो रहा है जहाँ साइकलिंग को लेकर नए नए सामाजिक प्रयोग किये जा रहे है।
लेखक द्वारा उत्तराखण्ड सरकार के अधीन उद्यान विभाग के वैज्ञानिक के पद पर का अनुभव प्राप्त हैं, वर्तमान दून विश्वविद्यालय में कार्यरत है.

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