बर्ड फ्लू:- नैनी झील में पल रही बतखों की सुरक्षा को लेकर नगर पालिका प्रशासन हुआ सतर्क
नैनीताल – देश में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस संक्रमण के चलते तेजी से पॉव पसार रहे बर्ड फ्लू ने चिंता और बढ़ा दी है। महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में भी इसकी पुष्टि हो चुकी है। इसी के साथ केरल से शुरु हुआ बर्ड फ्लू अब तक देश के लगभग 10 राज्यों को अपनी चपेट में ले चुका है जिसमें उत्तराखंड राज्य भी शामिल है। इस बीच बर्ड फ्लू का मामला सामने आने के बाद उत्तराखंड के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक नैनीताल के चिडिय़ाघर में भी पूर्व से ही सतर्कता बढ़ा दी गई थी। नैनी झील में पल रही बतखों की सुरक्षा को लेकर भी नगर पालिका परिषद प्रशासन भी अब पूर्णतया सतर्क हो गया है। वर्तमान में देखा जाए तो नैनी झील में वर्तमान में पल रही लगभग 47 बतखें जीवनदायिनी नैनी झील की शान हैं। इनकी खासियत यह है कि यह खूबसूरत बतखें जब भी नैनी झील में एक पंक्तिबद्ध तरीके से कई बतखों एक छोर से दूसरे छोर को जाती हैं। इसे इन बतखों का अनुशासन कहो या फिर इनकी काबिलियत। लोअर माल रोड स्थित पुस्तकालय के भूतल में बाड़े में पल रही इन बतखों के लालन पालन का जिम्मा नगर पालिका परिषद प्रशासन के पास है। पालिका प्रशासन की ओर से सदैव एक कर्मचारी को इनकी देख रेख में लगाया गया है। भोजन के रुप में इन्हें बाजरा दिया जाता है। जाड़ों में इन बतखों को सुबह 8 बजे तथा गर्मियों में सुबह 7 बजे बाड़े से निकालकर नैनी झील में छोड़ दिया जाता है उसके बाद हर रोज शाम को 5 से लेकर 6 बजे तक के बीच स्वत: ही यह सभी बतखें अपने बाड़े में लौट आती हैं,उनके लौटने के बाद भी इनकी गणना पालिका कर्मी की ओर से की जाती है। यहां पर यह जानना बेहद जरुरी होगा कि नैनी झील में नवम्बर से लेकर मार्च माह तक प्रवासी पक्षी अधिक आते हैं और प्रवासी पक्षियों की वजह से ही बर्ड फ्लू फैलने की आशंका अत्याधिक रहती है।
नगर पालिका परिषद के अधिशासी अधिकारी अशोक कुमार वर्मा ने बताया कि बर्ड फ्लू को ध्यान में रखते हुए बतखों की सुरक्षा के लिए पालिका प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हो चुका है। वर्मा का कहना है बतखों की सुरक्षा को लेकर पशु चिकित्साधिकारी के साथ सामन्जस्य स्थापित किया गया है उन्हीं केनिर्देशानुसार उनकी सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
दूसरी ओर राजकीय पशु चिकित्सालय की वरिष्ठ पशु चिकित्साधिकारी डा.हेमा राठौर ने कहा कि बतखों पर निगाह अच्छी तरह रखी जा रही है। कहा कि अगर कोई बतखों को कोई परेशानी होती है तो इसके लिए पशुपालन विभाग की ओर से क्विक एक्शन टीम का गठन कर दिया गया है। कहा कि लोगों के घरों में पल रहे पालतु पक्षियों पर भी पैनी निगाह रखी जा रही है। इसके अलावा उन्हें यह भी जानकारी दी जा रही है कि यदि उनकी ओर से पाले गए पक्षियों के व्यवहार में कोई असमान्य बात होती है या फिर कोई मुर्गी या अन्य पक्षी मरते हैं तो उसकी सूचना शीघ्र पशुपालन विभाग को दी जाए साथ ही उन्होंने लोगों से गुजारिश की है कि यदि कोई पक्षी जंगलों या अन्य जगह पर मरे हुए दिखाई देते हैं तो भी इसकी सूचना तुरंत वन विभाग व पशु पालन विभाग को दें।
इस बीच चिडिय़ाघर में भी चिडिय़ाघर के निदेशक टीआर बीजू लाल के निर्देशन में चिडिय़ाघर के सभी अधिकारियों व कर्मचारियों व जू कीपर्स बर्ड फ्लू के बढ़ते मामलों को देखते हुए काफी सतर्क हो चुके हैं। चिडिय़ाघर के वरिष्ठ वन्य जीव चिकित्सक डा. हिमांशु पांगती का कहना कि वर्तमान में चिडिय़ाघर में 219 उच्च स्थलीय वन्य प्राणी व फीजेट्स व बर्ड हैं जिनमें से 167 फीजेट्स व बर्ड हैं। जिनमें मुख्य रुप से हिल पार्टिज, मोनाल, चीड फीजेट्स, लेडी एमहस्ट फीजेट्स, मकाऊ, गोल्डन फीजेट्स, एडवर्ड, सिल्वर फीजेट्स, क्लीज फीजेट्स, रेड जंगल फाउल, मोर, पैराकिट्स,ब्लैक काईट्स आदि शामिल हैं।
चिडिय़ाघर प्रबंधन की ओर से बर्ड फ्लू की आशंका को देखते हुए फीजेट्स के हर बाडे में सतर्कता संबंधी बोर्ड लगा दिए गए हैं। इसके अलावा चिडिय़ाघर में आने वाले हर पर्यटक पर भी पैनी निगाह रखी जा रही है कि वह किसी भी तरीके से वन्य प्राणियों विशेषकर फीजेट्स व बर्ड को कदापि न झुए। उन्होंने कहा कि हर रोज चिडिय़ों के बाडों में चूने का छिड़काव किया जा रहा है साथ ही एंटी स्पटिक स्प्रे किया जा रहा है। कीपर्स को भी विशेष दिशा निर्देश देने के साथ ही जू में आने वाले हर पर्यटक को पूरी तरह से सेनेटाईज करने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है।
डा.पांगती के मुताबिक बर्ड फ्लू का नाम एवीआईएन इन्फ्लूनजा है औैर यह एच 5 एन वन वायरस से फैलता है। उन्होंने बताया कि प्रवासी पक्षियों से बर्ड फ्लू फैलने की आशंका बहुत ज्यादा रहती है। बर्ड फ्लू से संक्रमित फीजेट्स व बर्ड में पेचिस का होना, उसकी गर्दन का टेढ़ा होना, उसे बुखार आना, श्वास लेने में परेशानी होना, आंखों के ऊपर परत का जमना तथा भोजन से दूर रहना आदि मुख्य लक्षण हैं। डा. पांगती ने बताया कि प्रवासी पक्षियों से बर्ड फ्लू फैलने की आशंका अधिक रहती है। बर्ड फ्लू को देखते हुए चिडिय़ाघर प्रबंधन की ओर से फिलहाल अंडों के सेवन पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है।