अवैधानिक रूप से न तोड़ें बेलपत्र, वरना भोलेनाथ हो जाते हैं नाराज। किस विधि से तोड़े जाते हैं बेलपत्र आइए जानते हैं ?

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बेलपत्र तोड़ने से पहले भगवान भोलेनाथ का स्मरण करना चाहिए। पत्ते तोड़ने से पहले बेल के वृक्ष को प्रणाम करना चाहिए। तदुपरांत मन ही मन ओम नमः शिवाय का स्मरण करते हुए धीरे-धीरे तीन दल वाले पत्तों को सावधानी से तोड़ना चाहिए। बेल वृक्ष की शाखा को कभी नहीं तोड़ना चाहिए जो महान पाप समझा जाता है। आजकल सावन मास में अनेक भक्त जिन्हें जानकारी नहीं है बेलपत्र की शाखाएं लिए हुए दिखते हैं। अनेक भक्त तो वाहनों की छत पर बेलपत्र की शाखाएं लादकर लाते हुए दिख रहे हैं।जो अवैधानिक है। विधिपूर्वक किए गए कार्य से ही भगवान प्रसन्न होते हैं। अतः प्रिय पाठकों एवं प्रिय श्रद्धालु भक्तों से मेरा विनम्र निवेदन है कि यदि आप भगवान शिव जी को बेलपत्र चढ़ाना चाहते हैं तो नियम पूर्वक बेलपत्र तोड़कर रख लें। हमारे सनातन धर्म शास्त्रों में बेलपत्र तोड़ने के कई विधान बताए गए हैं। कई तिथियों में भी बेलपत्र तोड़ना वर्जित है।
जैसा कि लिंग पुराण में लिखा है –
अमारिक्तासु संक्रान्त्यामष्टम्यामिन्दुवासरे।
विल्लपत्रं न च छिन्द्याच्छिन्द्याच्वेनन्रकवजेत ।।

अर्थात –
चतुर्थी नवमी चतुर्दशी यह तीन रिक्त तिथियां मानी जाती है। इसके अतिरिक्त अष्टमी और अमावस्या को भी बेलपत्र तोड़ना वर्जित है। अर्थात चतुर्थी नवमी चतुर्दशी अष्टमी और अमावस्या इन पांच तिथियों में और संक्रांति और सोमवार को भी बेलपत्र तोड़ना वर्जित है। शिव पुराण के अनुसार बेलपत्र उस दिन नहीं तोड़ना चाहिए जिस दिन भगवान शिव को समर्पित दिन होता है। इसलिए सावन सोमवार के दिन बेलपत्र तोड़ने के बजाय 1 दिन पहले यानी रविवार के दिन ही बेलपत्र तोड़ने तो बेहतर रहेगा। इसके अतिरिक्त प्रिय पाठकों एवं प्रिय भक्तों को एक और महत्वपूर्ण जानकारी देना चाहुंगा कि बेलपत्र कभी बासी नहीं होता है। भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यदि नया बेलपत्र उपलब्ध ना हो तो किसी दूसरे के चढाये हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार प्रयोग किया जा सकता है।

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