देवभूमि उत्तराखंड में भगवान भोले शंकर का ऐसा शिवलिंग है जहां प्राकृतिक जलधारा गिरती है स्वयं

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देवभूमि उत्तराखंड में भगवान भोले शंकर का ऐसा शिवलिंग है जहां प्राकृतिक जलधारा स्वयं गिरती है।,,,,,,,,,,,, देवभूमि उत्तराखंड के नैनीताल शहर के समीप एक ऐसी प्राचीन गुफा है जहां प्राकृतिक शिवलिंग पर प्राकृतिक जलधारा गिरती है। नैनीताल शहर के कृष्णापुर नामक स्थान में स्थित गुफा महादेव मंदिर की गिनती प्राचीन शिवालयों में होती है। तीज त्यौहार हो या सावन के महीने में इस मंदिर में शहर समेत आसपास के भक्त शिवलिंग में जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालु भक्तजन करीब 2 मीटर की गुफा में जाकर प्राकृतिक शिवलिंग में जलाभिषेक करते हैं। इस गुफा में प्रवेश के लिए बैठकर भी झुक कर जाना होता है गुफा महादेव मंदिर की स्थापना के संबंध में कहा जाता है कि सन 1880 मैं कृष्णा लाल शाह नामक एक व्यक्ति को स्वप्न में भगवान भोले शंकर आकर प्रकट हुए थे। बताया था कि गुफा महादेव में द्वार पर शिला थी। साक्षात शिव जी ने उसे शिला को हटाया था। बाद में यहां पर नेपाली बाबा आए। तदुपरांत अमर गिरी महाराज ने कई वर्षों तक तपस्या की। तदुपरांत यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया। इस पावन स्थान पर गुफा में प्राकृतिक शिवलिंग पर प्राकृतिक जलधारा गिरती रहती है। इस मंदिर का वर्णन शिवपुराण में गुरु फ्रेकेश्वर महादेव के रूप में उल्लेख है। महाशिवरात्रि शिव पूजन वट सावित्री पूजन एवं सावन मास तथा अन्य तीज त्योहारों पर इस पावन मंदिर में श्रद्धालु भक्तों का तांता लगा रहता है। शिवलिंग में जलाभिषेक दुग्ध अभिषेक बेलपत्र अक्षत फूल आदि से पूजा अर्चना की जाती है। मंदिर में अनुष्ठान भी किए जाते हैं। सावन मास पर तो विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं। जबकि अन्य दिनों शिवलिंग में अखंड धोनी की राख प्रसाद के तौर पर दी जाती है। सच्चे मन से आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं यहां पूर्ण होती हैं। मंदिर में एक भव्य शिवलिंग है। जिसे स्वयंभू शिवलिंग कहां जाता है। यह शिवलिंग स्वत: धरती से निकला था इस मंदिर की एक कथा प्रचलित है। जिस कथा के अनुसार सन 1880 में कृष्णा शाह नाम के एक व्यक्ति की पत्नी भगवान भोले शंकर की परम भक्त थी। उन्हें महाशिवरात्रि की प्रातः एहसास हुआ कि स्वत: भगवान शिव उनसे कह रहे हैं ” मैं जमीन के अंदर हूं” शिवरात्रि के दिन वर्तमान में मौजूद इस मंदिर के पास खुदाई की गई तो उन्हें वहां एक शिवलिंग दिखा। इस शिवलिंग के बाहर निकलते ही इसमें से तेज प्रकाश पुंज निकला। जिसने कुछ पल तक उस क्षेत्र को जगमग प्रकाश से भर दिया। तदुपरांत स्थान एक भव्य तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध हुआ। बुजुर्ग लोग बताते हैं की नानतिन महाराज एवं सोमवारी महाराज जैसे महान संतों ने इस स्थान पर तपस्या की है। आज दिनांक 7 मार्च 2022 दिन सोमवार को यहां मंदिर में नवनिर्मित नागदेव की प्रतिमा की प्रतिष्ठा की गई । क्योंकि सोमवार भगवान शिव का वार है और पंचमी तिथि के स्वामी स्वयं नागदेव हैं ।

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