मैक्स हेल्थकेयर द्वारा पोस्ट कोविड पेशेंट्स पर की गयी सबसे बड़ी स्टडी
- यह स्टडी कोविड रोगियों पर 3 से 12 महीने तक कोविड के लक्षणों और उससे जुड़ी विभिन्न समस्याओं पर किया गया।
- यह अप्रैल-अगस्त 2020 में उत्तर भारत के तीन अस्पतालों के रोगियों से लिया गया फौलोदृअप स्टडी है।
- न केवल भारत के लिए बल्कि विश्व के लिए भी भविष्य के संसाधनों और मैनपावर की योजना बनाते समय यह स्टडी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
देहरादून, – 29 जुलाई, 2021 : मैक्स हेल्थकेयर के ग्रूप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. संदीप बुद्धिराजा के अगुआई में उत्तर भारत में मैक्स अस्पताल में डॉक्टरों ने कोविड रोगियों पर एक व्यापक स्टडी कि है जिसका शीर्षक है दृ “उत्तर भारत के अस्पताल में भर्ती मरीजों में कोविड-19 के लंबे समय के स्वास्थ्य परिणाम : 12 महीने तक का फौलोअप स्टडी“। यह स्टडी उत्तर भारत के 3 अस्पतालों में भर्ती आरटी-पीसीआर जांच में पुष्टि किए गए लगभग 1000 कोविड-19 रोगियों के एक समूह पर किया गया सबसे लंबा पोस्ट-कोविड फौलोदृअप स्टडी है। यह स्टडी दो-चरण में टेली-इंटरव्यू के रूप में किया गया। यह स्टडी कोविड के लक्षणों पर आधारित था। इसमें प्रश्नों का एक सेट तैयार किया गया। यह स्टडी अस्पताल में भर्ती कोविड-19 रोगियों को छुट्टी के बाद और अगले एक साल तक की अवधि तक किया गया। फौलोदृअप अवधि में लंबे समय तक जो लक्षण बने रहे उन पर यह स्टडी कि गया।
स्टडी के दौरान, डॉक्टरों ने उन रोगियों पर एक वर्ष तक लगातार लक्षणों का आकलन किया जिन्हें कोविड-19 के तीव्र चरण से ठीक होने के बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गयी थी। इस स्टडी का उद्देश्य कोविड से लंबे समय तक पीड़ित रहने के परिणामों का पता लगाना था और साथ ही साथ उन लक्षणों से जुड़े संभावित कारकों की पहचान करना था।
डॉ. बुद्धिराजा ने कहा, ʺइस स्टडी से कोविड-19 के इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती मरीजों के लिए लंबे समय तक फौलो-अप करने में मदद मिलेगी। साथ ही साथ विभिन्न पुनर्वास कार्यक्रमों की आवश्यकता का आकलन करने में मदद मिलेगी।
इस स्टडी के लिए, अप्रैल-अगस्त 2020 के बीच 3 अस्पतालों में भर्ती किए गए सभी रोगियों से फॉलो-अप के लिए दो बार टेलीफोन पर संपर्क किया गया था। पहला फौलोदृअप कॉल सितंबर 2020 (बीमारी की शुरुआत से 4 सप्ताह से 16 सप्ताह) में किया गया था और दूसरा फौलोदृअप कॉल मार्च 2021 में उन रोगियों के साथ किया गया था, जिन्होंने पहले फौलोदृअप के दौरान और लंबे समय तक कोविड के लक्षणों के प्रोफाइल की सूचना दी थी। अस्पताल के कम्प्यूटराइज्ड पेशेंट रिकॉर्ड सिस्टम (सीपीआरएस) से निकाले गए प्री डिस्चार्ज और डिस्चार्ज डेटा के साथ एक प्रश्नावली का उपयोग करके इसका विवरण तैयार किया गया था।
स्टडी के निष्कर्षों और कोविड के लक्षणों के लंबे समय तक बने रहने के बारे में बात करते हुए, डॉ बुद्धिराजा ने कहा, “हमने पाया कि कुल मिलाकर, लंबे समय तक कोविड के लक्षण लगभग 40 प्रतिशत मामलों में रहे। स्टडी में शामिल किए गए 990 रोगियों में से, 31.8 प्रतिशत रोगियों में यह देखा गया कि उनमें तीन महीने से अधिक बाद तक कोविड के लक्षण थे। साथ ही 11 प्रतिशत रोगियों में बीमारी की शुरुआत से 9-12 महीनों तक किसी न किसी रूप में लक्षण बने रहे। निष्कर्षों में उल्लेखनीय बात यह थी कि 12.5 प्रतिशत मामलों में थकान सबसे अधिक दर्ज किया गयाॉ उसके बाद मायेल्जिया (9.3 प्रतिशत ) दर्ज किया गया। जिन लोगों को शुरुआत में गंभीर बीमारी थी, उनमें सांस फूलने की शिकायत भी काफी बार दर्ज की गई थी।“
स्टडी समूह के रोगियों ने डिप्रेशन, एंग्जाइटी, “ब्रेन फॉग“ और स्लीप डिसआर्डर जैसे न्यूरो-साइकिएट्रिक और सांस फूलने जैसे लक्षणों की भी जानकारी दी। यह देखा गया कि मरीज के लक्षण जितने समय में ठीक हुए उसका संबंध इस बात से था कि अस्पताल में भर्ती होने के समय बीमारी कितनी गंभीर थी। हालांकि, स्टडी समूह से किसी अंग की गंभीर क्षति की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं की गयी।
मैक्स देहरादून में देखे गए मरीजों का अवलोकन :
“कोविडदृ 19 के तीव्र संक्रमण के चार या अधिक सप्ताह बाद लंबे समय तक खांसी, सांस फूलना, गंभीर थकान और तेज धड़कन जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं।
ये पल्मोनरी फाइब्रोसिस और मायोकार्डिटिस जैसी समस्याओं से जुडे होते हैं जिनका कई अंगों पर प्रभाव पडता है। सामाजिक अलगाव के कारण इस बीमारी से ठीक होने वालों में डिप्रेशन, मूड में उतारदृ चढ़ाव और एंग्जाइटी भी देखी गयी है।
यह पता नहीं चल पाया है कि ये प्रभाव कितने समय तक रह सकते हैं और ये पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाएंगे या नहीं”।
कोविड के उपरांत लक्षण विकसित होने के जोखिम के बढ़ने के बारे में, डॉक्टर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि इस स्टडी में पाया गया कि कोविड के बाद के लक्षणों के उभरने का उम्र, लिंग, कोमॉर्बिडिटी या बीमारी की गंभीरता से कोई संबंध नहीं है। हालाँकि, कोविड के बाद के लक्षणों की अवधि का सबंध इस बात से है कि अस्पताल में भर्ती होने के समय रोग कितना गंभीर था लेकिन उसका उम्र, लिंग और कोमॉर्बिडिटी से कोई संबंध नहीं था।
पहले फौलोदृअप में जवाब देने वाले 990 रोगियों में, 32.3 प्रतिशत (320 रोगी) महिलाएं थीं और 67.7 प्रतिशत (670 रोगी) पुरुष थे। यह भी नोट किया गया कि एक तिहाई से अधिक रोगियों (37.3 प्रतिशत ) ने अस्पताल में भर्ती होने के समय कम से कम एक कोमॉर्बिडिटी की सूचना दी; कोमॉर्बिडिटी में मधुमेह (23.7 प्रतिशत ) और उच्च रक्तचाप (20.4 प्रतिशत ) सबसे आम हैं।
कोविड-19 महामारी के शुरुआती चरणों में कोविड-19 से संबंधित लक्षणों और जटिलताओं का पता लगाने और उनका इलाज करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। तब से, स्पेन, आयरलैंड, नीदरलैंड और अन्य देशों के स्टडी के साथ दुनिया भर से प्राप्त डेटा, उन व्यक्तियों के स्वास्थ्य पर कोविड-19 संक्रमण के लंबे समय तक प्रभाव का संकेत देते हैं, जो गंभीर बीमारी से उबर चुके थे और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। ये सुस्त लक्षण गंभीर कोविड-19 बीमारी से ठीक हुए लोगों के जीवन की गुणवत्ता के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय हैं क्योंकि उन्हें पहले की तरह स्वस्थ होने में देरी हो रही है।